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अब इस कंपनी में अपनी भागीदारी बेचने जा रही है BYJU’s वो भी इतने करोड़ के घाटे में
कोरोना काल कंपनी के लिए गोल्डन टाइम बनकर आया. कंपनी ने इस दौरान यूनिकॉर्न बनने के साथ-साथ टीम इंडिया की जरसी में भी जगह बनाने में कामयाब रही.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 6 months ago
संकटग्रस्त BYJU’s अमेरिका में चलाए जाने वाले डिजिटल रीडिंग एप एपिक में अपनी भागीदारी को बेचने जा रही है. कंपनी अपने टर्म लोन को चुकाने के लिए इस हिस्सेदारी को बेचने जा रही है. BYJU’s से एपिक में इस हिस्सेदारी को जोफ्रे कैपिटल को लगभग 400 मिलियन डॉलर में बेचने को लेकर बातचीत कर रही है. माना जा रहा है एपिक में अपनी भागीदारी को बेचने के बाद BYJU’s को 1.2 बिलियन के कर्ज को चुकाने में काफी मदद मिलेगी.
इन लोगों ने भी खरीद को लेकर दिखाई है दिलचस्पी
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, डीलमेकर्स मोएलिस एंड कंपनी एपिक के लिए बिक्री प्रक्रिया चला रही है. माना जा रहा है कि आने इस महीने के आखिरी में ये पूरी डील क्लोज हो सकती है. हालांकि अभी इस खबर की पुष्टि नहीं हुई है. BYJU’s ने एपिक को 500 मिलियन डॉलर में खरीदा था. यूएस स्थिति कंपनी एपिक अपने इस ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर 40,000 से अधिक डिजिटल पुस्तकों को मुहैया कराती है.
इस हफ्ते ही आए हैं कंपनी के नतीजे?
कंपनी एक साल तक अपने नतीजे जारी नहीं कर पाई. लेकिन उसके बाद एक हफ्ता पहले कंपनी ने 21-22 के नतीजे जारी किए हैं. इसमें कंपनी का राजस्व 3569 करोड़ और नुकसान 2406 करोड़ रुपये रहा है. BYJU’s को कई तरह की नियामक जांचों से भी गुजरना पड़ा है. यही नहीं नतीजे जारी होने के एक हफ्ते पहले कंपनी के चीफ फाइनेंस अधिकारी अजय गोयल ने इस्तीफा दे दिया था. यही नहीं कंपनी चीफ ऑडिटर ने भी इस्तीफा दे दिया था. कई कर्मचारी कंपनी लेकर ये भी कह चुके हैं कि वो ईपीएफओ का भुगतान नहीं कर रही है. लेकिन जब इस मामले में ईपीएफओ ने मामले की जांच की तो उसके बाद कर्मचारियों का पैसा जमा करा दिया गया.
क्यों संकट में आई BYJU’s?
दरअसल 2020 में कोरोना आने के बाद कंपनी को बड़ा मुनाफा हुआ. 2011 में शुरू हुआ ये वेंचर 2018 में सबसे बड़ी वैल्यूएशन वाली एडटेक फर्म बनते हुए यूनिकार्न बन गई. ये कंपनी के लिए वो समय रहा जब उसने एजुकेशन सेक्टर की कई दूसरी कंपनियों जैसे आकाश, आई रोबोट ट्यूटर, हैशलर्न व्हाइट जूनियर, और टॉपर जैसी कई कंपनियों का अधिग्रहण किया. लेकिन कोरोना खत्म होने के बाद जैसे ही कोचिंग और क्लॉस शुरू हुए तो कंपनी घाटे में आ गई. कंपनी का घाटा बढ़ता ही गया. तब से शुरू हुआ संकट का दौर अभी भी जारी है
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