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क्या वाकई Wilmar के साथ रिश्ता खत्म करना चाहते हैं Gautam Adani? मिल गया जवाब
अडानी एंटरप्राइजेज और विल्मर के बीच साझेदारी 1999 में हुई थी और इससे Adani Wilmar अस्तित्व में आई थी. यह कंपनी स्टॉक मार्केट में भी लिस्ट है.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 5 months ago
अडानी समूह (Adani Group) को लेकर हर रोज कोई न कोई खबर सामने आती रहती है. पिछले दिनों कुछ रिपोर्ट्स में बताया गया था कि गौतम अडानी (Gautam Adani) के नेतृत्व वाला समूह अडानी विल्मर (Adani Wilmar) में अपनी हिस्सेदारी बेच सकता है. यह कंपनी अडानी ग्रुप और सिंगापुर की विल्मर इंटरेनशनल का जॉइंट वेंचर है. अब इन खबरों पर अडानी समूह के चीफ फाइनेंशियल ऑफिसर (CFO) ने अपनी प्रतिक्रिया दी है.
फिलहाल आकलन जारी है
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अडानी ग्रुप के चीफ फाइनेंशियल ऑफिसर (CFO) जुगेशिंदर सिंह का कहना है कि फिलहाल यह आकलन किया जा रहा है कि विल्मर में हिस्सेदारी बरकरार रखनी है या उसे बेचना है. सिंह के इस बयान से यह तो साफ हो गया है कि गौतम अडानी अब सिंगापुर की विल्मर इंटरेनशनल के साथ जॉइंट वेंचर से बाहर निकलना चाहते हैं. इससे पहले, कुछ रिपोर्ट्स में दावा किया गया था कि अडानी समूह विल्मर में हिस्सेदारी बेचने पर गंभीर है. हालांकि, गौतम अडानी और उनकी फैमिली व्यक्तिगत क्षमता के आधार पर कंपनी में अल्पमत हिस्सेदारी बनाए रख सकती है.
किसकी, कितनी हिस्सेदारी?
अडानी समूह और सिंगापुर के विल्मर ग्रुप की पार्टनरशिप में अडानी विल्मर (Adani Wilmar) अस्तित्व में आई थी. कंपनी फॉर्च्यून ब्रैंड (Fortune Brand) नाम से खाद्य तेल और पैकेज्ड ग्रोसरी बेचती है. Adani Wilmar में हिस्सेदारी की बात करें, तो अडानी ग्रुप की 43.97% और विल्मर इंटरनेशनल की इसमें 43.97 प्रतिशत हिस्सेदारी है. जबकि कंपनी में पब्लिक शेयरहोल्डिंग 12.06 प्रतिशत है. अडानी समूह अपनी हिस्सेदारी बेचना चाहता है. यानी वो इस जॉइंट वेंचर से अलग होने का मन बना चुका है. बता दें कि अडानी विल्मर ने सितंबर तिमाही में 131 करोड़ रुपए का शुद्ध घाटा दर्ज किया था. जबकि पिछले साल की इसी तिमाही में कंपनी ने 48.76 करोड़ रुपए का शुद्ध मुनाफा कमाया था.
क्यों बेच रहे हैं हिस्सेदारी?
माना जा रहा है कि समूह इंफ्रास्ट्रक्चर पर फोकस बढ़ाना चाहता है. इसके अलावा, विल्मर का घाटा भी समूह को इसका साथ छोड़ने के लिए मजबूर कर रहा है. कंपनी को जून तिमाही में भी 79 करोड़ रुपए का घाटा हुआ था. खाने के तेल की कीमत में आई कमी और हाई-कॉस्ट इंवेंट्री के कारण उसे नुकसान का सामना करना पड़ा. अडानी विल्मर की मार्केट वैल्यू करीब 41.16 हजार करोड़ रुपए है. कंपनी ने पिछले साल IPO के जरिए 3600 करोड़ रुपए जुटाए थे. मार्केट एक्सपर्ट्स का मानना है कि Adani Wilmar पर फोकस करने के बजाए गौतम अडानी अपने कोर बिजनेस पर ध्यान देना चाहते हैं, जहां ग्रोथ की संभावना काफी ज्यादा है.
1 साल में 47.08% टूटे शेयर
विल्मर सिंगापुर की कंपनी है, जिसकी स्थापना Martua Sitorus और Kuok Khoon Hong ने सन 1991 में की थी. जबकि अडानी एंटरप्राइजेज और विल्मर के बीच साझेदारी 1999 में हुई थी और इससे Adani Wilmar अस्तित्व में आई थी. Adani Wilmar खाने के तेल से लेकर आटा, चावल, दाल-चीनी तक बेचती है. भारत में इसका मुकाबला ITC और हिंदुस्तान यूनिलीवर से है. वहीं, अडानी विल्मर के शेयर की बात करें, तो शुक्रवार को यह 0.37% की गिरावट के साथ 339.40 रुपए पर बंद हुए थे. पिछले एक साल में ये शेयर 47.08% टूट चुका है. इसका 52 वीक का हाई लेवल 668.40 रुपए है.
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