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Budget 2023: बिना बारीकियां समझे, सिर्फ घोषणाओं का बंडल है बजट

बजट 2023 का सभी लोगों के द्वारा स्वागत किया गया है लेकिन बजट की बारीकियों को जाने बिना आपको पता नहीं चलेगा कि टैक्स भरने वालों के पैसे का बेहतर इस्तेमाल कैसे किया जा सकता है?

बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 1 year ago

JK Dadoo, Retd IAS officer 

 

 

 

 

 

हर जगह भारतीय बजट 2023 का 3 C – कैपेक्स, क्लाइमेट और कंसोलिडेशन जैसे विशेषणों के साथ स्वागत किया गया. अखबारों में इस बजट को सरल, छोटा और खुश करने वाला बजट बताया गया है. पिछले 20 दिनों में मैंने बजट 2023 से जुड़े लगभग 100 लेखों को और कुछ व्यूज को भी पढ़ा है. एक अनुभवी सिविल सर्वेंट होने और 6 मंत्रालयों में एडिशनल सेक्रेटरी और फाइनेंशियल एडवाइजर के पद पर काम करने के अनुभव की वजह से मुझे सरकार और बजट की काफी बारीक जानकारी है. इसीलिए मैंने बजट की 20 ऐसी विशेषताओं को चुना है जिनकी ध्यानपूर्वक जांच और साप्ताहिक मॉनिटरिंग जरूरी है ताकि घोषणाओं को सच में बदला जा सके. 
कितना सटीक है एग्रीकल्चरल क्रेडिट का उद्देश्य 
20 लाख करोड़ के एग्रीकल्चरल क्रेडिट का उद्देश्य प्रशंसनीय है. लेकिन भुगतान से जुड़ी चुनौतियों, परिणामी NPAs (नॉन परफॉर्मिंग एसेट्स) और कर्ज की माफी इस वक्त की सच्चाई हैं. फलस्वरूप, बड़े प्रोजेक्ट्स और रचनात्मक लाभार्थियों को आवंटित करते हुए हमें बहुत सावधान रहना होगा. भुगतान करने वाले बैंक और उनकी शाखाएं भारत के 700 से ज्यादा जिलों के 7000 ब्लॉक्स में फैले हुए हैं. सरकार को सुनिश्चित करना होगा कि भुगतान करते हुए सभी गाइडलाइन्स का पालन किया जाए, इस मूल्यांकन का गंभीर रूप से ध्यान रखते हुए, जिला अधिकारियों की मदद से इस प्रक्रिया को डिजिटली मॉनिटर किया जाए ताकि यह लास्ख्य पूरा हो सके.
आखिर पहले क्यों नहीं बनाये गए नर्सिंग कॉलेज?
157 नर्सिंग कॉलेजों की ओपनिंग एक ऐसा लक्ष्य है जिसकी बहुत लम्बे समय से जरूरत थी और बजट द्वारा इसे पूरा किया जाएगा. पूर्व समय में नर्सों की विकट कमी होने के बावजूद इन कॉलेजों को क्यों नहीं खोला गया यह सवाल मेरे लिए एक राज है. जबकि भारत के सेवा निर्यातों का सबसे ज्यादा बड़ा हिस्सा नर्सें हैं. स्वास्थ्य मंत्रालय को खोज एवं जांच करके इन कॉलेजों की स्थापना ऐसे अस्पतालों में करनी चाहिए जहां इंफ्रास्ट्रक्चर उपलब्ध हो और जरूरत बहुत ज्यादा हो और फैंसी एवं पारंपरिक जगहों पर इन कॉलेजों की स्थापना को बढ़ावा नहीं देना चाहिए. साथ ही, अगर अच्छे इंफ्रास्ट्रक्चर वाले प्राइवेट अस्पताल भी इस साल, इस मुहीम के लिए आगे आयें तो कॉलेजों की संख्या सिर्फ 157 तक ही सीमित नहीं करनी होगी. हमें मांग का ध्यान रखना है न कि पुरानी सोच का. 
नेशनल डिजिटल लाइब्रेरी है बहुत बड़ी चुनौती
