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BW Class: क्या होता है एस्क्रो खाता, इससे आपको क्या फायदा, समझिए आसान भाषा में
ये एक टेम्पररी पास थ्रू अकाउंट होता है. इसका सबसे बड़ा फायदा ये होता है कि दो पार्टियों के लेन-देन के बीच ट्रांसजैक्शन रिस्क खत्म हो जाता है.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 1 year ago
अक्सर आपने एस्क्रो अकाउंट (Escrow Account) के बारे सुना होगा, लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये क्या होता है और कैसे काम करता है और इसकी जरूरत आखिर क्यों पड़ती है. एस्क्रो अकाउंट का इस्तेमाल बड़ी बड़ी वित्तीय लेनदेन में होता है. इसको समझने के लिए एक उदाहरण लेते हैं
समझिए क्या होता है एस्क्रो खाता
मान लीजिए राम एक सेलर या विक्रेता है और श्याम के बायर या खरीदार है. अब अगर राम कोई सामान श्याम को बेचता है या श्याम कोई चीज खरीदने के लिए राम को पैसे देता है तो दोनों के बीच में एक असुरक्षित लेन-देन होता है, क्योंकि अगर राम ने उसको माल भेज दिया और श्याम ने पैसे नहीं दिये या फिर इसका उल्टा श्याम ने पैसे दिए लेकिन राम ने माल नहीं भेजा तो क्या होगा. दोनों के बीच इसी भरोसे की कमी को खत्म करने के लिए एक रास्ता निकाला गया.
राम और श्याम के बीच में जो भी वित्तीय लेन-देन हो रहा है उनके बीचे में एक थर्ड पार्टी अकाउंट खोला जाता है, जिसे एस्क्रो अकाउंट कहते हैं. इस एस्क्रो अकाउंट को आमतौर पर कोई बैंक खोलता है या कोई भी थर्ड पार्टी खोलती है जिसे एस्क्रो एजेंट कहते हैं. अब जब श्याम को कोई सामान खरीदना होगा तो वो पैसा सीधा राम को न देकर इस एस्क्रो अकाउंट में डालेगा. जब पैसा एस्क्रो अकाउंट में आ जाएगा तब राम सामान को श्याम को डिलिवर कर देगा, सामान डिलिवर होने के बाद एस्क्रो अकाउंट से पैसा राम के खाते में चला जाएगा.
देखा जाए तो ये एक टेम्पररी पास थ्रू अकाउंट (Temporary Pass Through Account) होता है. इसका सबसे बड़ा फायदा ये होता है कि दो पार्टियों के लेन-देन के बीच ट्रांसजैक्शन रिस्क खत्म हो जाता है. इस उदाहरण में एस्क्रो अकाउंट दो पार्टियों के बीच हुए ट्रांजैक्शन में पैसों को अपने पास रख रहा है, लेकिन यहां पर पैसों के अलावा कोई भी दूसरा असेट हो सकता है. जैसे शेयर, बॉन्ड, प्रॉपर्टी के कागजात वगैरह, एस्क्रो अकाउंट इनकों भी होल्ड करके रख सकता है. हालांकि एस्क्रो खाता खोलना एक जटिल प्रक्रिया है क्योंकि सभी बैंक इन सेवाओं की पेशकश नहीं करते हैं.
एस्क्रो खाता के फायदे
एस्क्रो खाता दोन पक्षों के बीच होने वाले वित्तीय लेन देन को सुरक्षित बनाता है. विक्रेता को इस बात की चिंता करने की ज़रूरत नहीं है कि खरीदार भुगतान नहीं करेगा कि नहीं और खरीदार को भुगतान करने के बावजूद माल मिलेगा या नहीं, इसकी चिंता करने की भी जरूरत नहीं होती है.
रियल एस्टेट में एस्क्रो खाता अनिवार्य
एस्क्रो खाता का इस्तेमाल रियल एस्टेट में अनिवार्य रूप से किया जाता है. RERA अधिनियम के तहत एक आवास परियोजना के लिए घर खरीदारों से मिलने वाली अग्रिम राशि का 70% एक एस्क्रो खाते में जमा किया जाना अनिवार्य होता है. मतलब जो भी पैसा घर खरीदार बिल्डर को देंगे उसको 70 परसेंट एस्क्रो खाते में जाएगा. बाकी का 30 परसेंट पैसा बिल्डर को जाता है, जिससे वो प्रोजेक्ट को पूरा करता है. जैसे जैसे प्रोजेक्ट की प्रगति होती है वैसे वैसे उसको एस्क्रो अकाउंट से पैसे जारी कर दिया जाता है. ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि बिल्डर घर खरीदारों के पैसे का गलत इस्तेमाल न कर सके, उस पैसे का इस्तेमाल किसी दूसरे काम या प्रोजेक्ट में न लगा सके. जिस प्रोजेक्ट के लिए पैसा दिया गया है, पैसा उसी प्रोजेक्ट में लगेगा. बिल्डर के खाते को हर छह महीने में एक चार्टर्ड एकाउंटेंट द्वारा ऑडिट किया जाता है, सिर्फ ये चेक करने के लिए बिल्डर कहीं इस पैसे को डायवर्ट तो नहीं कर रहा है. इसका फायदा घर खरीदारों को होगा, उनको घरों का पजेशन वक्त पर मिल सकेगा और प्रोजेक्ट अटकेंगे नहीं.
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