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चुनावी शोर थमने का है इंतजार, इन 6 बैंकों में हिस्सेदारी बेचने की तैयारी कर रही सरकार!
रिपोर्ट्स की मानें तो मोदी सरकार छह बैंकों में अपनी हिस्सेदारी बेचने के लिए एक विस्तृत रोडमैप तैयार करवा रही है.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 6 months ago
चुनावी मौसम में नुकसान की आशंका से भले ही मोदी सरकार (Modi Government) बैंकों के निजीकरण (Bank Disinvestment) पर खामोश है, लेकिन चुनाव बाद इस पर तेजी से काम हो सकता है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, केंद्र सरकार पब्लिक सेक्टर के कई बैंकों में अपनी हिस्सेदारी बेचने की योजना बना रही है. मोदी सरकार कम से कम छह सरकारी बैंकों में अपनी 5-10% हिस्सेदारी बेच सकती है. इसके लिए बाकायदा एक विस्तृत रोडमैप भी तैयार किया जा रहा है. रिपोर्ट्स में उन बैंकों के नाम भी सामने आए हैं, जिनमें सरकार अपनी हिस्सेदारी बेच सकती है.
इन बैंकों का नाम आया सामने
मोदी सरकार आने वाले समय में ऐसे 6 सरकारी बैंक, जिनमें उसकी हिस्सेदारी 80% से अधिक इक्विटी की है, उनमें 10% तक हिस्सेदारी बेच सकती है. बैंक ऑफ इंडिया, पंजाब एंड सिंध बैंक, बैंक ऑफ महाराष्ट्र, इंडियन ओवरसीज बैंक, यूको बैंक और सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया में सरकार की 80% से अधिक हिस्सेदारी है. जिसका सीधा मतलब है कि इन बैंकों में सरकार अपनी हिस्सेदारी बेच सकती है. बता दें कि मोदी सरकार शुरुआत से ही सरकारी संपत्तियों के निजीकरण पर जोर देती आई है. कई सरकारी कंपनियों को केंद्र निजी हाथों में सौंपने की योजना पर आगे बढ़ रहा था, लेकिन चुनावी माहौल में नुकसान की आशंका के चलते विनिवेश की रफ्तार को धीमा कर दिया गया.
बेहतर हुआ बैंकों का प्रदर्शन
रिपोर्ट्स में सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि सरकार इन बैंकों में अपनी हिस्सेदारी की बिक्री ऑफर-फॉर-सेल (OFS) के जरिए कर सकती है. दरअसल, सरकारी बैंकों ने पिछले कुछ वक्त में काफी अच्छा प्रदर्शन किया है. इन बैंकों के NPA में भी कमी आई है, जिस वजह से स्टॉक मार्केट में बैंकों के शेयर मजबूती के साथ आगे बढ़ रहे हैं. मोदी सरकार पब्लिक सेक्टर बैंकों की शेयर कीमतों में आई इसी मजबूती का फायदा उठाना चाह रही है. पिछले वर्ष निफ्टी प्राइवेट बैंक इंडेक्स में 6.9% की वृद्धि के मुकाबले निफ्टी पीएसयू बैंक इंडेक्स में 34% की वृद्धि आई है, जो दर्शाता है कि सरकारी बैंकों के शेयर कितनी तेजी से उछल रहे हैं.
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