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इस साल देश छोड़ जाएंगे 8000 धनकुबेर! क्या है वजह और क्या होगा उनका ठिकाना?
दुनिया भर के अमीरों और निवेश से जुड़ी गतिविधियों पर नजर रखने वाली संस्था हेनली ग्लोबल सिटिजन्स रिपोर्ट में कहा गया है कि कम से कम 8000 हाई-नेट वर्थ इंडिविजुअल भारत छोड़ सकते हैं.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 1 year ago
नीरज नैय्यर / आमिर कुरैशी. एक तरफ जहां कहा जा रहा है कि अगले एक दशक में भारत में अरबपतियों की संख्या में ज़बरदस्त इजाफा होगा, वहीं इस साल यानी कि 2022 में हजारों अमीरों के देश छोड़ने की भी आशंका है. दुनिया भर के अमीरों और निवेश से जुड़ी गतिविधियों पर नजर रखने वाली संस्था हेनली ग्लोबल सिटिजन्स रिपोर्ट में कहा गया है कि कम से कम 8000 हाई-नेट वर्थ इंडिविजुअल भारत छोड़ सकते हैं.
तलाश रहे संभावनाएं
रिपोर्ट के अनुसार, ज़्यादातर युवा उद्यमी वैश्विक व्यापार और निवेश की संभावनाएं तलाश रहे हैं. ऐसे में वे विदेशों का रुख कर सकते हैं. भारतीय अर्थव्यवस्था बाकी देशों के मुकाबले बेहतर स्थिति में है और भारत विदेशी निवेशकों के लिए भी आकर्षक का केंद्र रहा है. ऐसे में भारतीय अमीरों का देश छोड़कर जाना थोड़ा अजीब लगता है.
जहां, लाभ ज्यादा-टैक्स कम
कुछ एक्सपर्ट्स का मानना है कि अमीरों के देश छोड़ने के वैसे तो कई कारण हो सकते हैं, लेकिन इनमें अहम है सख्त टैक्स नियम. वहीं, कुछ यह भी मानते हैं कि हायर स्टैण्डर्ड ऑफ लिविंग, बेहतर शिक्षा, परिवार के लिए अच्छी स्वास्थ्य सुविधाएं भी इसमें की-फैक्टर हो सकती हैं. उनके मुताबिक, युवा हाई-नेट वर्थ इंडिविजुअल ऐसे देशों में निवेश करने के इच्छुक हैं, लाभ ज्यादा हों और टैक्स रेट कम, इसलिए उन्हें भारत छोड़ने में कोई दिक्कत नहीं.
'सरकार की कुछ नीतियां कारोबार को खत्म कर रही हैं'
बिजनेस वर्ल्ड टीम में आगरा की कुछ चुनिंदा लोगों से बात की जो आगरा की शान हैं. जब उनसे पूछा गया कि आप भारत को छोड़कर दूसरे देश में क्यों बसाना चाहते हैं तो बिना नाम बताए उन्होंने बोला कि पहले के भारत ओर अब के भारत में जमीन आसमान का फर्क है. सरकार की कुछ नीतियां कारोबार को खत्म कर रही हैं जिसके चलते कारोबार पर बहुत असर पड़ रहा है और सबसे मुख्य कारण जीएसटी का होना बताया. उन्होंने बताया कि जीएसटी को फाइल करने के बाद और जब GST रिटर्न नहीं आती है उसके बाद भी उनके कारोबार पर सरकारी महकमे जैसे कि इनकम टैक्स, सेल टैक्स के छापे पड़ते हैं जिससे उनको बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ता है. यही वजह सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है जिसके चलते भारत से कारोबार को समेटकर दूसरे देश ले जाया जा रहा है.
टूरिज्म सेक्टर को बहुत नुकसान हुआ
ऐसे ही बिजनेस वर्ल्ड की टीम ने होटल व्यवसायियों से बात की जिन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री जी से बहुत कुछ उम्मीद लगाई थी परंतु उम्मीद पर पानी फेर दिया गया. किसी भी तरीके का टूरिज्म सेक्टर को कुछ भी नहीं दिया गया, जिससे टूरिज्म सेक्टर को बहुत नुकसान हुआ. पर्यटक दुबई, मालदीप, यूरोप की यात्रा पर चले गये..! ये वह देश है जिन्होंने टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए बहुत प्रयास किए जिससे कि वहां की इकोनॉमी और टूरिज्म को फायदा पहुंचे! अगर हम भारतीय टुरिज्म की बात करें तो भारतीय पर्यटन को उभरने में कम से कम 2 से 3 साल का समय लग सकता है.
बिजनेस वर्ल्ड की टीम द्वार समस्त तरीके की जानकारी प्राप्त करने के बाद यह पता चला कि आगरा से ही कम से कम 40 से 50 परिवार ऐसे हैं जो भारत छोड़कर दूसरे देशों की नागरिकता ले चुके हैं.
ये भी हो सकती है वजह
सोशल सिक्योरिटी की दरकार
डावर ने आगे कहा, ‘हमारे यहां कॉर्पोरेट टैक्स भी कम है, सरकार कर-प्रणाली को निर्बाध बनाने की लगातार कोशिश कर रही है. इससे बेहतर की गुंजाइश बेमानी होगी. हालांकि, हम सरकार से अपेक्षा रखते हैं कि टैक्सपेयर की सोशल सिक्योरिटी के बारे में भी वो कुछ सोचे. सरकार को इसके लिए कोई न कोई योजना लानी चाहिए, तभी करदाता खुद को सुरक्षित समझेगा’. पूरन डावर के मुताबिक, भले ही टैक्स रेट में कमी न हो, लेकिन टैक्सपेयर की सोशल सिक्योरिटी के लिए कोई स्कीम ज़रूर लाई जाए. यदि ऐसा होता है, तो लोग ज्यादा ईमानदारी से कर का भुगतान करेंगे.
कहां बनाएंगे ठिकाना?
रिपोर्ट में बताया गया है कि यूरोपीय यूनियन के देशों के साथ-साथ दुबई और सिंगापुर भारतीयों को ज्यादा लुभा रहे हैं. सिंगापुर तकनीकी उद्यमियों का पसंदीदा स्थान है. इसके अलावा ये देश अपनी मजबूत कानूनी व्यवस्था और विश्व स्तरीय वित्तीय सलाहकारों की उपलब्धता के कारण भी मशहूर है. रिपोर्ट कहती है कि दुनिया के अन्य देशों के मुकाबले 2022 में UAE अमीरों को सबसे ज्यादा आकर्षित करेगा. अनुमान है कि इस साल वहां 4000 धनकुबेर बस जाएंगे.
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