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ज्यादातर लोग करते हैं रोजाना इस्तेमाल, पर नहीं पता होता Debt Instruments का मतलब!
फंड्स इकट्ठा करने के लिए डेट इंस्ट्रूमेंट्स का इस्तेमाल एक व्यक्ति, सरकारी संस्था या फिर एक बिजनेस इकाई द्वारा भी किया जा सकता है.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 10 months ago
आपने अक्सर ऐसी खबरें सुनी होंगी जिनमें बताया गया होता है कि किसी संस्था को फंड इकट्ठा करने के लिए उसके बोर्ड से अनुमति मिल गई है और फंड्स इकट्ठा करने के लिए वह संस्था डेट इंस्ट्रूमेंट्स (Debt Instruments) का इस्तेमाल करने वाली है. ज्यादातर लोगों को यह नहीं पता होता कि आखिर डेट इंस्ट्रूमेंट्स क्या होते हैं और इनसे फंड्स किस तरह इकट्ठा किए जाते हैं?
आखिर क्या होते हैं डेट इंस्ट्रूमेंट्स?
डेट इंस्ट्रूमेंट का इस्तेमाल विभिन्न संस्थाओं या फिर किसी इकाई द्वारा फंड को इकट्ठा करने के लिए किया जाता है. डेट इंस्ट्रूमेंट एक प्रकार के कागजात होते हैं और किसी संस्था या फिर इकाई को फंड्स उपलब्ध करवाने के बदले में यह एक समझौता होता है. समझौते के अनुसार, जिस संस्था या फिर इकाई को फंड्स उपलब्ध करवाए गए हैं वह समझौते की शर्तों के अनुसार इन्वेस्टर या फिर उधारदाता को उस राशि का भुगतान कर देगी. आसान शब्दों में कहें तो डेट इंस्ट्रूमेंट वह समझौता है जिसके अनुसार एक संस्था को इस समझौते के माध्यम से प्राप्त हुई राशि का भुगतान, समझौते के नियमों के अनुसार करना होता है.
कौन-कौन कर सकता है डेट इंस्ट्रूमेंट्स का इस्तेमाल?
एक डेट इंस्ट्रूमेंट में डील के विभिन्न प्रावधानों की जानकारी, डील में शामिल जमानत की रकम, प्रदान किए जा रहे फंड पर लगने वाले ब्याज की दर, विभिन्न ब्याज दरों के भुगतान का समय, और मैच्योरिटी की अवधी जैसी विभिन्न जानकारियां शामिल होती हैं. फंड्स इकट्ठा करने के लिए डेट इंस्ट्रूमेंट्स का इस्तेमाल एक व्यक्ति, सरकारी संस्था या फिर एक बिजनेस इकाई द्वारा भी किया जा सकता है. क्रेडिट कार्ड, लोन्स और बॉन्ड्स भी डेट इंस्ट्रूमेंट्स के विभिन्न प्रकार में शामिल हैं.
क्यों बेहतर विकल्प हैं डेट इंस्ट्रूमेंट्स?
अब सवाल उठता है कि फंड्स इकट्ठा करने के लिए संस्थाओं द्वारा आखिर डेट इंस्ट्रूमेंट्स का इस्तेमाल ही क्यों किया जाता है? ज्यादातर संस्थाएं फंड्स इकट्ठा करने के लिए डेट इंस्ट्रूमेंट्स का इस्तेमाल इसलिए करती हैं क्योंकि डेट इंस्ट्रूमेंट्स में उधार ली गई रकम को वापस करने के लिए एक तय शेड्यूल उपलब्ध करवाया जाता है जिसकी वजह से न सिर्फ रिस्क कम होता है बल्कि ब्याज में भी कमी आती है. जब भी एक संस्था कैपिटल प्राप्त करने के लिए बहुत से उधारदाताओं से या फिर सही रूप से आयोजित किसी मार्केटप्लेस से उधार लेती है तो आमतौर पर इसे डेट सिक्योरिटी इंस्ट्रूमेंट कहा जाता है.
यह बैंक डेट इंस्ट्रूमेंट्स के माध्यम से इकट्ठा करेगा फंड
SBI यानी स्टेट बैंक ऑफ इंडिया भारत का सबसे बड़ा बैंक और उधारदाता है. हाल ही में SBI को अपने बोर्ड से वित्त वर्ष 2024 के दौरान 50,000 करोड़ रूपए की राशि इकट्ठा करने के लिए अनुमति मिल गई है. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि SBI यह रकम इकट्ठा करने के लिए डेट इंस्ट्रूमेंट्स का इस्तेमाल करेगा और इन डेट इंस्ट्रूमेंट्स में लॉन्ग-टर्म बॉन्ड्स, बेसल 3 के अनुरूप टियर 1 के बॉन्ड्स और बेसल 3 के अनुरूप टियर 2 के बॉन्ड्स जैसे विभिन्न डेट इंस्ट्रूमेंट्स शामिल हैं.
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