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भ्रामक विज्ञापनों पर रोक लगाने के लिए इन दो संगठनों ने मिलाया हाथ, अब होगी कड़ी कार्रवाई
ASCI (एएससीआई) के कोड और CCPA (सीसीपीए) के दिशानिर्देशों के बीच ऐसा सामंजस्य है जो विज्ञापन में ट्रांसपेरेंशी(पारदर्शिता) और निष्पक्षता को बढ़ावा देने की दिशा में एक सामूहिक प्रयास को सामने लाता है.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 1 month ago
भ्रामक विज्ञापनों को लेकर काम करने वाले उपभोक्ता मामले विभाग (डीओसीए) और भारतीय विज्ञापन मानक परिषद (एएससीआई) दोनों ही संगठन कस्टमर हितों की रक्षा के लिए साथ मिलकर काम करने का निर्णय लिया है. जब भ्रामक विज्ञापनों का मामला आता है तो इन दोनों संस्थाओं एएससीआई और केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए) का मकसद केन्द्रीय तौर पर काम करने का है.
इनकी निगरानी करती हैं ये संस्थाएं
भा्मक विज्ञापन को लेकर काम करने वाली दोनों संस्थायें विज्ञापन के क्षेत्र में एएससीआई का कोड और संबंधित दिशानिर्देश केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण द्वारा लागू कई दिशानिर्देशों के साथ मेल खाते हैं. इनमें भ्रामक विज्ञापनों, डार्क पैटर्न, प्रभावशाली दिशानिर्देश, कोचिंग संस्थान, ग्रीनवॉशिंग और बहुत कुछ से संबंधित दिशानिर्देश शामिल हैं. इसे लेकर सीसीपीए ने माना है कि भ्रामक विज्ञापनों से संबंधित एएससीआई के कोड का कोई भी उल्लंघन संभावित रूप से 2019 के उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम और इसके संबंधित दिशानिर्देशों का उल्लंघन हो सकता है.
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इसलिए, सीसीपीए ने एएससीआई से किसी भी ऐसे विज्ञापन को आगे बढ़ाने का अनुरोध किया है जो एएससीआई संहिता का पालन न करता हो और संभावित रूप से उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के साथ-साथ इसके दिशानिर्देशों का उल्लंघन करता हो. ऐसे विज्ञापनों पर उचित कार्रवाई करते हुए एएससीआई द्वारा उठाए गए ऐसे किसी भी मामले को सीसीपीए द्वारा उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 के अनुसार सख्ती से संबोधित और नियंत्रित किया जाएगा.
क्या बोले डीओसीए के सचिव
यह सहयोग विज्ञापन परिदृश्य की बढ़ती जटिलता और खासकर डिजिटल विज्ञापन के संबंध में आया है. इस विकास पर टिप्पणी करते हुए, डीओसीए के सचिव रोहित कुमार सिंह ने कहा, ‘एएससीआई के कोड और सीसीपीए के दिशानिर्देशों के बीच ऐसा सामंजस्य है जो विज्ञापन में पारदर्शिता और निष्पक्षता को बढ़ावा देने की दिशा में एक सामूहिक प्रयास को सामने लाता है. समान उद्देश्यों के साथ, सीसीपीए और एएससीआई यह सुनिश्चित करने के लिए एक दूसरे के साथ पूरक तरीकों से काम कर सकते हैं कि किसी भी उल्लंघन को प्रभावी ढंग से संबोधित किया जाए.
डिजिटल विज्ञापन द्वारा नई चुनौतियाँ पैदा की जा रही हैं, और गति बनाए रखने के लिए समान विचारधारा वाले निकायों के साथ सहयोग के दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है. सेल्फ रेगूलेटरों के साथ मिलकर काम करने वाले रेगूलेटर एक स्थापित सर्वोत्तम अभ्यास है, और हमें उम्मीद है कि इस साझेदारी के साथ, भारतीय विज्ञापन का विनियमन अधिक प्रभावी होता रहेगा, जहां सीसीपीए दिशानिर्देशों का स्वैच्छिक अनुपालन नहीं हो रहा है, या बार-बार उल्लंघन करने वालों के मामले में, सीसीपीए के पास जुर्माना और दंड लगाने की शक्तियां हैं. हम आवश्यकतानुसार उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के प्रावधानों को लागू करने से पीछे नहीं हटेंगे.
क्या बोली एएससीआई की सीईओ?
एएससीआई की सीईओ और महासचिव मनीषा कपूर ने कहा, ‘हम कई मुद्दों पर डीओसीए और सीसीपीए के साथ मिलकर काम कर रहे हैं, और हम इस रिश्ते को गहरा करने से वास्तव में खुश हैं. एएससीआई के पास विज्ञापन विनियमन में गहरी विशेषज्ञता है और हम सीसीपीए और डीओसीए को उनके विश्वास और उनके सहयोगात्मक दृष्टिकोण के लिए धन्यवाद देते हैं. एक मजबूत सेल्फ रेगूलेटर प्रणाली सभी स्टेकहोल्डरों (हितधारकों) की मदद करती है और यह साझेदारी स्व-नियमन को अगले स्तर पर ले जाने की दिशा में एक सकारात्मक कदम है.
हाल ही में इन मुद्दों को लेकर किया है काम
DoCA और ASCI ने, हाल के दिनों में, विज्ञापन से जुड़े कई मुद्दों जैसे इन्फ्लुएंसर दिशानिर्देश, ग्रीनवॉशिंग, डार्क पैटर्न और सरोगेट विज्ञापन पर संयुक्त परामर्श और सहयोग किया है, जिससे उद्योग, नागरिक समाज और नियामकों के बीच अधिक संवाद और संरेखण बनाया जा सके. दुनिया भर में विज्ञापन स्व-नियामक औपचारिक और अनौपचारिक तरीकों से सह-विनियमन के मॉडल में सरकारों के साथ मिलकर काम करते हैं. आज विज्ञापन की जटिल प्रकृति और ऑनलाइन स्थान की सीमाहीन प्रकृति को देखते हुए, प्रच्छन्न विज्ञापन, डीपफेक और घोटाले जैसे मुद्दे सामने आ रहे हैं, ऐसी साझेदारियाँ प्रभावी विज्ञापन विनियमन में महत्व प्राप्त करती हैं.
भारतीय विज्ञापन मानक परिषद (एएससीआई) के बारे में
1985 में स्थापित भारतीय विज्ञापन मानक परिषद (एएससीआई) उपभोक्ता हितों की सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए विज्ञापन में स्व-नियमन के लिए प्रतिबद्ध हैं. एएससीआई यह सुनिश्चित करना चाहता है कि विज्ञापन सेल्फ रेगूलेशन के लिए उसके कोड के अनुरूप हों, जिसके लिए प्रतिस्पर्धा में निष्पक्षता का पालन करते हुए विज्ञापनों को कानूनी, सभ्य, ईमानदार और सच्चा होना चाहिए और खतरनाक या हानिकारक नहीं होना चाहिए. एएससीआई प्रिंट, टीवी, रेडियो, होर्डिंग्स, एसएमएस, ईमेलर्स, इंटरनेट/वेबसाइट, उत्पाद पैकेजिंग, ब्रोशर, प्रचार सामग्री बिक्री बिंदु आदि जैसे सभी मीडिया में शिकायतों को देखता है. एएससीआई ने विभाग सहित विभिन्न सरकारी संस्थाओं के साथ मिलकर काम करता है.
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