Iran-Israel Tension: पहले से भाव दिखा रहे सोने की चमक में आएगा और निखार, ये है बड़ी वजह

माना जा रहा है कि ईरान और इजरायल के बीच चल रहे संघर्ष से दुनियाभर में सोने की कीमतों में उछाल आ सकता है.

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Monday, 15 April, 2024
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ईरान-इजरायल (Iran-Israel) के बीच तनाव से दुनिया युद्ध (World War) की दहलीज पर पहुंच गई है. ऐसे में जहां दुनियाभर के शेयर बाजारों (Stock Market) में हाहाकार की आशंका व्यक्त की जा रही है. वहीं, सोने की कीमतों (Gold Price) में उछाल की संभावना है. यानी सोने में निवेश करने वालों को आने वाले दिनों में बड़ा फायदा मिल सकता है. घरेलू बाजार में सोना पहले से ही अपने नए ऑल टाइम हाई पर है. माना जा रहा है कि भारतीय सर्राफा बाजार में सोना एक लाख रुपए प्रति 10 ग्राम का आंकड़ा छू सकता है. बीते शुक्रवार को सोना 73174 रुपए प्रति 10 ग्राम पर बंद हुआ था. इसी तरह, चांदी भी 83819 रुपए प्रति किलो पर पहुंच गई.

इतने बढ़ सकते हैं दाम
एक्सपर्ट्स का कहना है कि इजरायल-ईरान के बीच चल रही टेंशन की वजह से दुनियाभर में जो परिस्थितियां बन रही हैं, उसके चलते सोने की कीमत में आग लग सकती है. ग्लोबल फर्म गोल्डमैन सैक्स ने अनुमान जताया है कि इस साल के अंत तक सोना 2,700 डॉलर प्रति औंस के पार जा सकता है, जबकि पहले यह अनुमान 2,300 डॉलर का था. वहीं, कुछ विशेषज्ञ इसके 3000 डॉलर तक पहुंचने का अनुमान लगा रहे हैं. मौजूदा समय में अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने का भाव रिकॉर्ड 2,424.32 डॉलर प्रति औंस से आगे निकल गया है. इसी तरह, चांदी की कीमत भी 29.60 डॉलर प्रति औंस पहुंच गई है.

इस वजह से चढ़ेंगी कीमतें
इजरायल-ईरान संघर्ष से सोने की कीमतों में आग लगने की आशंका इसलिए जताई जा रही है कि भविष्य की अस्थिरता को देखते हुए Gold में निवेश बढ़ेगा. जब डिमांड ज्यादा हो और सप्लाई लिमिटेड, तो कीमतों में उछाल आना स्वभाविक है. जानकारों का कहना है कि मुश्किल समय में लोग सोने में सबसे ज्यादा निवेश करते हैं, यह उनके लिए इंश्योरेंस की तरह काम करता है. इजरायल-ईरान तनाव और पहले से चल रहे इजरायल-हमास संघर्ष के कारण जियोपॉलिटिकल तनाव लंबे समय तक देखने को मिल सकता है. इस वजह से ग्लोबल सप्लाई चेन और वित्तीय बाजार प्रभावित हो सकते हैं. ऐसी स्थिति में लोग अपना जोखिम कम करने के लिए सोने में अपना निवेश सकते हैं. 

जमकर हो रही खरीदारी
एक रिपोर्ट बताती है कि पूरी दुनिया के केंद्रीय बैंक सोने की जमकर खरीदारी कर रहे हैं. 2022 और 2023 में उन्होंने 1000 टन से अधिक सोना खरीदा है. इस साल अकेले जनवरी में यह आंकड़ा 39 टन रहा है. चीन का सेंट्रल बैंक पिछले कुछ महीनों से लगातार गोल्ड खरीद रहा है. इसी एक साथ उसका गोल्ड रिजर्व बढ़कर 2,245 टन पहुंच चुका है. यह अक्टूबर 2022 की तुलना में लगभग 300 टन अधिक है. चीन में आम जनता भी सोने में निवेश बढ़ा रही है. चीन को दुनिया में सोने का सबसे बड़ा खरीदार माना जाता है. एक्सपर्ट्स का मानना है कि यदि वैश्विक स्तर पर हालात जल्द सामान्य नहीं हुए, तो सोने की कीमतों में लगातार इजाफा देखने को मिलेगा.


दौलत के पहाड़ पर बैठे हैं Google के इंडियन बॉस, Pichai की संपत्ति जान पैरों तले खिसक जाएगी जमीन  

गूगल के शेयरों के भारी उछाल ने सुंदर पिचाई को दुनिया के सबसे ज्यादा कमाई वाले सीईओ की लिस्ट में शामिल कर दिया है.

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Thursday, 02 May, 2024
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गूगल के इंडियन बॉस सुंदर पिचाई (Google Boss Sundar Pichai) ने अपने टैलेंट का ऐसा जलवा बिखेरा है कि कंपनी सफलता की नई ऊंचाई पर पहुंच गई है. पिचाई के कार्यकाल में गूगल के शेयरों में 400 फीसदी से अधिक की वृद्धि दर्ज हुई है. कंपनी की आर्थिक सेहत भी पहले से बेहतर हुई है. जाहिर है, इसका फायदा सुंदर पिचाई को भी हुआ है. उनकी दौलत का पहाड़ अब और भी ज्यादा ऊंचा हो गया है. पिचाई दुनिया के सबसे ज्यादा कमाई करने वाले सीईओ में शुमार हैं. 

AI को दिया है बढ़ावा 
पिचाई ने गूगल में AI को बढ़ावा दिया है, जिसकी वजह से कंपनी की आर्थिक ग्रोथ तेज हो गई है. निवेशक कंपनी पर पहले से ज्यादा विश्वास करने लगे हैं. सुंदर पिचाई अगस्त 2015 में गूगल के सीईओ बने थे. तब से अब तक कंपनी के शेयरों में 400 फीसदी से अधिक उछाल आ गया है. Google का शेयर एसएंडपी 500 और नैस्डैक से बेहतरीन प्रदर्शन कर रहा है. शेयरों के भारी उछाल ने सुंदर पिचाई को दुनिया के सबसे ज्यादा कमाई करने वाले सीईओ की लिस्ट में शामिल कर दिया है. उनकी संपत्ति लगभग एक अरब डॉलर हो गई है.  

पिचाई के पास इतने शेयर
पिचाई की कुल संपत्ति में मौजूदा शेयरों का मूल्य 424 मिलियन डॉलर है. उन्होंने CEO बनने के बाद जो शेयर बेचे थे उनका मूल्य लगभग 600 मिलियन डॉलर था. माना जाता है कि बेचे गए शेयरों पर टैक्स चुकाने के बाद उन्हें फिर से शेयर बाजार में निवेश कर दिया गया. पिचाई के CEO बनने के बाद से Google के प्रोडक्ट पोर्टफोलियो में लगातार विस्तार हुआ है. इसमें Google Assistant, Google Home, Google Pixel और Google Workspace शामिल हैं. सुंदर AI को अपनाने वालों में सबसे आगे रहे हैं, जिसका फायदा कंपनी को मिला है. हालांकि, उनके AI प्रोजेक्ट की आलोचना भी हुई है और OpenAI के साथ प्रतिस्पर्धा करने की उनकी काबिलियत पर सवाल भी उठे हैं. लेकिन पिछले हफ्ते की कमाई ने संकेत दिया कि कंपनी को AI में किए गए निवेश का अब फायदा मिलना शुरू हो गया है.