नेशनल डिजिटल लाइब्रेरी एक ऐसा आईडिया है जिसका समय आ चुका है. लेकिन सही और विस्तृत कंटेंट के साथ इतनी प्रमुख लाइब्रेरी बनाना एक बहुत बड़ा टास्क है. इस प्रोजेक्ट की अध्यक्षता के लिए सर्वश्रेष्ठ कैंडिडेट को चुनना होगा वरना, इस आईडिया को सफलता नहीं मिलेगी. गरीब वर्ग के लोग जिनके पास स्मार्टफोन, Ipad या लैपटॉप नहीं है, उन्हें इस लाइब्रेरी का डिजिटल एक्सेस देना सबसे बड़ा चैलेंज होगा. क्या जिलों में मौजूद सभी CSC (कॉमन सर्विस सेंटर) इन जरूरतों को पूरा कर पायेंगे ये एक बड़ा सवाल है जिसे बहुत ही ध्यानपूर्वक और जल्द से जल्द हैंडल करने की जरूरत है. 
महत्वकांक्षी जिलों के लिए मॉनिटरिंग है जरूरी
भारत सरकार के वरिष्ठ IAS अधिकारियों की निरंतर मॉनिटरिंग की बदौलत 100 से ज्यादा महत्वाकांक्षी जिलों से अच्छे रिजल्ट्स देखने को मिले हैं साथ ही 500 महत्वाकांक्षी ब्लॉक्स को शामिल करना, सही दिशा में लिया गया एक कदम है. आपको बता दें कि यह ब्लॉक्स उन 100 जिलों में से नहीं लिए गए हैं जिनकी देख-रेख वरिष्ठ IAS अधिकारियों द्वारा की जा रही है. ऐसा इसलिए किया गया है ताकि ज्यादा से ज्यादा जिलों को कवर किया जा सके और स्वास्थ्य, पोषण, शिक्षा और स्किल डेवलपमेंट के मध्याम से सशक्तिकरण की प्रक्रिया को भौगोलिक आधार पर बेहतर रूप से फैलाया जा सके. अगर इस दौर में रिजल्ट्स चाहिए तो इन ब्लॉक्स को 500 से ज्यादा सरकारी निर्देशकों के द्वारा मासिक आधार पर मॉनिटर करना होगा. 
PVTGs (प्राचीन असुरक्षित जनजातीय समूहों) पर विशेष ध्यान देना एक और शानदार आईडिया है जिसे लम्बे समय से अनदेखा किया जाता रहा है. अगर मीडिया रिपोर्ट्स की मानें, तो 17 राज्यों और 2 केंद्र शासित प्रदेशों में ऐसे 75 समूह हैं जिनकी आबादी 28 लाख के आस-पास है. यहां जीविका और निरक्षरता पूरी तरह से अनियंत्रित हैं. इन जनजातीय क्षेत्रों तक पहुंचना और यहां के लोगों को सुरक्षित हाउसिंग, पीने योग्य साफ पानी, स्वच्छता, सडकें और टेलिकॉम जैसी सुविधाएं उपलब्ध करवाना आज भी एक विशालकाय आधारभूत सवाल बना हुआ है. इन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए हमें जमीनी स्तर पर ईमानदार स्टाफ की जरूरत होगी. जनजातीय कार्य मंत्रालय के पास बहुत कठिन कार्य है जिन्हें पूरा करने के लिए उन्हें कुछ चुनिन्दा जॉइंट सेक्रेटरीज की जरूरत होगी जो इस कीमती कार्य को किसी हाल में अधूरा न छोड़ें. 
प्रधानमंत्री आवास योजना में बंद करनी होगी लीकेज
7500 करोड़ रुपयों के आवंटन के साथ प्रधानमंत्री आवास योजना जाहिर रूप से एक अच्छा प्रावधान है. लेकिन जब मैं अरुणाचल प्रदेश में साल 1988 में DC (जिला कलेक्टर) था तभी से यह योजना चली आ रही है. पिछले 35 सालों में  6 लाख गावों को कवर नहीं किया गया है. इस काम को खत्म करने के लिए किसी प्रकार की डेडलाइन या अन्य योजना नजर नहीं आती है. आशय साफ है, लेकिन निकट भविष्य में लक्ष्यों को पूरा करने के लिए हमें जिलों के आधार पर हिसाब किताब की ढंग से जांच करके, सिस्टम में मौजूद लीकेज को बंद करना होगा.
बिना इन्फ्लेशन कैसे पूरा होगा कैपेक्स का लक्ष्य 
