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BYJU’S को लगा एक और झटका, इस पद पर बैठे अहम शख्स ने कंपनी को कहा अलविदा
BYJU’S के सीएफओ ने वेदांता में एक ऐसे समय में वापसी की है जब कंपनी अपनी एक यूनिट को अलग-अलग हिस्सों में बांट रही है.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 6 months ago
एजुकेशन सेक्टर में काम करने वाली कंपनी BYJU’S के सीएफओ अजय गोयल ने अलविदा कह दिया है. अजय गोयल ने फिर से वेदांता का दामन थाम लिया है. वो कुछ समय पहले ही वेदांता से BYJU’S में शामिल हुए थे. उनकी कंपनी में वापसी वेदांता के एक कार्यक्रम के तहत हुई है.
आखिर कौन हैं अजय गोयल?
पेशे से अजय गोयल एक सीए हैं और कंपनी सीए के रूप में एक राष्ट्रीय रैंकधारी हैं. अजय गोयल इससे पहले नेस्ले, डियाजियो, कोका कोला, और यूएसएल जैसी कंपनियों में अहम पदों पर काम कर चुके हैं. अजय गोयल लगभग दो साल (2021 से 2023) तक कंपनी के साथ काम कर चुके हैं. वो उस दौरान कंपनी के सीएफओ के तौर पर काम कर चुके हैं. उनके इससे पहले कार्यकाल में वो कंपनी के बिजनेस परफॉरमेंस से लेकर निवेश, पूंजी आवंटन जैसे अहम मामलों को संभाल चुके हैं.
वेदांता में होने वाले हैं बड़े बदलाव
अजय गोयल की कंपनी में ऐसे समय में वापसी हुई है जब धातु, बिजली, एल्यूमिनियम, पॉवर, स्टील एंड फोरम को वेदांता लिमिटेड को अलग करने जा रही है. कंपनी ने शेयर बंटवारे को लेकर जो फॉर्मूला तय किया है उसके अनुसार वेदांता कंपनी के एक शेयर के लिए पांच अलग-अलग व्यसायों में से एक शेयर जारी करेगा. कंपनी ने इसके लिए जिन नियामकों की अनुमति मांगी है वो उसे एक से डेढ़ साल में मिलने की उम्मीद है.
अग्रवाल को है ये उम्मीद
वेदांता लिमिटेड खुद को छह लिस्टेड कंपनियों में विभाजित करने वाली है. अनिल अग्रवाल को उम्मीद है कि इस कदम से निवेशक सीधे प्रमुख व्यवसायों की ओर आकर्षित होंगे और सहायक कंपनियों की वैल्युएशन में बढ़ोत्तरी होगी. साथ ही इस बदलाव से मूल कंपनी के कर्ज को कम करने के लिए कुछ संपत्तियों को बेचना भी उनके लिए आसान हो जाएगा. वहीं, एक्सपर्ट्स का भी कहना है कि अनिल अग्रवाल को Vedanta के Demerger से फायदा मिल सकता है. उनके मुताबिक, यदि वेदांता को छह हिस्सों में बांटने की प्रक्रिया सफल रहती है, तो इसका पॉजिटिव असर दिखने को मिल सकता है. उदाहरण के तौर पर, वेदांता ग्रुप पर निवेशकों का भरोसा बढ़ेगा, उसकी फंड जुटाने की क्षमता बढ़ेगी और फाइनेंशियल सेहत में भी सुधार आएगा. क्योंकि हर कंपनी बिना दूसरे हिस्से की कमजोरी का बोझ उठाए आगे बढ़ सकेगी. मौजूदा व्यवस्था में यदि कोई एक कारोबार अच्छी स्थिति में है, लेकिन दूसरे के हाल अच्छे नहीं हैं, तो उसका असर सामूहिक रूप से पड़ता है.
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