आलीशान घर के मालिक 
भारतीय मूल के सुंदर पिचाई का वास्तविक नाम सुंदरराजन है. तमिलनाडु के मदुरै में 1972 में जन्मे पिचाई चेन्नई में पले-बढ़े. उनकी मां लक्ष्मी एक स्टेनोग्राफर और पिता रघुनाथ पिचाई इलेक्ट्रिकल इंजीनियर थे. उनका परिवार एक छोटे से दो कमरों वाले अपार्टमेंट में रहता था. उनके पास टेलीविजन या कार जैसी सुविधाएं नहीं थीं. कभी-कभी उनके घर में पानी भी नहीं होता था. आज उनके पास दौलत की कोई कमी नहीं है. वह कैलिफोर्निया के लॉस अल्टोस में सांता क्लारा की पहाड़ी पर स्थित आलीशान घर में रहते हैं. करीब 31.17 एकड़ में फैले इस घर का शानदार इंटीरियर सभी को आकर्षित करता है. घर का इंटीरियर उनकी पत्नी अंजलि पिचाई द्वारा डिजाइन किया गया था. एक अनुमान के मुताबिक, पिचाई के घर की कीमत 40 मिलियन डॉलर के आसपास है.

लग्जरी कारों का कलेक्शन
सुंदर पिचाई के पास कई लग्जरी कारें हैं. इसमें Mercedes-Maybach S650 भी शामिल है, जिसकी कीमत 3.21 करोड़ है. इसके अलावा उनकी कारों के कलेक्शन में पोर्श, बीएमडब्ल्यू और रेंज रोवर भी शामिल हैं. बता दें कि IIT खड़गपुर में इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद, सुंदर पिचाई को अमेरिका के स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय से स्कॉलरशिप मिली थी. उन्होंने पेंसिल्वेनिया विश्वविद्यालय के व्हार्टन स्कूल से MBA किया है. मैककिन्से में सलाहकार के रूप में काम करने के बाद 2004 में पिचाई प्रोडक्ट मैनेजर के रूप में Google से जुड़े और यहां से उनकी जिंदगी बदलती चली गई. अपने इस प्रोफाइल में उन्होंने Google टूलबार और Google Chrome के लिए काम किया था.

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फ्रांस के इस बैंकिंग समूह ने बताया Bharat के लिए क्यों जरूरी है Modi 3.0 

देश इस समय लोकसभा चुनाव से गुजर रहा है. 7 चरणों के इस चुनाव के 2 चरण हो चुके हैं. इसके नतीजे 4 जून को आएंगे.

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Thursday, 02 May, 2024
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मोदी सरकार (Modi Govt) की वापसी यानी Modi 3.0 की आस केवल बीजेपी या उसके समर्थकों को ही नहीं है, बल्कि तमाम एक्सपर्ट्स और वैश्विक संस्थाएं मानते हैं कि भारत के आर्थिक विकास के लिए मोदी का सत्ता में लौटना जरूरी है. उन्हें लगता है कि आर्थिक सुधारों की दिशा में मोदी सरकार ने अब तक जो काम किए हैं, उन्हें गति देने के लिए उनका सत्ता में लौटना जरूरी है. 

इस तरह मिलेगा फायदा
मोदी सरकार भारत को मैन्युफैक्चरिंग बनाने की दिशा में काम कर रही है. विदेशी कंपनियों को लुभाने के साथ ही सरकार स्थानीय कंपनियों के हितों का भी ख्याल रख रही है और उसमें उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (PLI Scheme) योजना ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. तमाम निवेशकों को लगता है कि इस योजना को और बेहतर ढंग से क्रियान्वित करने के लिए मोदी को तीसरा कार्यकाल मिलना चाहिए. फ्रांस के बैंकिंग समूह सोसियाते जेनेराली (Societe Generale) ने एक रिपोर्ट में कहा है कि पीएलआई बेहतर ढंग से लागू होने पर भारत एक्सपोर्ट हब बन सकेगा. साथ ही सार्वजनिक पूंजीगत व्यय में वृद्धि होगी और सरकार संचालित उद्यमों का निजीकरण होगा.

...तो आ सकती है गिरावट 
सोसियाते जेनेराली को भी लगता है कि लोकसभा चुनाव में भाजपा को जीत मिलेगी. उसकी रिपोर्ट में कहा गया है कि जनमत सर्वेक्षणों में आम सहमति से BJP के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में वापसी की उम्मीद जताई गई है. शेयर बाजार भी इसी उम्मीद के साथ आगे बढ़ रहा है. लेकिन यदि सरकार में बदलाव होता है, तो 2004 की तरह अल्प अवधि में शेयर बाजार में गिरावट आ सकती है. ऐसे में महत्त्वपूर्ण यह है कि मध्यम अवधि के लिए सरकार स्थिर रहे.

सरकार की महत्वपूर्ण उपलब्धि
फ्रांस के बैंकिंग समूह ने कहा कि 2018-19 के बाद निवेश चक्र में बदलाव जारी है. हालांकि, कोरोना महामारी के दौरान 2020 और 2021 में इसमें जरूर  बाधा आई थी. Societe Generale में कहा गया है कि यह मोदी सरकार की महत्त्वपूर्ण उपलब्धि है कि उसने पिछले चार साल में पूंजीगत व्यय को करीब 100% बढ़ा दिया है. आने वाले समय में सरकार को राजकोषीय घाटे को 3% के दायरे में रखने के लिए वृद्धि की दर को कम करना पड़ सकता है. रिपोर्ट के मुताबिक, पीएलआई योजना से करीब 100 अरब डॉलर की बिक्री की गई है. हालांकि, यह बिक्री इस योजना की शुरुआत के अनुमान से करीब 20 फीसदी कम है. वैसे Apple आईफोन के अच्छे निर्यात और टेस्ला से संभावित बातचीत अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सरकार की कुछ उल्लेखनीय सफलताएं हैं. 

2020 में हुई थी शुरुआत 
बता दें कि भारत एक इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग के प्रमुख स्थान के रूप में उभर रहा है. इस क्षेत्र से जुड़ीं दुनियाभर की कंपनियां भारत आ रही हैं. मोबाइल फोन के लिए PLI योजना की सफलता को देखते हुए पिछले साल आईटी हार्डवेयर के लिए पीएलआई 2.0 को मंजूरी दी गई थी. देश में मोबाइल फोन उत्पादन बढ़ाने के लिए सरकार ने पहली बार 2020 में PLI योजना की शुरुआत की थी. इससे इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण क्षेत्र को बड़े पैमाने पर बढ़ावा मिला है. भारत आज दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल फोन निर्माता है और इसमें PLI योजना का बड़ा योगदान है. मोबाइल फोन का निर्यात इस साल 11 अरब अमेरिकी डॉलर यानी करीब 90 हजार करोड़ रुपए के आंकड़े को पार कर गया है.

