होम / BW क्लास / BW Class: प्राइमरी और सेकेंडरी मार्केट क्या होते हैं, समझिए बिल्कुल आसान भाषा में
BW Class: प्राइमरी और सेकेंडरी मार्केट क्या होते हैं, समझिए बिल्कुल आसान भाषा में
जब कोई कंपनी IPO लेकर आती है और आप उसे खरीदने के लिए बोली लगाते हैं, अगर आपको शेयर मिल जाते हैं तो कहा जाएगा कि आपने शेयर प्राइमरी मार्केट से खरीदा है
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 1 year ago
कैपिटल मार्केट के दो हिस्से होते हैं, एक प्राइमरी मार्केट और दूसरा सेकेंडरी मार्केट. ये दोनों क्या होते हैं इन दोनों में क्या अंतर होता है. अगर आप शेयर मार्केट में निवेश करना चाहते हैं तो आपको इनके बारे में जरूर पता होना चाहिए.
प्राइमरी मार्केट क्या होता है
हम यहां पर प्राइमरी मार्केट को शेयर बाजार के नजरिए से समझेंगे. प्राइमरी मार्केट में नई सिक्योरिटीज जैसे नए बॉन्ड्स और नए शेयर जारी किए जाते हैं. जैसे कोई कंपनी नया IPO लेकर आती है या कोई कंपनी या सरकार कोई नया बॉन्ड जारी करती है.
जब किसी कंपनी को शेयर मार्केट से पैसा जुटाना होता है तो वो अलग-अलग तरीके अपनाती है, जैसे पब्लिक इश्यू, प्राइवेट प्लेसमेंट और राइट्स इश्यू. ये सभी प्राइमरी मार्केट के तरीके होते हैं. चलिए पहले इनको समझ लेते हैं
पब्लिक इश्यू
जब कोई कंपनी पहली बार अपने शेयरों को शेयर मार्केट में लाकर बेचती है तो उसे IPO या Intial Public Offer कहते हैं. निवेशक कंपनी के शेयरों के लिए बोली लगाते हैं, और जब उन्हें शेयर मिल जाते हैं तो वो कंपनी में एक छोटे से हिस्सेदार हो जाते हैं. ये किसी कंपनी का पब्लिक में शुरुआती ऑफर होता है इसलिए इसको Intial Public Offer कहते हैं.
प्राइवेट प्लेसमेंट
जब कंपनी पैसे जुटाने के लिए पब्लिक की बजाय कुछ चुनिंदा निवेशकों को अपने शेयर बेचती है तो उसे प्राइवेट प्लेसमेंट कहते हैं. जैसे बीमा कंपनियां, बैंक, म्यूचुअल फंड्स कंपनियां वगैरह. इसमें आम निवेशक हिस्सा नहीं लेते हैं.
राइट्स इश्यू
इसमें कंपनी अपने मौजूदा शेयरहोल्डर्स को शेयर जारी करके पैसे जुटाती है. जैसे अगर कोई कंपनी 1:3 का राइट्स इश्यू लेकर आ रही है तो इसका मतलब है कि 3 शेयर के पीछे निवेशक 1 शेयर खरीद सकते हैं. राइट्स इश्यू में शेयरों की कीमत मौजूदा प्राइस से कम होती है, ताकि निवेशक शेयर को खरीदने के लिए प्रोत्साहित हों.
सेकेंडरी मार्केट क्या होता है?
जब कोई कंपनी IPO लेकर आती है और आप उसे खरीदने के लिए बोली लगाते हैं, अगर आपको शेयर मिल जाते हैं तो कहा जाएगा कि आपने शेयर प्राइमरी मार्केट से खरीदा है, लेकिन अगर आपको शेयर नहीं अलॉट होते हैं, तो इसका मतलब ये नहीं कि आप कंपनी के शेयर नहीं खरीद सकते. जब IPO लिस्ट हो जाता है तो आप उसके शेयरों को खरीद सकते हैं, तब कहा जाएगा कि आपने शेयरों को सेकेंडरी मार्केट कहा जाता है. सेकेंडरी मार्केट का मतलब ये कतई नहीं कि शेयर आपको सस्ते में मिल जाएगा, आप सेकेंड हैंड कार से तुलना मत करिएगा, शेयरों के मामले में सबकुछ उसके परफॉर्मेंस पर निर्भर करता है. अगर IPO में आपको शेयर नहीं मिले तो करंट मार्केट प्राइस पर आप शेयर खरीद सकते हैं, ये शेयर IPO प्राइस से ज्यादा या कम भी हो सकता है. इसलिए सेकेंडर मार्केट को After Market भी कहा जाता है.
प्राइमरी और सेकेंडर मार्केट में अंतर
1. IPO पर जब आप शेयर खरीदते हैं तो आप एक पहले से तय रकम देते हैं, लिस्टिंग के बाद शेयर की कीमत में उतार चढ़ाव दिखता है, लेकिन सेकेंडरी मार्केट में पहले से तय कोई रकम नहीं होती है.
2. प्राइमरी मार्केट में कंपनी अपने शेयर डायेरक्ट निवेशकों को बेचती है, लेकिन सेकेंडर मार्केट में कंपनी का शेयर की खरीद फरोख्त से कोई लेना देना नहीं होता है.
जैसे अगर मिस्टर X को Reliance के शेयर चाहिए तो वो सीधे कंपनी से नहीं खरीदेंगे, बल्कि एक्सचेंज पर जाकर खरीदेंगे, जहां करोड़ों निवेशक पहले से मौजूद होते हैं, जिनके पास Reliance के शेयर हैं. मान लीजिए मिस्टर X को Reliance के 100 शेयर खरीदने हैं, तो वो अप्लाई करेंगे, कोई दूसरा निवेशक मिस्टर Y अपने 100 शेयर बेचना चाहते हैं तो उनके शेयर मिस्टर X को मिल जाएंगे, यानी ये ट्रांजैक्शन दो निवेशकों के बीच होता है, इसमें Reliance का कोई रोल नहीं है.
3. प्राइमरी मार्केट में जब कोई निवेशक पैसा निवेश करता है तो ये सीधा कंपनी के पास जाता है, जबकि सेकेंडरी मार्केट में पैसा एक निवेशक से दूसरे निवेशक के पास जाता है.
4. प्राइमरी मार्केट में एक शेयर की कीमत क्या होगी ये कंपनी तय करती है जिसे प्राइस बैंड या इश्यू प्राइस कहते हैं, लेकिन सेकेंडरी मार्केट में शेयरों की कीमत डिमांड सप्लाई पर निर्भर करती है, जब शेयर की डिमांड ज्यादा और सप्लाई कम होती है तो शेयर के भाव बढ़ जाते हैं, और जब डिमांड कम होती है तो भाव घट जाते हैं
5. प्राइमरी मार्केट में नए शेयर और बॉन्ड्स जारी किए जाते हैं, जबकि सेकेंडरी मार्केट में पहले से ही जारी इन शेयरों की ट्रेडिंग होती है.
VIDEO: IPO आवेदन के लिए SEBI के नए नियम
टैग्स