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STARTUP और उनके प्रमोटर को भी रिस्क के बारे में गंभीरता से सोचना चाहिए: पूर्व सेबी प्रमुख

हम डिजिटाइजेशन के बढ़ने पर जश्न मनाते है लेकिन हमे अपनी साइबर सिक्योरिटी को बढ़ाने पर भी काम करना चाहिए.

बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 1 year ago

नई दिल्ली: सेबी के पूर्व प्रमुख एम दामोदरन ने कहा है कि स्टार्टअप को ही नहीं बल्कि उनके प्रमोटर को भी अपनी रणनीति के बारे में गंभीरता से सोचना चाहिए. उन्होंने कहा कि जब वो कोई प्रोडक्ट मार्केट में लाते है तो उन्‍हें उसके हर तरह के रिस्क के बारे में सोचना चाहिए. ये बात उन्होंने नई दिल्ली में 'मॉडल रिस्क कोड' प्लेबुक को लॉन्च करने के बाद कही. मॉडल रिस्क कोड ग्लोबल रिस्क मैनेजमेंट एजेंसी की स्टडी है, जिसे 25000 से ज्‍यादा इंडस्‍ट्री से जुड़े लोगों के अनुभव के साथ बनाया गया है. यह इवेंट 24 नवंबर, 2022 को नई दिल्ली स्थित FICCI फेडरेशन हाउस में आयोजित किया गया.

क्‍या है मॉडल कोड रिस्‍क 
मॉडल कोड ऑफ रिस्‍क में ये बताने की कोशिश की गई है कि जब कंपनियों के सामने संकट आता है तो उन्‍हें उससे कैसे निपटना चाहिए. इसे बनाने वाली टीम ने अलग-अलग लोगों से बात करके कोरोना के दौरान बनाया है. इसे लॉन्‍च करने के बाद एम दामोदरन ने कहा कि हमें दुख है कि हम इस कोड को बनाते हुए लोगों से सीधे तौर पर नहीं मिल पाए.

इस प्लेबुक का लेखक कौन है?
'मॉडल रिस्क कोड' को GRMI के फाउंडर और CEO सुभाषीश नाथ ने लिखा है. उन्होंने इस प्लेबुक को सेबी के पूर्व अध्यक्ष एम. दामोदरन के नेतृत्व वाली एक 18 सदस्यीय रिस्क टास्कफोर्स के मार्गदर्शन में लिखा है. 'मॉडल रिस्क कोड' प्लेबुक को जारी करने के लिए FICCI और GRMI ने एक-दूसरे के साथ पार्टनरशिप की है.

कोरोना ने समझाया रिस्‍क का मतलब 
प्रोफेसर राजन सक्‍सेना ने कहा कि रिस्क के बारे में हमारे देश में तब समझ में आया जब कोरोना सामने आया. आज पैसा बड़ी संख्या में एजुकेशन कैंपस की बिल्डिंग को बनाने पर इन्वेस्ट किया जा रहा है. उसमें वो नहीं पढ़ाया जा रहा है, जिसकी आज इंडस्‍ट्री को जरूरत है. अच्‍छे टैलेंट के बाहर न आने की जिम्मेदारी इंडस्ट्री को भी लेनी पड़ेगी. आज इंडस्ट्री जिसे ले रही है क्या वो रिस्क मैनेजमेंट के बारे में जानता है. स्टूडेंट को भी डिमांड करनी पड़ेगी की उन्हें क्या जरूरत है. 

जियोपॉलिटिकल स्थिति जाने बिना रिस्‍क असेसमेंट नहीं 
कार्यक्रम में पहुंची अनीता जॉर्ज ने कहा कि जब मैं अपने करियर को देखती हूं तो समझ में आता है कि हम और अच्छा कर सकते थे. 80 प्रतिशत इंटेलीजेंस दूसरी चीजों में लग रही है. आज में ये नहीं सोच सकती कि कोई कंपनी बिना पर्यावरण आंकलन, सहित तमाम परिस्थितियों के बारे में सोचे बिना आगे बढ़ सकती है. आज जियोपॉलिटिकल लेवल पर क्या हो रहा है हम उसे जाने और समझे बिना रिस्क का आंकलन नहीं कर सकते है. 2017 में हमने पब्लिक में जाने का फैसला किया ये कहकर कि हम अपनी कमिटमेंट और ग्रीन अप्रोच को और बढ़ाए. हम डिजिटाइजेशन के बढ़ने पर जश्न मनाते है लेकिन हमें अपनी साइबर सिक्योरिटी को बढ़ाने पर भी काम करना चाहिए. 

GRMI के बारे में
GRMI (GLOBAL RISK MANAGEMENT INSTITUTE) एक विशेष संस्थान है, जो रिस्क मैनेजमेंट को सही दिशा देने के लिए दुनिया भर में रिस्क स्पेशलाइजेशन के अन्य केंद्रों के साथ मिलकर काम करता है. इस संस्थान ने एक ऐसा करिकुलम बनाया है जो इंटरप्राइस रिस्क, फाइनेंशियल और ऑपरेशन के सभी पहलुओं तक फैला हुआ है और सभी प्रमुख इंडस्ट्री वर्टिकल्स को इनसाइट्स प्रदान करता है. GRMI 5000 घंटे से भी ज्यादा समय के लिए क्लासेज ले चुका है. इनके पास 70 इंडस्ट्री और एकेडमिक एक्सपर्ट्स हैं. यह 60 सालों से रिस्क कंसल्टिंग कर रहा है. GRMI का विजन दुनिया का प्रमुख रिस्क मैनेजमेंट एजुकेशनल इंस्टीट्यूट बनना, टॉप के ग्लोबल टैलेंट को आकर्षित करना और भविष्य के कॉर्पोरेट और सार्वजनिक क्षेत्र के लीडर्स को दिशा देकर ग्लोबल इकोनॉमी को प्रभावित करना है.


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