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NCLT ने बरकरार रखी इस विमान कंपनी की ट्रांसफर ऑफ ओनरशिप,इसे मिला मालिकाना हक
एनसीएलटी के इस आदेश से उन कर्मचारियों को बड़ी राहत मिली है जो इस पूरी दिवालिया प्रक्रिया के कारण वित्तीय परेशान का सामना कर रहे हैं.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 1 month ago
एविएशन सेक्टर की कंपनी जेट एयरवेज को लेकर बड़ी खबर एनसीएलटी (नेशनल कंपनी लॉ एपीलेट ट्राइब्यूनल) से आ रही है. एनसीएलटी ने जेट एयरवेज के मालिकाना हक के ट्रांसफर को बरकरार रखा है. जेट एयरवेज का मालिकाना हक जालान कलरॉक कंसोर्टियम (JKC) को ट्रांसफर हुआ है. एनसीएलटी ने एक साल बाद इस ओनरशिप को ट्रांसफर किया है.
जेट एयरवेज और जेकेसी के कर्जदाताओं के बीच है विवाद
दरअसल मालिकाना हक को लेकर जेट एयरवेज(Jet Airways) और जेकेसी के कर्जदाताओं के बीच लंबे समय से विवाद चला आ रहा है. 2019 में जेट एयरवेज के बंद होने के बाद इसके प्रशासकों को लेंडरों ने 78 करोड़ रुपये के कर्ज का दावा किया था. इसके बाद एनसीएलटी ने 350 करोड़ रुपये की पहली किश्त के भुगतान के लिए 150 करोड़ रुपये की बैंक गारंटी को मिलाने की अनुमति दे दी थी.
NCLT ने 150 करोड़ को लेकर दी ये दलील
एनसीएलटी ने 150 करोड़ रुपये के अमाउंट के समायोजन को लेकर कहा कि इसे 350 करोड़ के अमाउंट में मिलाया जाएगा क्योंकि एसआरए 200 करोड़ रुपये का भुगतान पहले ही कर चुका है. जबकि जनवरी में शीर्ष अदालत ने इस मामले के बाकी पहलुओं पर हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया था. लेकिन उसने 150 करोड़ के समायोजन की बात को खारिज कर दिया था. अदालत ने जेकेसी को आदेश दिया था कि वो एक निर्दिष्ट खाते में 150 करोड़ रुपये जमा कराए. एनसीएलटी का इस आदेश के पीछे जेट एयरवेज के उन कर्मचारियों की मदद करना है जिन्हें दिवालिएपन की परेशानी के कारण पैसे की समस्या का सामना करना पड़ रहा है.
सितंबर में जेकेसी ने जमा किए थे 200 करोड़ रुपये
सितंबर में जेकेसी ने दो किश्तों में 200 करोड़ रुपये जमा किए थे. इस पूरे मामले में कर्जदाताओं ने कहा था कि जेकेसी ने हवाई अड्डे के पैसे जमा करने से लेकर पहली किश्त के भुगतान तक समाधान योजना की शर्तों का पालन नहीं किया है. पिछले हफ्ते एससी ने जेकेसी की याचिका को खारिज कर दिया था. सुप्रीम कोर्ट में एनसीएलटी के उस आदेश को चुनौती दी गई थी जिसने जेट एयरवेज के विमानों की बिक्री की अनुमति दी गई थी.
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