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Brightcom Group पर SEBI का शिकंजा: क्या कंपनी के ऑडिटर्स सो रहे थे?
सेबी ने 2014-15 से लेकर 2019-20 तक कंपनी के खातों की जांच की और पाया कि Brightcom ने अपनी आर्थिक सेहत की सही तस्वीर पेश नहीं की.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 1 year ago
डिजिटल मार्केटिंग कंपनी Brightcom Group पर सिक्योरिटी एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया यानी सेबी ने शिकंजा कस लिया है. सेबी ने आदेश जारी करते हुए कंपनी के खातों पर जांच बैठाई है. साथ ही यह भी कहा है कि कंपनी के निदेशक फिलहाल अपने शेयर नहीं बेच सकते. दरअसल, हैदराबाद स्थित इस कंपनी के खातों में करीब 1300 करोड़ रुपए की गड़बड़ी पाई गई थी, जिसके आधार पर SEBI ने यह कार्रवाई की है.
पेश किया गलत आंकड़ा
सेबी ने 2014-15 से लेकर 2019-20 तक कंपनी के खातों की जांच की और पाया कि Brightcom Group ने अपनी आर्थिक सेहत की सही तस्वीर पेश नहीं की. SEBI के अनुसार, ब्राइटकॉम ने 2014 और 2020 के बीच अपने मुनाफे को बढ़ा-चढ़ाकर बताया और खर्चों को कम करके दिखाया. इस तरह उसने 868 करोड़ रुपए का गलत आंकड़ा पेश किया. इन्हीं गड़बड़ियों को ध्यान में रखते हुए सेबी ने फॉरेन्सिक ऑडिट कराने का आदेश दिया है.
कई जानकारी छिपाई
बाजार नियामक ने कहा है कि Brightcom Group ने कई तरह की वित्तीय जानकारियां छिपाए रखीं, उनका समय पर खुलासा नहीं किया गया. इसके साथ ही सेबी ने ब्राइटकॉम ग्रुप के ऑडिटर्स पर भी सवाल उठाए हैं. उसका कहना है कि जब कंपनी में इतनी गड़बड़ियां दिख रही थीं, तो ऑडिटर्स ने अपने ऑब्जर्वेशन और टिप्पणियों में इसका उल्लेख क्यों नहीं किया? सेबी के मुताबिक, कंपनी के ऑडिटर्स, ऑडिटिंग मानकों द्वारा आवश्यक वित्तीय विवरणों पर एक योग्य राय जारी करने में विफल रहे.
जांच में मिली ये खामियां
सेबी ने अपनी जांच में पाया कि ऑडिटर कंपनी पी. मुरली एंड कंपनी कई मोर्चों पर Brightcom Group की सही तस्वीर पेश करने में नाकाम रही. उदाहरण के तौर पर, उसने ब्राइटकॉम की विदेशी शाखाओं के ऑडिट परिणामों को शामिल नहीं किया. लेखापरीक्षकों की स्वतंत्रता से संबंधित मानदंडों का उल्लंघन किया गया. PCN एंड एसोसिएट्स, वित्तीय वर्ष 2017-2020 के ऑडिटर, पिछले ऑडिटर पी. मुरली से जुड़े रहे. पी मुरली के पार्टनर मुरली मोहन राव का ब्राइटकॉम के रजिस्ट्रार और ट्रांसफर एजेंट, आरती कंसल्टेंट्स प्राइवेट के साथ करीबी व्यापारिक संबंध थे, जो स्वतंत्रता को अनिवार्य करने वाले नियमों का उल्लंघन था. इन अयोग्यताओं के बावजूद, पी. मुरली को सितंबर 2022 से लगातार पांच वर्षों के लिए फिर से ऑडिटर नियुक्त किया गया.
प्रमोटर्स पर ये आरोप
सेबी ने अपनी जांच में यह भी पाया कि प्रमोटर्स ने कंपनी के शेयर बहुत कम भाव पर खरीदे और जब भाव ऊपर गया तो कंपनी के शेयर मुनाफे में बेच दिए. बाजार नियामक ने अब कड़ी कार्रवाई करते हुए कंपनी के डायरेक्टर, CFO, प्रमोटर ग्रुप के 2 और लोगों को शेयर बेचने से रोक दिया है. इनके शेयरों को फिलहाल फ्रीज किया गया है. सेबी के आदेश के बाद अब कंपनी को 2014-15 से लेकर 2021-22 तक खातों को नए सिरे से बनाना पड़ेगा.
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