सबसे बड़ी घोषणा 10 लाख करोड़ रुपयों के कैपेक्स आवंटन की थी. सभी बिजनेस लीडर्स का मानना था कि इस फैसले का प्रभाव बहुत बड़ा होगा. सवाल ये है कि आप इतना कैपेक्स बिना इन्फ्लेशन पैदा किये, कैसे इकट्ठा करेंगे? और उससे जरूरी सवाल ये है, कि एक साल के दौरान आप इस राशि को कुशलता और प्रभावपूर्ण तरीके से कैसे खर्च करते हैं? बजट में आवंटित की गई राशि में से 75% का इस्तेमाल भी केवल कुछ ही मंत्रालय कर पाते हैं और पिछले क्वार्टर से पुनर्आवंटन ही काम करने की प्रक्रिया का स्टैण्डर्ड तरीका हैं. राज्य अब और आलसी हो गए हैं, इसलिए सर्वोत्तम फण्ड मैनेजमेंट को बढ़ावा देने के लिए बड़े आवंटन के साथ-साथ हर राज्य और केन्द्रशासित प्रदेश के हर मंत्रालय की डिजिटल मॉनिटरिंग का विशेष ध्यान रखना पड़ेगा. व्यय विभाग के पास अब कठिन कार्य है उन्हें इस कार्य को कुशलता के साथ प्रभावपूर्ण तरीके से पूरा करना है. 
एक साल में 50 हवाई अड्डे बनाने के लिए करनी होगी बहुत मेहनत 
50 नए हवाई अड्डों/हैलिपेड्स एक ऐसा कदम है जिसका स्वागत होना चाहिए लेकिन एक साल में पूरा हो पाने के लिए यह एक बहुत बड़ा ऑर्डर है. AAI (भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण) द्वारा जल्द से जल्द जगहों को चुनकर और कार्य प्रगति में तेजी लाकर कॉन्ट्रैक्ट का सम्मान करना बहुत जरूरी है. मंत्री जी को यकीन है कि जहां भी रक्षा मंत्रालय का न्यायक्षेत्र है वहां से जरूरी अप्रूवल मिल जायेंगे. इस चुनौती से निपटने के लिए अत्यधिक समन्वय की आवश्यकता है वरना आने वाले कुछ समय तक बहुत से जरूरी शहर हवाई यात्रा की सुविधा का लाभ नहीं उठा पायेंगे.
सामान्य जनता तक ये बात पहुंचना है बहुत जरूरी
39000 कंप्लायंसों को हटाना और 3400 कानूनी प्रावधानों को गैर-आपराधिक बनाना भी एक जबरदस्त फैसला है. कागजों पर यह बहुत ही एक्सीलेंट दिख सकता है लेकिन व्यवहार में लाने पर और इसे लागू करने के लिए जरूरी है कि बहुत से फॉलो-अप की जरूरत होती है. साथ ही, यह भी जरूरी है कि लागू करने वाली सभी संस्थाओं को इसके बारे में पता हो और जनता से पहले कोई भी ऐसे इनोवेटिव फैसले का गलत फायदा न उठाये. सभी जिलों में कानूनी विभागों द्वारा सेमीनार आयोजित किये जाएं और कानूनी बिरादरी एवं सामान्य जनता को इस बारे में सूचित किया जाए. 
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के विकास के लिए ध्यान रखनी होंगी ये बातें
तीन संस्थानों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के ‘सेंटर ऑफ एक्सीलेंस’ बनाये जाने की खबर एक नयी कोशिश है और अधिकतम फलप्राप्ति के लिए इनकी लोकेशंस जैसे IIM बैंगलोर, IIM अहमदाबाद और सबसे प्रगतिशील IIT पर पूरा ध्यान रखने की जरूरत है. काम करने का दायरा – कृषि और स्वास्थ्य के क्षेत्रों में स्केलेबल प्रोजेक्ट्स को विकसित करना - बिलकुल सटीक होना चाहिए. 
फंड्स का करना होगा विकेंद्रीकरण
पेश किये गए सबसे अच्छे आइडियाज में से एक, इ-कोर्ट्स पर 7000 करोड़ रुपये खर्च करने का है. हालांकि सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्टों में इ-वर्क की प्रक्रिया बहुत अच्छे से चल रही है लेकिन मेरा सुझाव है कि फंड्स का विकेंद्रीकरण किया जाए. सभी 7000 ब्लॉक्स में 1 करोड़ रुपये इन्वेस्ट किये जाएं ताकि मुन्सिफ अदालतों में बेहतर न्याय मिल सके. एक सही टेंडर के माध्यम से सर्वश्रेष्ठ सेवा प्रदान करने वाले को ढूंढना जरूरी है ताकि लक्ष्यों को उचित समय में पूरा किया जा सके. 
