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FSIB ने Public Sector बैंकों के लिए इन 16 नामों का किया चयन
FSIB ने 72 उम्मीदवारों का साक्षात्कार लिया था लेकिन सिर्फ 16 लोगों का ही चयन हो पाया. ये लोग जल्द ही अपने पदों पर ज्वॉइन कर लेंगे. ये संस्थान सभी पब्लिक सेक्टर बैंकों के लिए नियुक्ति करता है.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 10 months ago
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों, बीमा कंपनियों, और वित्तीय संस्थानों के लिए उपयुक्त उम्मीदवारों का चयन करने वाले संस्थान FSIB ने अलग-अलग पब्लिक सेक्टर बैंकों के लिए 16 उम्मीदवारों का चयन किया है. चुने गए ये 16 उम्मीदवार जल्द ही अपने पदों पर ज्वॉइन कर लेंगे. FSIB ने इन 16 लोगों को चयन करने के लिए 72 लोगों का साक्षात्कार किया था.
किन-किन नामों का हुआ है ऐलान
FSIB की ओर से जारी की गई अधिसूचना के अनुसार 16 लोगों का चयन किया गया है. साक्षात्कार में इन सभी उम्मीदवारों की परफॉरमेंस, उनके कुल अनुभव, और मौजूदा मापदंडों को ध्यान में रखा गया है. जिन लोगों के नामों का ऐलान हुआ है उनमें संजय रुद्र, लाल सिंह, विभू प्रसाद महापात्रा, बजरंग सिंह, रवि मेहरा, राजीव मिश्रा, भावेंद्र कुमार, ब्रजेश कुमार सिंह, रोहित ऋषि, महेंद्र दोहरे, एस.के. मजूमदार, धनराज टी., विजयकुमार निवृत्ति कांबले, पंकज द्विवेदी , मुकुल एन. दांडिगे, और अमित कुमार श्रीवास्तव जैसे नाम शामिल हैं. इन सभी लोगों का चयन 1 जुलाई से लेकर 15 जुलाई तक हुए इंटरव्यू के दौरान ही किया गया.
भारत में मौजूद हैं कितने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक
मौजूदा समय में भारत में 12 सार्वजनिक बैंक हैं. इनमें बैंक ऑफ बड़ौदा, बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ महाराष्ट्र, केनरा बैंक, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, इंडियन बैंक, इंडियन ओवरसीज बैंक, पंजाब एंड सिंध बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, यूसीओ बैंक, और यूनियन बैंक ऑफ इंडिया जैसे बैंक शामिल हैं. इनमें होने वाली उच्च स्तर की सभी नियुक्तिओं को FSIB ही करता है.
आखिर क्या रहेगी इनके सामने चुनौती
पब्लिक सेक्टर बैंकों की 2022-23 की परफॉरमेंस पर नजर डालें तो वो बेहतर रही है. पिछले साल के मुकाबले बैंकों ने बेहतरीन मुनाफा कमाया है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, अगर अकेले सबसे बड़े बैंक SBI के मुनाफे पर नजर डालें तो 2022-23 की तीसरी तिमाही तक बैंक 33538 करोड़ रुपये कमाने में कामयाब रहा है. जबकि पिछले साल बैंक ने 31675.98 करोड़ कमाए थे. इसी तरह बाकी बैंकों का प्रदर्शन भी बेहतर रहा है. कर्ज की स्थिति सुधरी है. लेकिन जैसा कि वित्त मंत्री कह चुकी हैं कि सभी बैंकों को अपने एनपीए को कम करने की जरूरत है तो ऐसे में इस मुददे पर काम करना इनकी संयुक्त जिम्मेदारी में शामिल रहेगा .एनपीए यानी नॉन परफॉर्मिंग एसेट (Non Performing Asset) इसे दूसरी भाषा में फंसा हुआ कर्ज भी कहते हैं.
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