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छोटे कारोबारियों के लिए राहत भरी खबर! वित्त मंत्री ने दिया ये आदेश
केंद्र, राज्य और सरकारी कंपनियों का MSME पर एक बड़ी राशि बकाया है. निजी कंपनियां भी समय पर भुगतान नहीं करती है, जिससे छोटे कारोबारियों के लिए मुश्किल खड़ी हो जाती है
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 1 year ago
नई दिल्ली: MSME सेक्टर देश की रीढ़ की हड्डी है, इस सेक्टर के सामने कई चुनौतियां रहती हैं, इसमें से एक चुनौती है पेमेंट सेटलमेंट की. जिसकी वजह से उनकी पूंजी अटक जाती है और उनके लिए बिजनेस करना मुश्किल हो जाता है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने MSME सेक्टर की इस चिंता को समझा है और देश के कॉर्पोरेट्स से MSME के बकाए का भुगतान समय पर करने के लिए कहा है.
45 दिन के अंदर करें भुगतान: FM
दरअसल, केंद्रीय सरकारी विभाग/सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियां, राज्य सरकारें और निजी कंपनियां छोटे कारोबारियों का पेमेंट चुकाने में काफी लंबा वक्त लगाती है. जिसकी वजह से छोटे कारोबारियों के लिए कारोबार करना जटिल हो जाता है. इस कुचक्र को देखते हुए वित्त मंत्री ने सभी को ये आदेश दिया है कि सप्लाई मिलने के 45 दिन के अंदर MSME को उनका पेमेंट मिल जाना चाहिए. मुंबई में लघु उद्योग भारती के एक कार्यक्रम के दौरान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि निजी क्षेत्र और उद्योग को कंपनियों के रजिस्ट्रार के पास दायर खातों की पुस्तकों के साथ जिसमें बकाया बकाया का उल्लेख है, 45 दिनों में MSME को भुगतान करने के लिए प्रतिबद्ध होना चाहिए. निजी कंपनियों को भी इस मामले में आगे होना चाहिए.
कानून में प्रावधान लेकिन MSME नहीं करते इस्तेमाल
45 दिनों का ये प्रावधान कानून में ही है. MSME Act, 2006 में ये साफ साफ कहा गया है कि आपूर्तिकर्ता को भुगतान करने के लिए किसी भी सामान या सेवाओं के प्राप्तकर्ता (recipient) के लिए 45 दिनों की क्रेडिट अवधि (credit period) मिलती है. किसी भी देर से भुगतान के लिए, ब्याज दर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा अधिसूचित बैंक दर से तीन गुना होगी. हालांकि, MSME आमतौर पर व्यवसाय खोने के डर से इस क्लॉज का इस्तेमाल नहीं करते हैं.
वित्त मंत्री ने इस बात का भी जिक्र किया कि केंद्र, राज्यों और सरकारी कंपनियों का MSME पर एक बहुत बड़ी राशि बकाया है. उन्होंने बताया कि दो दिन पहले उन्होंने बड़े व्यवसाय मालिकों से मुलाकात की और उनसे छोटे कारोबारियों को पेमेंट समय पर देने के लिए कहा. हालांकि 1 जून 2020 और 31 अक्टूबर 2021 के दौरान सरकारी मंत्रालयों, विभागों और सेंट्रल पब्लिक सेक्टर एंटरप्राइजेस (CPSE) MSME वेंडर्स को 75,472 करोड़ का भुगतान किया है.
MSME सेक्टर पर महामारी की मार
MSME सेक्टर देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी है, जो कि GDP में 30 परसेंट का योगदान देती है और एक्सपोर्ट में इसका 49 परसेंट का योगदान है. कृषि क्षेत्र के बाद रोजगार देने के मामले में भी ये सबसे आगे है, NSSO की रिपोर्ट के मुताबिक 2016 में 6 करोड़ यूनिट्स में करीब 11 करोड़ लोग काम करते थे. महामारी में MSME सेक्टर पर बड़ी मार पड़ी थी, सरकार ने राहत देने के लिए मई 2020 में इमरजेंसी क्रेडिट गारंटी स्कीम की शुरुआत की. इसके अलावा भी सरकार ने ऐसे कई कदम उठाए जिससे इस सेक्टर को राहत देने की कोशिश की गई
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