ऐसे भारत छोड़ेगा चीन को पीछे
लैब में बनाये गए डायमंड्स की संख्या में निरंतर बढ़ोत्तरी हो रही है और इसके बारे में मैंने मेरी किताब, ‘100 Ideas to Improve Governance in India’ में भी बताया है. अगर सही से खर्च किया जाए तो यह आयातों के स्थान पर शानदार तरीके से इस्तेमाल किया जा सकता है और साथ ही एक बड़ा निर्यात आइटम भी बन सकता है. मेरा सुझाव है कि भारत में डायमंड बनाने वाले ऐसे दर्जनों उत्पादकों को PLI के जैसी मदद मिले जिससे वह आवश्यक उपकरणों और सुविधाओं को लगा सकें और लैब में बनाये गए डायमंड्स की संख्या भी बढ़े. तब जाकर भारत चीन को इस खेल में हरा सकता है और वर्ल्ड लीडर बन सकता है. 
पानी की उपलब्धता है बड़ी समस्या 
नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन बहुत बड़ी घोषणा है जिसका मुख्य उद्देश्य, कार्बन की घनिष्टता को कम करना है. लेकिन भारत जैसे देश में जहां पीने का पानी भी प्रीमियम पर उपलब्ध हो, इस प्लान को सफल बनाने के लिए पानी की प्रचुर मात्रा ढूंढने के बारे में अच्छे से सोच लेना चाहिए. इसके साथ-साथ हाइड्रोजन बनाने की कीमतों के बारे में भी सोच विचार कर लेना चाहिए ताकि आगे चलकर यह प्लान महंगा न पड़ जाए.
लद्दाख में रिन्यूएबल एनर्जी के स्त्रोत ढूंढना काफी मुश्किल टास्क है
लद्दाख में रिन्यूएबल एनर्जी के स्त्रोतों की खुदाई के लिए 20700 करोड़ रुपये का आवंटन भी एक बहुत बड़ी घोषणा है जिसके लिए प्रोजेक्ट रिपोर्ट्स की विस्तृत जानकारी और लॉजिस्टिक की जानकारी पर ध्यान देना बहुत जरूरी है. 13 गीगावाट एक बहुत बड़ा लक्ष्य है और रहने योग्य जगह न होने और काम करने के मुश्किल वातावरण की वजह से इस प्रोजेक्ट के लिए MNRE (मिनिस्ट्री ऑफ न्यू एंड रिन्यूएबल एनर्जी) को सर्वश्रेष्ठ लोगों की जरूरत होगी. 
स्किल डेवलपमेंट के क्षेत्र में बड़ा कदम
बजट में पेश किये गए सबसे अच्छे आइडियाज में से एक अपरेंटिसशिप प्रोग्राम के अंतर्गत 47 लाख युवाओं को स्टाइपेंड देना है. प्राइवेट सेक्टर खासकर MSME को सही कर्मचारी उपलब्ध करवाने और स्किल डेवलपमेंट के क्षेत्र में यह एक बड़ा कदम साबित हो सकता है. वित्त मंत्री को इस जबरदस्त शुरुआत के लिए बहुत बहुत धन्यवाद. 
पेंशन आय नहीं है, सब्सिडी है
जैसे-जैसे सीनियर सिटिजन्स की उम्र बढती है, उन्हें पैसों की ज्यादा जरूरत पड़ती है. ज्यादा इंटरेस्ट रेट्स के साथ FD की लिमिट्स को दोगुना करके 30 लाख कर दिया गया है जिससे उन्हें कुछ आराम मिलेगा. अगले साल तक इस लिमिट को 50 लाख कर देना चाहिए ताकि वृद्धावस्था की तरफ बढ़ती जनसंख्या को पेंशन से प्रमुख रिटर्न्स मिल सकें. साथ ही, सरकार को पेंशन को टैक्स फ्री बनाने की तरफ थोड़ा और ध्यान देना चाहिए, क्योंकि पेंशन कोई आय नहीं है बल्कि सब्सिडी है जो वृद्ध लोगों को उनके कमजोर होते शरीर और जीवन के बढ़ते खर्चों एवं हर वक्त एक इंसान की जरुरत होने के बावजूद जीवित रखती है. 
इनकम टैक्स स्लैब्स में होना चाहिए सुधार 