आखिर क्या है PLI योजना?
मोदी सरकार ने घरेलू उत्पादन को बढ़ाने और आयात बिल कम करने के लिए 2020 में प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव स्कीम यानी PLI योजना की शुरुआत की गई थी. इस योजना के तहत सरकार कंपनियों को भारत में बने उत्पाद की बिक्री के आधार पर इंसेंटिव देती है. योजना का उद्देश्य घरेलू कंपनियों को देश में अपना उत्पादन बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करना है. इस योजना के तहत विदेशी कंपनियों को भारत में अपना कारोबार स्थापित करने के लिए विशेष रियायत दी जाती है. विदेशी कंपनियों को कैश इंसेंटिव प्राप्त होता है.

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Stock Market: बाजार की चाल का तो नहीं पता, लेकिन आज ये शेयर करा सकते हैं कमाई!

शेयर बाजार की चाल आज कैसी रहेगी सटीक तौर पर कहना मुश्किल है, लेकिन कुछ शेयरों में तेजी के संकेत जरूर मिले हैं.

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Thursday, 02 May, 2024
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शेयर बाजार (Stock Market) पिछले कारोबारी सत्र में गिरावट के साथ बंद हुआ था. उसके बाद यानी कल महाराष्ट्र दिवस के उपलक्ष्य में बाजार में छुट्टी रही. गुरुवार और शुक्रवार इन 2 दिन बाजार में ट्रेडिंग होगी. फिर शनिवार और रविवार को साप्ताहिक अवकाश रहेगा. मंगलवार को बाजार के हाल की बात करें, तो शुरुआत में मार्केट तेजी से भागता नजर आया, लेकिन बाद में उसने बढ़त गंवा दी. बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स 188.50 अंक फिसलकर 74482.78 और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) का निफ्टी 38.55 अंक कमजोर होकर 22,604.85 पर पहुंच गया. इस दौरान, टेक महिंद्रा, टाटा स्टील, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज, लार्सन एंड टुब्रो और JSW स्टील जैसे दिग्गज शेयरों में भी गिरावट दर्ज हुई. आज बाजार से मिलीजुली प्रतिक्रिया की उम्मीद है. चलिए जानते हैं कि आज कौनसे शेयर ट्रेंड में रह सकते हैं.

इनमें हैं तेजी के संकेत 
मोमेंटम इंडिकेटर मूविंग एवरेज कन्वर्जेंस डिवर्जेंस (MACD) ने आज के लिए Jubilant FoodWorks, Ceat, Narayana Hrudayalaya, IGL,  Cholamandalam Investment & Finance, और Sundram Fasteners में तेजी के संकेत दिए हैं. यदि MACD संकेतों के हिसाब से इन कंपनियों के शेयर ऊपर की तरफ जाते हैं, तो आपके लिए मुनाफे वाली बात हो सकती है. कहने का मतलब है कि आप दांव लगाकर प्रॉफिट कमा सकते हैं. हालांकि, BW हिंदी आपको सलाह देता है कि स्टॉक मार्केट में निवेश से पहले किसी सर्टिफाइड एक्सपर्ट से परामर्श जरूर कर लें, अन्यथा आपको नुकसान भी उठाना पड़ सकता है.  

इनमें आ सकती है मंदी
MACD ने BSE, Galaxy Surfactants, BEML, SBI Card, IDFC First Bank और KPR Mill में मंदी का रुख दर्शाया है. इसका मतलब है कि इन शेयरों में गिरावट देखने को मिल सकती है. BSE के शेयर कल करीब 1 प्रतिशत की बढ़त के साथ 2,788 रुपए पर बंद हुए थे. पिछले 5 कारोबारी सत्रों में यह शेयर 12.93% लुढ़क चुका है. यह गिरावट बाजार नियामक SEBI के एक फैसले की वजह से आई थी. गैलेक्सी के शेयर कल करीब 2% उछाल के साथ 2,615 रुपए पर पहुंच गए. 3,512.95 रुपए के भाव पर मिल रहे BEML के लिए भी कल का दिन अच्छा रहा. KPR Mill को छोड़कर बाकी दोनों शेयर भी बढ़त हासिल करने में कामयाब रहे थे.

इनमें है मजबूत खरीदारी
कुछ शेयर ऐसे भी हैं, जिनमें मजबूत खरीदारी देखने को मिल रही है. इस लिस्ट में SBI, ICICI Bank, M&M, Power Grid, Eicher Motors और Grasim Industries का नाम शामिल है. हालांकि, ये बात अलग है कि SBI और आईसीआईसीआई बैंक के शेयरों में मंगलवार को गिरावट आई थी. जबकि एक्सिस बैंक के शेयर बढ़त हासिल करने में कामयाब रहे. इस प्राइवेट बैंक का शेयर 0.28% की मजबूती के साथ 1,162.45 रुपए पर बंद हुआ था. वहीं, Mahindra And Mahindra के शेयर पिछले सत्र में करीब 5 प्रतिशत उछल गए थे. 2,159.90 रुपए के भाव वाला ये शेयर बीते 5 सत्रों में 26.81%
का रिटर्न दे चुका है.    

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TATA की इस कंपनी को मिला टैक्‍स नोटिस, जानते हैं क्‍यों हुआ है सरकार का ये एक्‍शन? 

टाटा मोटर्स टाटा समूह की वो कंपनी है जो लगातार बेहतरीन परफॉर्म कर रही है. कंपनी का शेयर भी अपने निवेशकों को 90 प्रतिशत से ज्‍यादा का रिटर्न दे चुका है. 

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Wednesday, 01 May, 2024
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टाटा समूह की वैसे तो सभी कंपनियां बेहतरीन परफॉर्मेंस करती हैं लेकिन टाटा की ऑटोमोबाइल सेक्‍टर में काम करने वाली टाटा मोटर्स को सरकार की ओर से नोटिस मिला है. टाटा मोटर्स को टैक्‍स का भुगतान कम करने पर टैक्‍स नोटिस मिला है. कंपनी की ओर से स्‍टॉक एक्‍सचेंज को दी गई सूचना में ये बताया है कि उसे सेल्‍स टैक्‍स ऑफिसर क्‍लॉस 2/AVTO वार्ड 204 जोन 11 दिल्‍ली ने एक आदेश पारित किया है. 

जानिए क्‍या है इस नोटिस को मिलने की वजह 
टाटा मोटर्स को इस नोटिस को मिलने की वजह उसके द्वारा कम कर का भुगतान करने से लेकर ज्‍यादा आधार क्रेडिट लेने के कारण किया गया है. कंपनी पर इसे लेकर 25 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया है. कंपनी को ये नोटिस 30 अप्रैल को जारी किया गया है जो उसे 1 मई को मिला है.इस नोटिस में सरकार की ओर से CGST/SGST अधिनियम 2017 की धारा 73 के तहत इस 25 करोड़ के कर की मांग की गई है. 

