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RBI के इस सर्कुलर में ऐसा क्या है कि Bank कर्मचारी यूनियन हो गईं नाराज?
रिजर्व बैंक ने विलफुल डिफॉल्टर्स यानी जानबूझकर लोन नहीं चुकाने वालों को राहत देने वाला सर्कुलर जारी किया है, जिसका विरोध हो रहा है.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 11 months ago
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के एक सर्कुलर पर बैंक यूनियनों ने आपत्ति जताई है. उनका यहां तक कहना है कि इससे देश के बैंकिंग सिस्टम पर नकारात्मक असर पड़ेगा. दरअसल, RBI ने हाल ही में विलफुल डिफॉल्टर्स (Wilful (Defaulters) को लेकर एक सर्कुलर जारी किया है. इसमें एक तरह से विलफुल डिफॉल्टर्स को राहत देते हुए बैंकों के साथ निपटारे के लिए समझौते की अनुमति दे दी है. RBI ने यह भी कहा है कि निपटान होने के बाद संबंधित शख्स या कंपनी एक साल तक लोन के पात्र नहीं होंगे, लेकिन इस अवधि के बाद उन्हें दोबारा लोन दिया जा सकता है.
गलत संदेश भी जाएगा
ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स कन्फेडरेशन (AIBOC) और ऑल इंडिया बैंक एम्प्लॉइज एसोसिएशन (AIBEA) ने RBI के इस फैसले पर आपत्ति जताते हुए कहा कि रिजर्व बैंक की नई व्यवस्था से न केवल इरादतन चूककर्ता को एक तरह से इनाम मिलेगा, बल्कि ईमानदार कर्जदारों के बीच गलत संदेश भी जाएगा. बैंक यूनियनों ने संयुक्त बयान में कहा कि रिजर्व बैंक की समझौता निपटान और तकनीकी रूप से बट्टे खाते में डालने की रूपरेखा पीछे की ओर ले जाने वाला एक कदम है. इससे बैंकिंग प्रणाली की सत्यनिष्ठा प्रभावित होगी और साथ ही विलफुल डिफॉल्टर्स से निपटने के प्रयासों को भी झटका लगेगा. दोनों यूनियन का दावा है कि उनके साथ 600,000 बैंक कर्मचारी जुड़े हुए हैं.
कुछ शर्तें भी निर्धारित
RBI की नई व्यवस्था में कुछ जरूरी शर्तें भी निर्धारित की गई हैं. इन शर्तों में कर्ज की न्यूनतम समयसीमा, जमानत पर रखी गई संपत्ति के मूल्य में आई गिरावट जैसे पहलू भी शामिल हैं. इसके साथ ही बैंकों का निदेशक-मंडल इस तरह के लोन में अपने कर्मचारियों की जवाबदेही की जांच के लिए भी एक प्रारूप तय करेगा. RBI ने अपने सर्कुलर में कहा है कि जानबूझकर लोन न चुकाने वाले या विलफुल डिफॉल्टर्स बैंकों के साथ कर्ज की शर्तों में बदलाव के लिए बातचीत कर सकते हैं और अपने अदा न किए गए कर्ज को लेकर बैंक के साथ सैटलमेंट भी कर सकते हैं. सैटलमेंट होने के एक साल बाद इन डिफॉल्टर्स को दोबारा लोन देने पर बैंक विचार कर सकते हैं.
रियायत नहीं, कार्रवाई करें
बैंक कर्मचारियों की यूनियन का कहना है कि RBI की नई व्यवस्था जानबूझकर लोन न चुकाने वालों के गलत कार्यों की अनदेखी करने और आम नागरिकों एवं बैंक कर्मचारियों पर बोझ बढ़ाने के समान है, यूनियन ने इस फैसले की नए सिरे से समीक्षा की मांग की है और कहा है कि विलफुल डिफॉल्टर्स को रियायतें देने के बजाय उनके खिलाफ सख्त कदम उठाए जाने चाहिए. कर्मचारियों ने आरबीआई से सभी विलफुल डिफॉल्टर्स की सूची सार्वजनिक करने और ईमानदार कर्जदारों और जमाकर्ताओं के हितों की रक्षा करने का अनुरोध भी किया है. वहीं, RBI के इस फैसले पर सवाल भी उठ रहे हैं. जानकारों का कहना है कि जब बैंक विलफुल डिफॉल्टर्स पर सख्ती से कार्रवाई कर रहे हैं, तो फिर उन्हें रियायत देने का क्या मतलब है?
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