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अभी फिलहाल ज्यादा ही चुकानी होगी घर की EMI, RBI से नही मिली राहत
रिजर्व बैंक की छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (MPC) की तीन दिवसीय बैठक के बाद निर्णय लिया है की अभी Repo Rate 6.5% ही बनी रहेगी.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 3 months ago
आरबीआई ने रेपो रेट में किसी भी प्रकार की राहत नहीं दी है. एक बार फिर RBI गवर्नर शक्तिदास ने मीटिंग के बाद फैसला सुनाते हुए कहा की अभी रेपो रेट 6.5 प्रतिशत ही बनी रहेगी. इसका मतलब ये है की अभी आपकी EMI कम नहीं होने वाली है. आरबीआई ने ये निर्णय महंगाई को काबू में रखने के लिए उठाया है.
कब हुआ था बदलाव?
RBI ने आखिरी बार 8 फरवरी, 2023 को रेपो दर को 25 आधार अंक बढ़ाकर 6.5% कर दिया था. तब से अब तक इसमें कोई बदलाव नहीं किया गया है. बता दें कि 6 फरवरी से मौद्रिक नीति समिति की तीन दिवसीय बैठक शुरू हुई थी और आज यानी 8 फरवरी को मीटिंग खत्म होने के बाद गवर्नर शक्तिकांत दास ने ये घोषणा की. हालांकि इससे पहले एक्सपर्ट्स ने पहले ही कहा था कि अंतरिम केंद्रीय बजट 2024 पेश होने के बाद आरबीआई की ओर से नीतिगत ब्याज दरों को यथावत रखने की उम्मीद है. क्योंकि खुदरा महंगाई अब भी निर्धारित संतोषजनक दायरे के ऊपरी स्तर के आसपास बनी हुई है.
क्या है RBI की जिम्मेदारी?
मालूम ही कि RBI के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है कि उसे पिछले साल महंगाई को नियंत्रित करने में अपनी असफलता पर सरकार को स्पष्टीकरण देने पड़ा. दरअसल, रिजर्व बैंक अधिनियम के तहत अगर महंगाई के लिए तय लक्ष्य को लगातार तीन तिमाहियों तक हासिल नहीं किया जाता, तो RBI को केंद्र सरकार के समक्ष स्पष्टीकरण देना होता है. मौद्रिक नीति रूपरेखा के 2016 में प्रभाव में आने के बाद से ऐसा पहली बार हुआ जब RBI को इस संबंध में केंद्र को रिपोर्ट भेजनी पड़ी. आरबीआई को केंद्र की तरफ से खुदरा महंगाई दो प्रतिशत घट-बढ़ के साथ चार प्रतिशत पर बनाए रखने की जिम्मेदारी मिली हुई है, लेकिन तमाम प्रयासों के बावजूद आरबीआई मुद्रास्फीति को नियंत्रित रखने में नाकाम रहा था.
क्या होती है रेपो रेट?
रेपो रेट वह दर होती है जिस पर RBI बैंकों को कर्ज देता है. बैंक इस पैसे से कस्टमर्स को LOAN देते हैं. रेपो रेट बढ़ने का सीधा सा मतलब है कि बैंकों को मिलने वाला कर्ज महंगा हो जाएगा और इसकी भरपाई वो ग्राहकों से करेंगे. इसीलिए कहा जाता है कि Repo Rate बढ़ने से होम लोन, वाहन लोन आदि की EMI ज्यादा हो सकती है. इसके उलट जब यह दर कम होती है तो बैंक से मिलने वाले कई तरह के कर्ज सस्ते होने की संभावना बढ़ जाती है.
क्या होती है रिवर्स रेपो रेट?
अब बात करते हैं रिवर्स रेपो रेट की. जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है, यह रेपो रेट से उलट है. रिवर्स रेपो रेट वो दर होती है जिस पर बैंकों को उनकी ओर से RBI में जमा धन पर ब्याज मिलता है. रिवर्स रेपो रेट मार्केट में कैश-फ्लो को नियंत्रित करने में काम आती है. दूसरे शब्दों में कहें तो बाजार में जब भी बहुत ज्यादा कैश दिखाई देता है, रिजर्व बैंक रिवर्स रेपो रेट बढ़ा देता है, ताकि बैंक ज्यादा ब्याज की चाह में अपना पैसा उसके पास जमा करें. बिल्कुल, वैसे ही जैसे आप अपना पैसा बैंक में रखते हैं.
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