कंपनी की ओर से इस पर क्‍या कहा गया? 
इस मामले में कंपनी की ओर से कहा गया है कि वो इस नोटिस का अध्‍ययन कर रही है और इसे लेकर अपील दायर करेगी. इस नोटिस के कारण कंपनी के फाइनेंशियल और ऑपरेशनल लेवल पर किसी तरह का कोई असर नहीं पड़ेगा. सेल्‍स विभाग की ओर से जो 25 करोड़ रुपये की पेनल्‍टी लगाई गई है उसमें 142568173 करोड़ रुपये टैक्‍स अमाउंट है जबकि 91415704 करोड़ रुपये ब्‍याज और 14256815 करोड़ रुपये जुर्माना है. 

अप्रैल में कैसे रहे सेल्‍स के आंकड़े? 
 टाटा मोटर्स टाटा समूह की एक बड़ी कंपनी है, जो पिछले लंबे समय से अच्‍छा परफॉर्म कर रही है. कंपनी के अप्रैल के सेल्‍स आंकड़ों पर नजर डालें तो सालाना आधार पर कुल थोक बिक्री में 11.5 प्रतिशत के इजाफे के बाद 77521 यूनिट हो गई है. इसी तरह अप्रैल 2023 में ये 69599 यूनिट थी. कंपनी की सेल में पिछले महीने 12 प्रतिशत का इजाफा देखने को मिला था. जो बढ़कर 76399 यूनिट हो गई थी. जबकि अप्रैल में ये 68514 थी. 

ये भी पढ़ें: अडानी समूह की इस कंपनी के PAT में हुआ 100 फीसदी इजाफा, Wilmar ने भी मारी बाजी
 


बांग्लादेश में श्रमिकों का बुरा हाल, एक दशक से न्याय का कर रहे हैं इंतजार

बांग्लादेश में गारमेंट वर्कर का बुरा हाल है. श्रमिकों पिछले एक दशक से न्याय की मांग कर रहे हैं लेकिन श्रमिकों को डरा-धमकाकर चुप कराने के लिए उनके खिलाफ मनमाने मामले दर्ज किए गए है.

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Wednesday, 01 May, 2024
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अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस पर AMNESTY INTERNATIONAL ने कहा कि बांग्लादेश में गारमेंट वर्कर को भय और दमन के माहौल का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि श्रमिकों के अधिकारों पर राज्य द्वारा स्वीकृत कार्रवाई के बीच बिजनेस से संबंधित मानवाधिकारों के हनन के लिए कॉर्पोरेट को दी गई छूट नियंत्रण में नहीं है.

श्रमिकों का है बुरा हाल

पिछले महीने राणा प्लाजा के ढहने की 11वीं बरसी थी, जिसमें 1,100 से अधिक कपड़ा श्रमिक मारे गए और हजारों घायल हो गए थे. पांच महीने पहले ही ताज़रीन फ़ैशन फ़ैक्टरी में घातक आग लगने से यह ढह गई थी, जिसमें फ़ैक्टरी परिसर में फंसे कम से कम 112 श्रमिकों की मौत हो गई थी. ढाका क्षेत्र में पूरी तरह से लापरवाही के चलते हुई ये दोनों घटनाएं बिजनेस से संबंधित मानवाधिकारों के दुरुपयोग के चौंकाने वाले उदाहरण हैं. ये घटनाएं बांग्लादेश में सभी श्रमिकों के लिए व्यापार और मानवाधिकारों पर अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप बेहतर व्यावसायिक स्वास्थ्य और सुरक्षा की सख्त आवश्यकता को उजागर करते हैं.

पिछले 11 साल से नहीं मिला है न्याय

राणा प्लाजा ढहने और तज़रीन फैशन के संबंध में बांग्लादेश लीगल एड एंड सर्विसेज ट्रस्ट (BLAST) और अन्य गैर सरकारी संगठनों द्वारा संबंधित राज्य अधिकारियों, साथ ही स्थानीय भवन और कारखाने के मालिकों के खिलाफ दायर मुआवजे के मामलों को पिछले ग्यारह साल में हल नहीं किया गया है. इसके साथ ही इस निंदनीय लापरवाही के लिए उचित मुआवजे की मांग की गई जिसके कारण हजारों श्रमिकों की मौत हुई और कुछ घायल हुए थे.

मुआवजे के लिए तरस रहे हैं श्रमिक

साउथ एशिया AMNESTY INTERNATIONAL के डिप्टी रिजनल डायरेक्टर नादिया रहमान ने कहा कि एक दशक से अधिक समय हो गया है, लेकिन राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर राणा प्लाजा के ढहने और ताज़रीन फैशन की घटना के लिए कॉर्पोरेट जवाबदेही स्थापित करने के प्रयास काफी हद तक असफल रहे हैं, जो बांग्लादेश में कपड़ा श्रमिकों की हालिया स्थितियों को उजागर करता है. श्रम कानून में मनमानी सीमाओं और अनुपालन की कमी के कारण मुआवजा एक दूर का सपना बना हुआ है, इन दोनों में बदलाव होना चाहिए. न्याय की कमी के अलावा, अधिकांश श्रमिक आज भी ऐसे उद्योग में उचित वेतन के लिए लड़ रहे हैं. 

कपड़ा श्रमिकों के खिलाफ मनमाने मामले

2023 में विरोध प्रदर्शन के बाद से कपड़ा श्रमिकों के खिलाफ कम से कम 35 आपराधिक मामले दर्ज किए गए हैं, जिनमें FIR में लगभग 161 नामदर्ज श्रमिक और लगभग 35,900 से 44,450 अज्ञात श्रमिकों पर विरोध प्रदर्शन में भाग लेने का आरोप लगाया गया है. हाल के 35 में से 25 मामले उन फ़ैक्टरियों द्वारा दायर किए गए हैं जिनके बारे में माना जाता है कि वे प्रमुख ग्बोबल फैशन ब्रैंड और खुदरा विक्रेताओं को बेचते हैं. AMNESTY INTERNATIONAL से बात करते हुए बांग्लादेश के श्रमिक कार्यकर्ता आमीन हक ने कहा कि साल-दर-साल, विरोध करने वाले श्रमिकों को अदालतों में उपस्थिति देनी होती है. क्योंकि ऐसा नहीं करने पर उनकी जमानत रद्द हो सकती है. इसके परिणामस्वरूप वेतन की कटौती के साथ-साथ उनकी नौकरियां भी खतरे में पड़ गई हैं.

