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क्या 2027 तक 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था वाला देश बन सकता है भारत?

भारत 2027 तक 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था वाला देश बन सकता है या नहीं, यह इस बात पर निर्भर करता है कि उसके प्रयास क्या रहते हैं, लेकिन यह लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता है.

बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 1 year ago

  • विश्रुत राणा, अर्थशास्त्री

क्या भारत 2027 तक 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था वाला देश बन पाएगा? इस सवाल का सटीक जवाब देना थोड़ा मुश्किल है, लेकिन इतना ज़रूर कहा जा सकता है कि यदि सही दिशा में प्रयास किया जाए तो कोई भी लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता है. भारत भी यह लक्ष्य हासिल कर सकता है. हालांकि, इसके लिए आधारभूत अपेक्षाओं से परे आर्थिक विकास की गति में तेजी लानी होगी.  

ज्यादा तेजी दिखानी होगी
2022 में आर्थिक उत्पादन 3 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर है. 2010 और 2019 के बीच की अवधि में, कोरोना महामारी से पहले नॉमिनल जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) में सालाना लगभग 11.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई. इसी अवधि में, वास्तविक जीडीपी- जिसमें मुद्रास्फीति को समायोजित किया जाता है- में 6.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई. यह मानते हुए कि मूल्य वृद्धि एक-जैसी रहती है और विनिमय दर स्थिर बनी रहती है, तो 5 ट्रिलियन डॉलर के लक्ष्य तक पहुंचने के लिए सालाना करीब 8 प्रतिशत की वास्तविक वृद्धि की आवश्यकता होगी. अर्थव्यवस्था को पिछले दशक की तुलना में तेजी से बढ़ना होगा. 

देश के लिए अच्छे संकेत
इस लक्ष्य की प्राप्ति में अर्थव्यवस्था की संरचना यानी कि इकॉनमी का स्ट्रक्चर भी अहम कड़ी है. सर्विस सेक्टर का अर्थव्यवस्था में योगदान लगभग 54 प्रतिशत है, जबकि कृषि और विनिर्माण का योगदान क्रमशः 15 प्रतिशत और 18 प्रतिशत. पिछले 50 वर्षों में एशिया में विकास के आंकड़ों पर नज़र डालें तो विनिर्माण क्षेत्र ने अर्थव्यवस्थाओं को ऊपर उठाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. भारत के लिए अच्छी बात ये है कि सर्विस सेक्टर पिछले एक दशक में समग्र अर्थव्यवस्था की तुलना में तेजी से बढ़ा है. हालांकि, कृषि और कम उत्पादकता वाले निर्माण जैसे कुछ क्षेत्रों में विकास दर कम है.

बढ़ानी होगी मैन्युफैक्चरिंग ग्रोथ
5 ट्रिलियन डॉलर के लक्ष्य तक पहुंचने के लिए सर्विस सेक्टर में मजबूत बढ़त के साथ-साथ मैन्युफैक्चरिंग ग्रोथ को बढ़ावा देना होगा. पिछले एक दशक के दौरान आर्थिक सुधारों को आगे बढ़ाने में क्रमिक प्रगति हुई है. यह भी महत्वपूर्ण है कि आगामी सुधार के लिए उन क्षेत्रों पर ध्यान दिया जाए जो तेज आर्थिक विकास का मार्ग प्रशस्त कर सकते हैं.

महिलाओं की भागीदारी अहम
Periodic Labour Force Survey के अनुसार, वित्त वर्ष 2019 में श्रम बल में महिलाओं की भागीदारी महज 19% थी, जबकि पुरुषों की 56 फीसदी, जो कि दूसरे देशों के मुकाबले काफी कम है. लिहाजा, इस मुद्दे पर ध्यान देने की ज़रूरत है. आउटपुट बढ़ाने के लिए लेबर फ़ोर्स को बढ़ाना होगा और इसके लिए महिलाओं की भागीदारी में इजाफा ज़रूरी है. बेहतर नौकरी, पारिवारिक और पेशेवर जीवन के बीच संतुलन बनाए रखने के अवसर आदि के माध्यम से न केवल महिलाओं को वर्कफ़ोर्स का हिस्सा बनने के लिए प्रेरित किया जा सकता है, बल्कि सभी कर्मचारियों के जीवन की गुणवत्ता में भी सुधार किया जा सकता है. वैसे भी उद्योग जगत में कहावत है, कर्मचारी खुश, उत्पादकता ज्यादा.

बाज़ारों तक पहुंच
5 ट्रिलियन डॉलर के लक्ष्य तक पहुंचने के लिए अंतर्राष्ट्रीय बाजारों तक पहुंच बनाना और अपनी पकड़ मजबूत करना भी ज़रूरी है. फिलहाल, चीन इस दिशा में तेजी से काम कर रहा है. हालांकि, वैश्विक बाजार बहुत बड़ा है और यहां संभावनाओं की कमी नहीं है. दक्षिण कोरियाई वाहन निर्माता और कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स से जुड़ीं दिग्गज कंपनियां वैश्विक आपूर्तिकर्ताओं और उपभोक्ताओं तक पहुंचने में सफल रही हैं. भारतीय कंपनियां भी वैश्विक बाजारों का रुख कर सकती हैं और वैश्विक फर्मों के साथ प्रतिस्पर्धा कर सकती हैं.

कड़े फैसले
अर्थव्यवस्था की गति पर सरकार द्वारा निर्धारित नीति-निर्देशों का व्यापक असर पड़ता है. इसलिए सरकार को  अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करने वाले कड़े फैसले लेने होंगे. जिस तरह से दवा कड़वी होती है, वैसे ही इन फैसलों से शुरुआत में परेशानी हो सकती है, लेकिन दवा की तरह ही बाद में इसका फायदा भी नजर आने लगेगा.
 


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