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भारतीय रेलवे को ज्यादा इको-फ्रेंडली बनाने के लिए सरकार ने अमेरिकी एजेंसी से मिलाया हाथ!
दोनों देशों की सरकारें साथ मिलकर रेलवे की बिल्डिंग, डिजाईन और रिन्यूएबल प्रोजेक्ट्स की प्राप्ति के सपोर्ट के लिए भी काम करेंगी.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 4 months ago
भारत सरकार की तरफ से इस वक्त एक काफी बड़ी खबर सामने आ रही है. दरअसल हाल ही में केंद्र सरकार ने एक अमेरिकी एजेंसी के साथ समझौते को मंजूरी दे दी है. इस समझौते की बदौलत भारतीय रेलवे को रिन्यूएबल टेक्नोलॉजी प्रदान की जाएगी जिससे ऊर्जा बचाने में रेलवे को मदद मिलेगी. इससे भारतीय रेलवे को अपने कार्बन फुटप्रिंट को कम करने में भी मदद मिलेगी.
दोनों सरकारों की तरफ से होगी पहल
इस समझौते के तहत ऊर्जा मंत्रालय, अंतर्राष्ट्रीय विकास के लिए अमेरिकी एजेंसी (USAID) के साथ मिलकर लॉन्ग-टर्म वाले एनर्जी प्लान बनाएगी और इसमें रेलव के लिए क्लीन एनर्जी का प्रोजेक्ट भी शामिल है. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि भारतीय रेलवे, दुनिया का सबसे बड़ा पब्लिक ट्रांसपोर्टर है. दोनों देशों की सरकारें साथ मिलकर रेलवे की बिल्डिंग, डिजाईन और बड़े स्तर वाले रिन्यूएबल प्रोजेक्ट्स की प्राप्ति के लिए सपोर्ट मैनेज करने के लिए भी काम करेंगी. दोनों सरकारों की तरफ से क्लीन एनर्जी की प्राप्ति के लिए विभिन्न रणनीतियां और तकनीकी समर्थन भी प्रादान करवाया जाएगा और इसके लिए दोनों सरकारों की तरफ से रेगुलेटरी भी बनाई जायेंगी.
रेलवे नेटवर्क का हुआ इलेक्ट्रिफिकेशन
रेलवे द्वारा यह समझौता अपने कार्बन फुटप्रिंट को कम करने के नजरिये से किया गया है. आपको बता दें कि रेलवे का लक्ष्य है कि वह 2030 तक जीरो कार्बन एमिशन का लक्ष्य प्राप्त कर ले. दोनों देशों की सरकारें साथ मिलकर विविध कार्यक्रमों, कांफ्रेंसों और क्षमता बढ़ाने वाले कार्यक्रमों का आयोजन भी करेंगी. डीजल से हटकर रेलवे ने अपने नेटवर्क की इलेक्ट्रिफिकेशन की है. हालाँकि भारत में सोलर एनर्जी अभी भी काफी पीछे है. वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान रेलवे मिनिस्टर अश्विनी वैष्णव ने रेलवे के लिए अल्ट्रा-मेगा सोलर पावर प्लांट के प्लान की घोषणा की है. हाल ही में सरकार ने संसद में बताया है कि माना जा रहा है कि 2029-30 तक रेलवे की ऊर्जा की आवश्यकता बढ़कर 8200 मेगावाट हो जाएगी. नेट जीरो कार्बन एमिशन के स्तर को प्राप्त करने के लिए 30,000 मेगावाट की रिन्यूएबल क्षमता की जरूरत पड़ेगी.
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