प्रदर्शन कर रहे श्रमिकों के खिलाफ गैरकानूनी बल का प्रयोग

AMNESTY INTERNATIONAL से बात करते हुए बांग्लादेश में एक श्रमिक NGO कार्यकर्ता तौफीक ने कहा कि जब श्रमिक अपनी आवाज उठाते हैं, तो उन्हें नजरअंदाज कर दिया जाता है; जब वे संगठित होने का प्रयास करते हैं, तो उन्हें धमकाया जाता है और बर्खास्त कर दिया जाता है; और अंत में, जब कार्यकर्ता विरोध करते हैं, तो उन्हें पीटा जाता है, गोली मारी जाती है और गिरफ्तार कर लिया जाता है. अक्टूबर 2023 में कपड़ा श्रमिकों के विरोध प्रदर्शन को शुरू हुए छह महीने हो गए हैं, लेकिन आज तक किसी भी पुलिस अधिकारी को गैरकानूनी बल प्रयोग और प्रदर्शनकारियों की मौत के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया गया है.

अपराधी घूम रहे हैं खुलेआम

2012 में तज़रीन फैशन की आग से बची सोकिना ने AMNESTY INTERNATIONAL को बताया कि ग्यारह साल से अधिक समय हो गया है और हमें अभी भी अपना उचित मुआवजा नहीं मिला है. फैक्ट्री का मालिक खुलेआम घूम रहा है और सत्तारूढ़ दल के साथ मजबूत संबंध स्थापित करके नए व्यवसाय चला रहा है, जबकि हम गरीबी का जीवन जी रहे हैं. 
 


अडानी समूह की इस कंपनी के PAT में हुआ 100 फीसदी इजाफा, Wilmar ने भी मारी बाजी 

अडानी समूह की इन दो कंपनियों के नतीजे आज जारी होने के बाद उम्‍मीद की जा रही है इसका असर गुरुवार को इनके शेयरों पर देखने को मिलेगा. 

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Wednesday, 01 May, 2024
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बुधवार को शेयर बाजार बंद होने के बीच अडानी समूह की दो बड़ी कंपनियों के नतीजे जारी हो गए. अडानी समूह के स्‍वामित्‍व वाली कंपनी अंबुजा सीमेंट के टैक्‍स के बाद मुनाफे में 100 फीसदी का इजाफा हुआ है. साल दर साल के आधार पर तुलना करें तो पिछले साल ये जहां 763 करोड़ रुपये था वहीं इस साल इसमें 100 फीसदी से ज्‍यादा के इजाफे के बाद ये 1525 करोड़ से ज्‍यादा हो गया है. वहीं अडानी विल्‍मर के आंकड़े भी बता रहे हैं कि कंपनी की ग्रोथ में 59 प्रतिशत से ज्‍यादा का इजाफा हुआ है. 

आखिर कितना हुआ है अंबुजा सीमेंट को फायदा? 
अंबुजा सीमेंट की चौथी तिमाही के नतीजे बता रहे हैं कि उसके ऑपरेशन से होने वाले मुनाफे में 11.6 प्रतिशत का इजाफा हुआ है और ये 8894 करोड़ रुपये तक जा पहुंचा है. जबकि पिछले साल ये इसी तरह 7966 करोड़ था. वहीं अगर कंपनी के EBITDA पर नजर डालें तो उसमें 37 प्रतिशत का इजाफा हुआ है और ये 1699 करोड़ रुपये तक जा पहुंचा है. कंपनी के EBITDA मार्जिन में 19.1 प्रतिशत का इजाफा हुआ है. वहीं कंपनी के नेट प्रॉफिट पर नजर डालें तो उसमें 119 प्रतिशत का इजाफा हुआ है और वो 4738 करोड़ रुपये तक जा पहुंचा है. जबकि पिछले साल इसी तिमाही में ये 2168 करोड़ रुपये था. इसी तरह से ऑपरेटिंग रेवेन्‍यू में भी सिंगल डिजिट का इजाफा हुआ है. कंपनी का ऑपरेटिंग रेवेन्‍यू इस तिमाही में 33160 करोड़ रुपये रहा है जबकि पिछली बार ये 31037 करोड़ रुपये रहा था. इसमें 7 प्रतिशत का इजाफा हुआ है. 

ये भी पढ़ें: ओवैसी को टक्‍कर देने वाली माध्‍वी लता के साथ ऐसा क्‍या हुआ कि इतनी घट गई इनकम

कंपनी के सीईओ ने कही ये बात 
अडानी समूह के मालिकाना हक वाली इस कंपनी के सीईओ अजय कपूर ने तिमाही नतीजों पर कहा कि हम लॉन्‍ग टर्म वैल्‍यू एडिशन और लगातार विकास करने में सतत बने हुए हैं. ऐसा इसलिए हो रहा है क्‍योंक‍ि हम ऊर्जा, तेल आपूर्ति, क्षमता में सुधार, कच्‍चे माल और ईंधन की सुनिश्चित आपूर्ति की ओर बढ़ रहे हैं. हम देश की विकास यात्रा में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाते रहेंगे, सस्‍टेनेबिलिटी को लेकर कंपनी की ओर से उठाए गए कदम लगातार रंग ला रहे हैं. कॉस्‍ट इफेक्‍टिवनेस अभी भी हमारी सबसे बड़ी रणनीति बनी हुई है. 

कैसे रहे हैं अडानी विल्‍मर के नतीजे? 
अडानी विल्‍मर के नेट प्रॉफिट पर नजर डालें तो वो 67 फीसदी के इजाफे के साथ 156.75 करोड़ रुपये रहा. जबकि साल दर साल के हिसाब से अगर पिछले साल की स्थिति पर नजर डालें तो ये 93.61 करोड़ रुपये रहा था. वहीं अगर कंपनी की आमदनी पर नजर डालें तो वो इस बार मार्च तिमाही में गिरकर 13342.26 करोड़ रुपये रही जबकि पिछले साल ये इसी तिमाही में 14185. 68 करोड़ रुपये रही थी. आमदनी में कमी के कारण कंपनी के शुद्ध मुनाफे में भी कमी देखने को मिली है. 147.99 करोड़ रुपये रहा है, जो वित्‍त पिछले वित्‍त वर्ष में 582.12 करोड़ थी. 

क्‍या बोले कंपनी के सीईओ? 
अडानी विल्‍मर के सीईओ और एमडी अंगशु मलिक ने कहा कि रिटेल सेगमेंट में इजाफा होने के कारण हमने अपने फूड सेगमेंट के तेल और फूड बिजनेस में बढ़ोतरी देखी है. अडानी विल्‍मर अडानी समूह की वो कंपनी है जो खाने के तेल फॉर्च्‍यून और दूसरे एफएमसीजी प्रोजेक्‍ट बाजार में मुहैया कराती है. कंपनी की 11.3 करोड़ घरों तक पहुंच है. कंपनी के 5700 डिसट्रीब्‍यूटर और 23 मैन्‍युफैक्‍चरिंग प्‍लांट हैं. 
 


SEBI ने 1.3 करोड़ निवेशकों को दिया झटका, अकाउंट किया होल्ड, नहीं कर पाएंगे ट्रांजैक्शन

SEBI ने म्यूचुअल फंड में निवेश करने के लिए खोले गए खातों में से करीब 1.30 करोड़ खातों को ‘on hold’ पर डाल दिया गया है.

