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इस आशंका से हुई नए साल की शुरुआत, क्या सूखने वाले हैं अधिकांश पेट्रोल पंप?
एक नए कानून को लेकर ट्रक ड्राइवर नाराज हैं और उन्होंने ट्रकों के पहिये जाम कर दिए हैं. इस हड़ताल में फ्यूल टैंकरों के ड्राइवर भी शामिल हैं.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 4 months ago
नए हिट एंड रन कानून के खिलाफ ट्रांसपोर्टर और ट्रक ड्राइवरों की हड़ताल जारी है. इसका मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) और छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) में काफी असर देखने को मिल रहा है. मध्य प्रदेश के इंदौर में कई रूट्स पर बस नहीं चलने से लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ा. वहीं, हड़ताल की वजह से ऑयल टैंकरों की सप्लाई नहीं हो पा रही है, ऐसे में पेट्रोल-डीजल की किल्लत की आशंका भी बनी हुई है. पेट्रोल संचालकों का कहना है कि यदि जल्द आपूर्ति नहीं हुई, तो पेट्रोल-डीजल का स्टॉक खत्म हो जाएगा.
ज्यादा नहीं कर पाए स्टॉक
ट्रक ड्राइवरों की यह हड़ताल तीन दिवसीय है, यानी 3 जनवरी को इसका आखिरी दिन होगा. हड़ताल की सूचना के बाद बड़े डीलर्स और पेट्रोल पंप मालिकों ने कुछ दिनों का सरप्लस स्टॉक रख लिया, लेकिन क्रेडिट और स्टोरेज लिमिटेशन की वजह से छोटे डीलर ऐसा नहीं कर पाए. इसकी वजह से पेट्रोल-डीजल की सप्लाई प्रभावित हो सकती है. केवल मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ ही नहीं, महाराष्ट्र सहित दूसरे राज्यों में भी अधिकांश पेट्रोल पंप सूख सकते हैं. क्योंकि इस हड़ताल में फ्यूल टैंकरों के ड्राइवर भी शामिल हैं.
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महंगाई भड़कने की आशंका
माना जा रहा है कि इस तीन दिनों की हड़ताल के चलते दैनिक उपयोग की सामग्री पर भी असर देखने को मिलेगा. फल-सब्जियों की महंगाई भी बढ़ सकती है. वैसे, तो यह हड़ताल 3 जनवरी को खत्म हो जाएगी, लेकिन ट्रक ड्राइवरों के फिर से चक्का जाम करने की आशंका बने रहेगी. दरअसल, ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस (AIMTC) की बैठक 10 जनवरी को होनी है, जिसमें फैसला लिया जाएगा कि अगर सरकार उसकी मांग नहीं मानती, तो क्या करना है. एक्सपर्ट्स मानते हैं कि यदि हड़ताल दोबारा होती है, तो उसका काफी नकारात्मक असर होगा.
इसलिए हो रही हड़ताल
अब यह भी जान लेते हैं कि आखिर ट्रक ड्राइवर हड़ताल क्यों कर रहे हैं? ट्रांसपोर्टर और ट्रक ड्राइवर देश में लागू हुए नए हिट एंड रन कानून के खिलाफ हैं और अपना विरोध जताने के लिए उन्होंने ट्रकों के पहिये जाम कर दिये हैं. भारतीय न्याय संहिता 2023 में हुए संशोधन के बाद हिट एंड रन के मामलों में दोषी ड्राइवर पर 7 लाख रुपए तक का जुर्माना और 10 साल तक कैद का प्रावधान है. ड्राइवरों की मांग है कि सरकार इस कानून को वापस ले. नए कानून के तहत दुर्घटना होने पर यदि ड्राइवर घायल को हॉस्पिटल पहुंचाने के बजाय भाग जाता है, तो उसे 10 साल की सजा हो सकती है और जुर्माने का भुगतान भी करना होगा. ड्राइवरों का कहना है कि हादसे के बाद कई बार भीड़ सजा देने पर उतारू हो जाती है, ऐसे में भागकर जान बचाने के अलावा कोई विकल्प नहीं रह जाता. लिहाजा, इस पर सजा का प्रावधान और जुर्माना लगाना पूरी तरह गलत है.
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