मुझे लगता है इनकम टैक्स रेट के स्लैब्स को इकट्ठा करना एक मिथ्या है. सरकार के अनुसार 7 लाख से कम आय वाले लोग आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग में आते हैं तो फिर ओल्ड रिजीम में भी इनकम टैक्स स्लैब्स की शुरुआत 3 लाख से कैसे हो सकती है? सभी टैक्स स्लैब्स, फिक्स्ड इनकम के ब्रैकेट्स के हिसाब से तय किये गए हैं जहां TDC होता है और पूरे टैक्स का भुगतान हो जाता है. ट्रेडर्स, डायमंड व्यापारी, वकील, डॉक्टर्स, स्टॉक ब्रोकर्स एंड रियल एस्टेट एजेंट्स 15 लाख की सीमा के बाद आते हैं और खुशी-खुशी टैक्स के भार से बच जाते हैं. इसका सबसे अच्छा उदाहरण चांदनी चौक है जो एशिया का सबसे बड़ा थोक बाजार है और इस बाजार का रोजाना का टर्नओवर करीब 1 लाख करोड़ रुपयों का है. वहां से GST या इनकम टैक्स के रूप में सिर्फ चन्दा ही इकट्ठा हो पाता है. सवाल है क्यों? हालांकि सरचार्ज कम करना एक अच्छा आईडिया है लेकिन बड़ी मछलियों को तैरने के लिए खुला छोड़ देना नहीं. इसीलिए, असली फर्क तब पड़ेगा जब लोअर मिडल क्लास वर्ग - जो एक लाख रुपये से कम कमाता है – को असली आराम मिलेगा, और उनके हिस्से का 30% टैक्स अमीरों द्वारा पूरी लगन से निरंतर भरा जाएगा. 
इस वक्त की सच्चाई है विनिवेश
विनिवेश हकीकत है और उन्हें ज्यादा धक्का देने से उनके शेयर की कीमतों में गिरावट आ रही है. सिर्फ नुकसानदायी भार, जैसे स्टेट ट्रेडिंग कॉर्पोरेशन को बेच देना चाहिए और बाकियों के लिए न्यायिक तरीके से शेयर की बिक्री करनी चाहिए ताकि अधिकतम कमाई हो सके. होटल्स भी एक ऐसा क्षेत्र हैं जो सरकार का अधिकार क्षेत्र नहीं हैं. इसलिए सही समय पर इनकी एसेट वैल्यू को ध्यान में रखकर इनका भी विनिवेश कर देना चाहिए. राज्य सरकारों को भी पहल करनी चाहिए और साल दर साल अच्छा पैसा और खराब पैसा लगाने के बावजूद नुक्सान दे रही असली यूनिट्स का विनिवेश कर देना चाहिए. 
इन्फ्लेशन के मुद्दे पर लिया जाए एक्शन
यूरोपियन यूनियन में तनाव और ग्लोबल परेशानियों की वजह से कर्ज माफ़ी का रास्ता देख रहे 80 देश इन्फ्लेशन के जाल में फंस सकते हैं. बजट इस मुद्दे पर शांत है जबकि यह मुद्दा हमारे भुगतानों के बैलेंस को हिट कर सकता है जैसा कि इकॉनोमिक सर्वे के दौरान भी बताया गया था. संसद में इस मुद्दे की विवेचना होनी चाहिए और उसके बाद सही एक्शन लिया जाना चाहिए. 
अंततः, हर बजट कुछ घोषणाओं का बंडल होता है. हर साल कितनी घोषणाएं पूरी होती हैं इसकी कोई खबर नहीं मिलती क्योंकि संसद में पिछले बजट की एक्शन रिपोर्ट नहीं बताई जाती. अगर इस एक फैसले को जरूरी कर दिया जाए और फैक्ट्स एवं फिगर्स बताने को कहा जाए तो बजट बनाना और उसे लागू करना अपने आप ही बहुत पेशेवर हो जाएगा और लोगों को लुभाने के लिए घोषणाएँ बंद कर दी जायेंगी. मेरी समझ के अनुसार टैक्स देने वालों का पैसा सही जगह खर्च करने के लिए यह सबसे जरूरी शुरुआत होगी और कहते हैं न आधा काम तो अच्छी शुरुआत से ही पूरा हो जाता है. 

यह भी पढ़ें: अब इस कंपनी के ऑफर लेटर की अंतिम तारीख ने बढ़ाई कई फ्रेशर्स की परेशानी

 


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