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Wednesday, 01 May, 2024
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अगर आप भी शेयर बाजार, म्‍युचुअल फंड या कमोड‍िटी मार्केट में न‍िवेश करते हैं तो यह खबर आपके काम की है. SEBI ने करीब 1.3 करोड़ डीमैट अकाउंट को होल्‍ड पर रखा गया है. इसका सीधा मतलब यह हुआ क‍ि ज‍िनका भी अकाउंट होल्‍ड पर है, वे इसके जर‍िये क‍िसी प्रकार का ट्रांजेक्‍शन नहीं कर सकते. KYC रज‍िस्‍ट्रेशन करने वाली संस्‍था केआरए (KRA) ने इस बारे में जानकारी दी है. उन्होंने कहा कि KYC पूरा नहीं होने की वजह से इन अकाउंट को होल्ड कर दिया गया है.

KYC नियमों के उल्लंघन के चलते की गई कार्रवाई 

यह कार्रवाई KYC के विभिन्न नियमों के उल्लंघन के चलते की गई है. कई सारे कस्टमर्स लगातार शिकायत कर रहे थे कि वह KYC के बावजूद निवेश नहीं कर पा रहे हैं. इसलिए सभी KRA ने संयुक्त बयान जारी किया है. KRA के अनुसार, पैन कार्ड और आधार कार्ड होने के बावजूद कई लोगों की KYC पूरी नहीं है. उनके पैन कार्ड और आधार कार्ड आपस में लिंक नहीं हैं. इनमें से कई लोगों ने KYC के लिए बिजली और टेलीफोन के बिल एवं बैंक अकाउंट का स्टेटमेंट दिया था. अब सेबी ने स्पष्ट कर दिया है कि इन्हें वैध दस्तावेज नहीं माना जाएगा.

7.9 करोड़ खाताधारकों के वैल‍िड KYC

KRA की र‍िलीज के अनुसार 11 करोड़ निवेशकों में से करीब 7.9 करोड़ (73%) के वैल‍िड KYC हैं. इसके अलावा करीब 1.6 करोड़ निवेशकों के KYC रजिस्टर्ड कैटेगरी में हैं, इनके पास निवेश करने का ल‍िम‍िटेड एक्‍सेस है. वहीं कुल निवेशकों में से 12% अपने डीमैट अकाउंट और एमएफ फोलियो को ऑपरेट नहीं कर सकते.

निवेशकों को तीन कैटेगरी में बांटा

एक अप्रैल से नए नियमों के तहत सभी KRA ने निवेशकों को तीन कैटेगरी में बांटा है. इन्हें वैलिडेटिड, रजिस्टर्ड और होल्ड में बांट दिया गया है. एक केआरए अधिकारी ने बताया कि निवेशकों को उनके पैन कार्ड, आधार कार्ड, ईमेल और मोबाइल नंबर के आधार पर अलग-अलग श्रेणी में रखा गया है. जिन निवेशकों की KYC वैलिडेटिड है, वह आराम से इनवेस्टमेंट जारी रख सकते हैं. रजिस्टर्ड KYC के दायरे में आने वाले निवेशक दोबारा से KYC करवाकर निवेश जारी रख सकते हैं. हालांकि, बैंक स्टेटमेंट और यूटिलिटी बिल जैसे दस्तावेज देने वालों को होल्ड कैटेगरी में डाला गया है. यह सभी किसी भी तरह का निवेश नहीं कर पाएंगे. साथ ही KYC डाक्यूमेंट्स को अपलोड किए बिना यह लोग अपने पैसे को भी निकाल पाएंगे.

कैसे करें KYC?

किसी भी केवाईसी रजिस्ट्रेशन एजेंसी (KRA) की वेबसाइट पर जाकर 'KYC इंक्‍वायरी' में अपनी KYC की स्थिति देख सकते हैं. इसके अलावा आप जरूरी कार्रवाई भी कर सकते हैं. इसके अलावा आप अपने ब्रोकर या म्यूचुअल फंड हाउस की वेबसाइट के जरिए भी KYC अपडेट कर सकते हैं. अगर आप एक बार अपना KYC अपडेट कर देते हैं तो यह आपके शेयरों, म्यूचुअल फंड और कमोडिटीज सहित सभी निवेशों पर लागू हो जाएगा. आपको हर उस ब्रोकर और फंड हाउस के लिए अलग से KYC अपडेट कराने की जरूरत नहीं होगी.
 


कितनी बढ़ने वाली है केंद्रीय कर्मचारियों की सैलरी? 8वें वेतन आयोग पर सामने आया ये बड़ा अपडेट

माना जा रहा है कि चुनाव बाद 8वें वेतन आयोग को लेकर कोई खबर सुनने को मिल सकती है.

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Wednesday, 01 May, 2024
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यदि आप केंद्र सरकार के लिए काम करते हैं, तो आने वाला समय सैलरी के लिहाज से आपके लिए शानदार रह सकता है. भले ही 8वें वेतन आयोग (8th Pay Commission) पर अब तक कोई फैसला नहीं हुआ हो, लेकिन माना जा रहा है कि लोकसभा चुनाव बाद इस पर कोई सकारात्मक खबर सुनने को मिल सकती है. साथ ही 8वें वेतन आयोग में कर्मचारियों की सैलरी में बड़ा इजाफा किया जा सकता है और यह छठे वेतन आयोग में हुई वृद्धि से भी अधिक रह सकता है.  

अभी नहीं आया है सही वक्त  
8वां वेतन आयोग को लेकर फिलहाल कोई प्रस्ताव नहीं है. हालांकि, सूत्र बताते हैं कि इस दिशा में काम आगे बढ़ रहा है. उनका कहना है कि अभी इस पर चर्चा इसलिए भी सही नहीं है, क्योंकि वेतन आयोग के गठन का वक्त अभी नहीं आया है. वहीं, कयास लगाए जा रहे हैं कि लोकसभा चुनाव के बाद जब नई सरकार का गठन होगा, तो इस पर फैसला लिया जाएगा. यह लगभग तय है कि अगर 8वें वेतन आयोग का गठन होता है, तो केंद्रीय कर्मचारियों की सैलरी में जबरदस्त उछाल आएगा.

इस बार होंगे कई बदलाव
8वें वेतन आयोग के गठन के लिए कर्मचारियों को अभी इंतजार करना होगा. इस पर कोई खबर चुनाव खत्म होने के बाद 2025 या 2026 तक मिल सकती है. सूत्रों का कहना है कि 7वें वेतन आयोग (7th Pay Commission) के मुताबले 8वें वेतन आयोग में कई महत्वपूर्ण बदलाव देखने को मिल सकते हैं. उदाहरण के तौर पर, इसमें फिटमेंट फैक्टर के फॉर्मूले पर सैलरी नहीं बढ़ेगी. बल्कि किसी दूसरे फॉर्मूले के आधार पर सैलरी इंक्रीमेंट दिया जा सकता है. इसके अलावा, 10 साल में एक बार वेतन आयोग के गठन की व्यवस्था को बदलकर सालाना किया जा सकता है.

