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क्या और भी कम होने वाले हैं सरसों के तेल के दाम, क्यों एमएसपी से नीचे हो रही है खरीद?
सरसों के फसल की इस बार बंपर पैदावार हुई है. इनमें सबसे ज्यादा राजस्थान में हुई है. लेकिन कई कारणों के चलते किसानों को फसल का सही दाम नहीं मिल पा रहा है.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 1 month ago
एक ओर जहां गेहूं की फसल आने वाले कुछ दिनों में कटने जा रही है वहीं दूसरी ओर उसके साथ होने वाली कई फसलें इन दिनों बाजार में आ चुकी हैं. उन्हीं फसलों में एक है सरसों जो इन दिनों बाजार में एमएसपी से नीचे बिक रही है. एमएसपी पर नीचे बिकने के कारण जहां किसानों को नुकसान उठाना पड़ रहा है वहीं दूसरी ओर ये आशंका भी पैदा होने लगी है कि क्या सरसों का तेल सस्ता होने वाला है.
आखिर क्या है ये पूरा मामला?
जानकारों का मानना है कि सरसों के उत्पादन में इस साल इजाफा होने और बाहर से आने वाले तेल का ड्यूटी फ्री होना इसका सबसे प्रमुख कारण है. आने वाले दिनों में सरसों की आवक में और इजाफा होने की उम्मीद है. साथ ही NAFED भी इसकी खरीद शुरू कर सकता है. तब इसके दाम स्थिर होने की संभावना है.
पिछले कुछ सालों में कितना हुआ है उत्पादन
अगर देश में सरसों के उत्पादन पर नजर डालें तो 2018-19 में सरसों का उत्पादन 92.56 लाख टन इसी तरह 20109-20 में 91.24 लाख टन, 20-21 में 102.10 लाख टन, 21-22 में 119.63 लाख टन, 22-23 में 126.43 लाख टन, 23-24 में 126.96 लाख टन उत्पादन हुआ है. इसी तरह अगर राज्यों में होने वाले उत्पादन पर नजर डालें तो राजस्थान में 58.44 लाख टन, उत्तर प्रदेश में 17.46 लाख टन, मध्य प्रदेश में 16.65 लाख टन, हरियाणा में 13.04 लाख टन और पश्चिम बंगाल में 7.81 लाख टन सरसों का उत्पादन होता है.
क्या कहते हैं कमोडिटी एक्सपर्ट?
इस पूरे मसले को लेकर कमोडिटी एक्सपर्ट अजय केडिया कहते हैं कि रिकॉर्ड उत्पादन के बीच सरसों किसानों को मूल्य निर्धारण की समस्या का सामना करना पड़ रहा है
रिकॉर्ड-उच्च उत्पादन अनुमानों के बीच कटाई का मौसम शुरू होते ही सरसों की खेती करने वाला किसान को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. केंद्र के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 5,650 रुपये के बावजूद निजी व्यापारी कथित तौर पर कम से कम रुपये की बोली लगा रहे हैं. किसानों को सरसों के लिए 4,500 रुपये प्रति क्विंटल का भाव मिल रहा है जिससे किसानों में असंतोष फैल रहा है.
केंद्रीय तेल उद्योग और व्यापार संगठन (सीओओआईटी) ने सरसों के लिए 123 लाख टन के चौंका देने वाले अनुमानित उत्पादन का खुलासा किया है, जो रिकॉर्ड पर सबसे अधिक उपज है और पिछले वर्ष की तुलना में 9% से ज्यादा है. इस उत्पादन का बड़ा हिस्सा राजस्थान से आने की उम्मीद है, इसके बाद उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और अन्य क्षेत्रों से महत्वपूर्ण योगदान मिलेगा. सरसों के किसान बाजार की जटिलताओं से जूझ रहे हैं, इसलिए एमएसपी और वास्तविक खरीद कीमतों के बीच अंतर को पाटने के लिए हस्तक्षेप की सख्त जरूरत है, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि किसानों को उनकी उपज के लिए उचित रिटर्न मिले.
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