होम / बिजनेस / ईरान-इज़रायल में जंग, भारत में "जलाएगा" तेल?
ईरान-इज़रायल में जंग, भारत में "जलाएगा" तेल?
इजरायल और ईरान के बीच युद्ध छिड़ने की स्थिति में दुनिया के कई देशों के इसमें कूदने से इंकार नहीं किया जा सकता.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 1 month ago
इजरायल और ईरान (Israel-Iran) के बीच हालात सुधरने के बजाए बिगड़ते जा रहे हैं. ईरान के इजरायल पर मिसाइलों से हमला बोलने के बाद इस संघर्ष के युद्ध में तब्दील होने की आशंका बढ़ गई है. यदि दोनों देशों में युद्ध होता है, तो इसकी आंच से पूरी दुनिया प्रभावित होगी. क्योंकि ये लड़ाई महज दो देशों तक ही सीमित नहीं रह जाएगी. भारत, इजरायल-ईरान के हालात पर करीब से नजर रखे हुए है. भारत के दोनों ही देशों से व्यापारिक संबंध हैं. कई भारतीय कंपनियों की इजरायल में मौजूदगी है. जाहिर है, ऐसे में स्थिति बिगड़ने पर उन्हें बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है.
Adani के पास है Haifa Port
अडानी समूह की कंपनी अडानी पोर्ट्स के साथ-साथ सन फार्मा, Lupin, विप्रो, टेक महिंद्रा, इंफोसिस, L&T, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, Dr. Reddy's Laboratories, इंडियन ऑयल कारपोरेशन की भी इजरायल में मौजूदगी है. इसके अलावा, NMDC, कल्याण ज्वेलर्स और टाइटन आदि कंपनियों का भी इजरायल से कनेक्शन है. अरबपति कारोबारी गौतम अडानी (Gautam Adani) की कंपनी अडानी पोर्ट्स (Adani Ports) ने करीब 2 साल पहले इजरायल में हाइफा पोर्ट (Haifa Port) के प्राइवेटाइजेशन को लेकर एक टेंडर जीता था. इस डील में अडानी पोर्ट्स, इजरायल के गादोत समूह की पार्टनर है. यह डील 1.18 अरब डॉलर में हुई थी. इसमें अडानी की हिस्सेदारी 70 प्रतिशत और गादोत समूह का 30 प्रतिशत है.
इन कंपनियों का भी है रिश्ता
सन फार्मा ने 2019 में Taro Pharma में कुछ हिस्सेदारी खरीदी थी, बाद में उसने इस इजरायली कंपनी में बहुमत हिस्सेदारी हासिल कर ली. इसके अलावा, कंपनी इजरायल की रिसर्च यूनिवर्सिटी Weizmann Institute of Science के साथ भी मिलकर काम करती है. इसी तरह, Dr Reddy's Laboratories ने पिछले साल इजरायल की बायोटेक कंपनी Edity में 6.5% हिस्सेदारी खरीदी थी. L&T यानी Larsen & Toubro की बात करें, तो उसका जेरूसलम में एक रिसर्च एंड डेवलपमेंट (R&D) सेंटर है. साथ ही कंपनी ने 2017 में तेल अवीव में एक सेल्स ऑफिस भी खोला था. इसी तरह, भारत के सबसे बड़े सरकारी बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) ने 2007 में इजरायल की राजधानी Tel Aviv में अपनी एक ब्रांच शुरू की थी.
ये भी पढ़ें - Iran-Israel Tension: पहले से भाव दिखा रहे सोने की चमक में आएगा और निखार, ये है बड़ी वजह
TCS 2005 से है वहां मौजूद
Tata Consultancy Services (TCS) 2005 से इजरायल में मौजूद है. पिछले साल कंपनी ने घोषणा की थी कि उसे इजरायल के पहले डिजिटल बैंक के लिए प्लेटफॉर्म तैयार करना है. इसी तरह, इंफोसिस, टेक महिंद्रा और विप्रो का भी इजरायल कनेक्शन है. इन कंपनियों ने 2015 से 2016 के दौरान इजरायल की कंपनियों के अधिग्रहण के साथ ही वहां अच्छा-खासा निवेश किया है. इंफोसिस ने कुछ साल पहले इजरायल की कंपनी Panaya का अधिग्रहण किया था. जबकि विप्रो ने इजरायल की वेंचर कैपिटल फर्म TLV Partners में पैसा लगाया हुआ है.
IOC ने बनाया है जॉइंट वेंचर
इंडियन ऑयल कारपोरेशन (IOC) ने 2021 में इजरायली स्टार्टअप Phinergy के साथ एक जॉइंट वेंचर लॉन्च किया था. इसका मकसद एलुमिनियम-एयर बैटरी सिस्टम निर्मित करने के साथ ही ग्रीन मोबिलिटी को बढ़ावा देना है. TCS के अलावा, टाटा ग्रुप ने भी इजरायल में इन्वेस्टमेंट किया हुआ है. कुछ दूसरी कंपनियों की बात करें, तो 2017 में भारत की Saisanket Enterprises ने इजरायल की लीडिंग मेटल पार्ट्स और मेटल डिवाइस निर्माता कंपनी Shtula का अधिग्रहण किया था. 2018 में लोहिया ग्रुप ने इजरायल की डिफेंस कंपनी लाइट एंड स्ट्रांग को अपना बनाया था. मार्च 2022 में ओला इलेक्ट्रिक ने इजरायल की बैटरी टेक्नोलॉजी कंपनी StoreDot में 5 मिलियन डॉलर का इन्वेस्टमेंट किया था.
लाल निशान पर कंपनियों के शेयर
इजरायल- ईरान संघर्ष के चलते हमारा शेयर बाजार लाल निशान पर कारोबार कर रहा है. इजरायल से कनेक्शन वाली कंपनियों के शेयरों में भी गिरावट है. सोमवार सुबह साढ़े 11 बजे के आसपास अडानी पोर्ट्स के शेयर करीब 2 प्रतिशत की नरमी के साथ 1,321.15 रुपए पर कारोबार कर रहे थे. इसी तरह, सन फार्मा के शेयरों में 0.46% की गिरावट आ चुकी थी. Lupin के शेयर भी 1 प्रतिशत से अधिक की गिरावट के साथ 1,604.25 रुपए पर ट्रेड कर रहे थे. टाटा समूह की आईटी कंपनी TCS के शेयर 0.94% लुढ़ककर 3,963.90 रुपए पर पहुंच गए थे. इसी तरह, विप्रो, इंफोसिस और टेक महिंद्रा के स्टॉक भी लाल निशान पर कारोबार करते नजर आए.
इस वजह से बिगड़े हैं हालात
युद्ध जैसे हालात निर्मित होने के पीछे इजरायल की एक एयरस्ट्राइक है. बताया जा रहा है कि एक अप्रैल को इजरायल ने सीरिया में ईरानी एंबेसी के पास एयरस्ट्राइक की थी. इस हमले में ईरान के दो टॉप आर्मी कमांडर्स सहित कुल 13 लोगों की मौत हुई थी. इसका बदला लेने के लिए अब ईरान ने इजराइल पर मिसाइलों से हमला किया है. इस लड़ाई में इजरायल को अमेरिका का समर्थन प्राप्त है, लेकिन ईरान का साथ देने वालों की भी कमी नहीं है. ऐसे में यह युद्ध पूरी दुनिया के लिए संकट बन सकता है. इससे कई देशों की अर्थव्यवस्था प्रभावित हो सकती है.
टैग्स