इतनी बढ़ जाएगी सैलरी 
एक रिपोर्ट बताती है कि 7वें वेतन आयोग के गठन के बाद केंद्रीय कर्मचारियों की न्यूनतम सैलरी में सबसे कम इजाफा हुआ था. दरअसल, फिटमेंट फैक्टर (Fitment Factor) के हिसाब से सैलरी बढ़ाई गई थी और इसमें इसे 2.57 गुना रखा गया. इससे बेसिक सैलरी 18000 रुपए हो गई. यदि 8वें वेतन आयोग में भी इसी फ़ॉर्मूले को अपनाया जाता है, तो फिटमेंट को 3.68 गुना किया जा सकता है. इस आधार पर कर्मचारियों के न्यूनतम वेतन में 44.44% की वृद्धि हो सकती है और यह 26000 रुपए हो सकता है. निचले स्तर के कर्मचारियों का सैलरी रिविजन सालाना परफॉर्मेंस के आधार पर किया जा सकता है. जबकि अधिकतम सैलरी वाले कर्मचारियों का रिविजन 3 साल के अंतराल पर निर्धारित किया जा सकता है.

किस आयोग में कितनी वृद्धि?
Pay Commission के हिसाब से देखें, तो चौथे वेतन आयोग में केंद्रीय कर्मचारियों की वेतन वृद्धि 27.6% की गई. पांचवें आयोग में उनकी सैलरी में 31 फीसदी का बड़ा इजाफा हुआ. इसके बाद छठे वेतन आयोग में फिटमेंट फैक्टर को लागू किया गया. इस उस केन्द्रीय कर्मचारियों को सैलरी में 1.86 गुना मिला. साल 2014 में 7वें वेतन आयोग का गठन हुआ. इसमें भी फिटमेंट फैक्टर को आधार मानते 14.29% वेतन वृद्धि की गई, जिसका कर्मचारियों ने विरोध भी किया. बता दें कि 8वां वेतन आयोग के गठन को लेकर अभी स्थिति स्पष्ट नहीं हैं. वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने भी लोकसभा में इससे इंकार भी किया था, लेकिन एक्सपर्ट्स का मानना है कि चुनाव बाद इस पर फैसला हो सकता है.


ओवैसी को टक्‍कर देने वाली माध्‍वी लता के साथ ऐसा क्‍या हुआ कि इतनी घट गई इनकम

माध्‍वी लता का इससे पहले कोई पॉलिटिकल इतिहास नहीं रहा है. वो मुस्लिम इलाकों में सशक्तिकरण से लेकर समाज के कई तपकों के लिए काम करने के लिए जानी जाती हैं.

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Wednesday, 01 May, 2024
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देश भर में हो रहे लोकसभा चुनाव में कुछ ऐसी हॉट सीट हैं जिन पर सभी की नजरें लगी हुई हैं. उन्‍हीं सीटों में से एक है हैदराबाद. क्‍योंकि यहां से मौजूदा सांसद ओवेसी हैं तो उनके खिलाफ बीजेपी ने इस बार महिला उम्‍मीदवार माध्‍वी लता को उतारा है. करोड़ों की संपत्ति की मालकिन माधवी लता लगातार वहां से चर्चा में बनी हुई है. लेकिन माधवी लता ने जो शपथ पत्र में चुनाव आयोग में दायर किया है वो बता रहा है कि उन्‍हें 22-23 में बड़ा नुकसान हुआ है जिसके बाद उनकी आय 1 करोड़ से घटकर मात्र 3 लाख रुपये पर आ गई है. 

इतनी है माधवी लता की आय? 
बीजेपी उम्‍मीदवार माधवी लता लगातार अपने बयानों को लेकर बड़ी चर्चा में हैं. माधवी लता ने जो शपथपत्र में अपनी आय की जानकारी दी है उसके अनुसार 2018-19 से लेकर 2022-23 तक उनकी आय का ब्‍यौरा देखें तो समझ में आता है कि उन्‍हें पिछले साल काफी नुकसान हुआ है. 2020-21 में उनकी आय 62,16,250 रुपये थी जबकि 2021-22 में उनकी आय 1,22,59,146 रुपये थी. लेकिन 2022-23 में उन्‍होंने जो आय दी है उसके अनुसार उनकी आय सिर्फ 3,76,950 रुपये रही है. ये जानकारी बता रही है कि उनकी आय 1 करोड़ रुपये से सीधे 3 लाख रुपये पर आ गई.इसी तरह उनके पति की आय में भी काफी कमी देखने को मिली है. 2021-22 में उनकी आय 6,86,55,509 रुपये थी. जबकि 2022-23 में उनकी आय 28262737 रुपये रही है. 

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कितनी है माधवी लता की चल अचल संपत्ति? 
अगर माधवी लता की चल अचल संपत्ति की बात करें तो उनके पास 20000 रुपये कैश, जबकि उनके पति के पास 20 हजार रुपये और उनके डिपेंडेंट के पास कुछ भी नहीं है. इसी तरह से अगर उनके बैंक में जमा राशि पर नजर डालें तो उनके पास 834201 रुपये, उनके पति के पास 3333614 रुपये हैं. इसी तरह से उन्‍होंने बड़े पैमाने पर निवेश भी किया है. उन्‍होंने अलग-अलग शेयर, बॉन्‍ड्स, डिबेन्‍चर में 25,20,,51858 रुपये का निवेश किया है जबकि उनके पति ने 85, 76,01,173 रुपये का निवेश किया है.उनके बच्‍चों के खाते में भी निवेश के करोड़ों रुपये हैं.  

इतनी ज्‍वैलरी की हैं मालकिन
वहीं चुनावी शपथपत्र के अनुसार देखें तो, उनके पास 3.9 किलो सोना है जिसकी कीमत 3,78,62,415 रुपये है.  इसी तरह से उनके पति के पास 1.1 किलो सोना है जिसकी कीमत 7223450 रुपये है. माधवी लता के निवेश से लेकर उनके पास मौजूद कुल ज्‍वैलरी जिसे चल संपत्ति भी कहा जाता है उसकी कीमत 31 करोड़ रुपये से ज्‍यादा है. इसी तरह से 6 करोड़ रुपये की प्रॉपर्टी है. उनके पति पर 26,13 40,639 करोड़ रुपये है.  

1984 से ओवेसी परिवार के पास है ये सीट 
हैदराबाद की सीट 1984 से ही ओवेसी परिवार के पास रही है. इस सीट से सबसे पहले ओवेसी के पिता सुल्‍तान सलाउद्दीन ओवैसी 1984 में सांसद थे. वो इस सीट पर 2004 तक सांसद रहे उसके बाद इस सीट पर असदुद्दीन ओवैसी सांसद हैं. वो लगातार इस सीट पर जीत रहे हैं. वहीं उन्‍हें चुनौती देने वाली डॉ. माधवी लता विरंची हॉस्पिटल की चेयरपर्सन हैं. वो हिंदुत्‍व के लिए मुखर रहने वाली महिला के तौर पर जानी जाती हैं. माध्‍वी लता विरंची हॉस्पिटल की चेयरपर्सन होने के साथ साथ भरतनाट्यम भी माहिर हैं. हैदराबाद से पहली बार कोई महिला उम्‍मीदवार ओवैसी को टक्‍कर दे रही हैं. 


भारतीयों की नाराजगी से Maldives के छूटे पसीने,'हमें' मनाने की कोशिश में जुटी मुइज्जू सरकार 

मालदीव की इकॉनमी में भारतीय पर्यटकों का 11% योगदान बताया जाता है. ऐसे में उनका लंबे समय तक नाराज रहना मालदीव की आर्थिक सेहत बिगाड़ सकता है.

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Wednesday, 01 May, 2024
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चीन के दम पर भारत से बैर लेने वाले मालदीव (Maldives) के होश ठिकाने आ गए हैं. कल तक अकड़ दिखा रही मालदीव की मोहम्मद मुइज्जू सरकार को समझ आ गया है कि भारतीयों को नाराज करके मुल्क की आर्थिक सेहत को दुरुस्त नहीं रखा जा सकता. दरअसल, मालदीव की इकॉनमी पर्यटन पर आधारित है और उसमें भारतीय पर्यटकों का काफी योगदान रहा है. अब जब भारतीयों ने मालदीव से मुंह मोड़ लिया है, तो उसे भारी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है. 

बहुत बदल गए हैं हालात
मालदीव सरकार रूठे भारतीय पर्यटकों को मनाने के प्रयासों में जुटी है. मालदीव मार्केटिंग एंड पब्लिक रिलेशंस कॉरपोरेशन (MMPRC) के प्रबंध निदेशक फातिमथ तौफीक का कहना है कि मालदीव में भारतीय यात्रियों की संख्या फिर से बढ़ाने के लिए प्रयास तेज किए गए हैं. उन्होंने आगे कहा कि जैसे ही पर्यटन मंत्रालय ने 2024 में पर्यटकों की आगमन संख्या में उल्लेखनीय गिरावट देखी, उसने भारतीय बाजार को आकर्षित करने के प्रयास शुरू कर दिए. भारत ने 2021 से 2023 तक मालदीव के पर्यटन बाजार में अपनी टॉप रैंक बनाए रखी, लेकिन इस साल वह सीधे छठे स्थान पर आ गया है.  

प्रमोशन एक्टिविटीज शुरू
'सन' को दिए एक इंटरव्यू में, MMPRC के एमडी ने बताया कि पर्यटन बोर्ड ने इंडियन टूरिस्ट को लुभाने के लिए स्पेशल प्रमोशन एक्टिविटीज शुरू की हैं. हम भारत से यहां आने वाले पर्यटकों की संख्या को बनाए रखने के लिए हर संभव कोशिश कर रहे हैं. हम प्रमोशन के लिए अतिरिक्त प्रयास करेंगे, क्योंकि पर्यटकों की संख्या कम हो रही है. उन्होंने यह भी बताया कि भारतीय बाजार में मालदीव पर्यटन ब्रैंड को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न एयरलाइनों के साथ मिलकर कैंपेन भी चलाया जा रहा है. बता दें कि मालदीव के मंत्रियों की शर्मनाक टिप्पणियों के चलते भारतीय मालदीव का बहिष्कार कर रहे हैं. 

रोड शो की भी है तैयारी
पिछले महीने मालदीव एसोसिएशन ऑफ ट्रेवल एजेंट्स एंड टूर ऑपरेटर्स (MATATO) ने पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए मालदीव में भारतीय उच्चायुक्त मुनु महावर से मुलाकात की थी. मालदीव एसोसिएशन ने पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए भारतीय उच्चायोग से सहयोग की इच्छा जताई थी. यह भी सामने आया था कि एसोसिएशन मालदीव में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए भारत के प्रमुख शहरों में एक व्यापक रोड शो शुरू करने की भी तैयारी कर रही है. दरअसल, MATATO की कोशिश है कि भारतीय पर्यटकों को मालदीव के बारे में ज्यादा से ज्यादा बताया जाए, उन्हें देश की खूबसूरती से परिचित कराया जाए, ताकि मालदीव आने वाले भारतीयों की संख्या में इजाफा हो सके.  

ये है मालदीव की चिंता की वजह
विवाद से पहले तक मालदीव पहुंचने वाले पर्यटकों में सबसे ज्यादा संख्या भारतीयों की रही है. यहां तक कि कोरोना के बाद जब मालदीव को पर्यटकों के लिए खोला गया, तो भारतीय ही सबसे ज्यादा वहां पहुंचे थे. हालांकि, विवाद के बाद से इसमें लगातार कमी आ रही है. मालदीव की मोहम्मद मुइज्जू सरकार के पर्यटन मंत्रालय के आंकड़े बताते हैं कि भारतीय पर्यटकों की संख्या में 33 प्रतिशत की गिरावट आई है. पिछले साल यानी 2023 में 4 मार्च तक 41,054 भारतीय पर्यटकों ने मालदीव की यात्रा की थी. जबकि इस साल 2 मार्च तक मालदीव जाने वाले भारतीयों की संख्या केवल 27,224 रही. मालदीव की इकॉनमी में भारतीय पर्यटकों का 11% योगदान बताया जाता है. ऐसे में उनका लंबे समय तक नाराज रहना मालदीव की आर्थिक सेहत बिगाड़ सकता है.

तब किया था इतना खर्चा
करीब 4 लाख की आबादी वाले मालदीव में धिवेही और इंग्लिश भाषा बोली जाती है. मालदीव जलवायु परिवर्तन का सामना कर रहा है. इसका कोई भी द्वीप समुद्र तल से छह फुट से अधिक ऊंचा नहीं है. इस देश की अर्थव्यवस्था पर्यटन पर टिकी हुई है. 2023 में बड़ी संख्या में भारतीय मालदीप गए थे और उन्होंने 38 करोड़ डॉलर यानी करीब 3,152 करोड़ रुपए खर्च किए थे. भारत से विवाद के बीच पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए मालदीव ने हाल ही में अपने यहां घूमने का खर्चा भी आधा कर दिया था, लेकिन इसका खास फायदा नहीं मिला.   

ऐसे शुरू हुईं मालदीव की मुश्किलें
अब यह भी जान लेते हैं कि आखिर मालदीव भारत और भारतीयों को नाराज करने की स्थिति में कैसे पहुंचा. भारत और मालदीव के बीच तनाव की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लक्षद्वीप दौरे के बाद हुई. सोशल मीडिया पर लक्षद्वीप की मालदीव से तुलना मालदीव के तीन मंत्रियों को रास नहीं आई. उन्होंने भारत को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी की और भारतीयों की दुश्मनी मोल ले बैठे. भारत की कड़ी प्रतिक्रिया के बाद भले ही इन तीनों मंत्रियों को हटा दिया गया हो, लेकिन मालदीव के प्रति लोगों का गुस्सा कम नहीं हुआ. सोशल मीडिया पर #BoycottMaldives ट्रेंड करने लगा. कई भारतीयों ने मालदीव की बुकिंग कैंसल कराकर उसका स्क्रीन शॉट सोशल माडिया पर शेयर किया. यहां से मालदीव की मुश्किलें शुरू हो गईं