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RBI के इस फैसले से ज्यादा सुरक्षित होंगे आपके डेबिट और क्रेडिट कार्ड!
RBI के गवर्नर शक्तिकांत दास द्वारा यूजर के बैंक स्तर पर CoFT (कार्ड-ऑन-फाइल टोकनाइजेशन) का सुझाव दिया गया था.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 7 months ago
हाल ही में भारत के केंद्रीय बैंक RBI (रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया) द्वारा एक फैसला लिया गया था और माना जा रहा है कि इस फैसले की बदौलत ऑनलाइन शॉपिंग करते हुए अब आपके डेबिट और क्रेडिट कार्ड ज्यादा सुरक्षित हो पायेंगे. हम RBI द्वारा शुरू की गई CoFT (कार्ड-ऑन-फाइल टोकनाइजेशन) सुविधा के बारे में बात कर रहे हैं.
RBI ने की थी CoFT की घोषणा
हाल ही में भारत के केंद्रीय बैंक RBI के गवर्नर शक्तिकांत दास द्वारा यूजर के बैंक स्तर पर CoFT (कार्ड-ऑन-फाइल टोकनाइजेशन) की सुविधा का सुझाव दिया गया था. CoFT का सुझाव देने के साथ-साथ गवर्नर शक्तिकांत दास ने कार्ड की टोकनाइजेशन के फायदों और उसको अपनाए जाने के बारे में भी बताया है. आपको बता दें कि RBI ने टोकनाइजेशन की फाइल के लिए नए चैनलों की घोषणा की थी. इसका मतलब ये है कि क्रेडिट या फिर डेबिट कार्ड इस्तेमाल करने वाले यूजर्स अपने बैंक की आधिकारिक वेबसाइट या फिर ऐप पर जाकर ही कार्ड टोकन जनरेट कर सकते हैं. अभी अगर आपको ऑनलाइन शॉपिंग के दौरान कार्ड टोकन जनरेट करना होता है तो आप ई-कॉमर्स प्लेटफार्म की साईट पर जाकर ही ऐसा कर सकते हैं.
CoFT की बदौलत हुआ ये फायदा
ई-कॉमर्स या फिर मर्चेंट के पोर्टल पर जनरेट होने वाले टोकन के मुकाबले यह काफी सुरक्षित विकल्प होगा और इससे डाटा सिक्योरिटी की उलझनें भी खत्म हो जाती हैं. RBI के इस फैसले से कस्टमर्स को अपने कार्ड के टोकन को मैनेज करने और उन्हें नियंत्रित करने में भी ज्यादा सुविधा होगी. RBI ने सबसे पहले CoFT को सितंबर 2021 में लोगों के सामने रखा था और 1 अक्टूबर 2022 से इसे लागू करना भी शुरू कर दिया था. अभी तक 56 करोड़ से ज्यादा टोकन के बारे में रिपोर्ट की जा चुकी है और इनके माध्यम से लगभग 5 लाख करोड़ रुपयों की कीमत के ट्रांजेक्शन किये जा चुके हैं. टोकनाइजेशन की मदद से ट्रांजेक्शन ज्यादा सुरक्षित भी हुए हैं और ट्रांजेक्शन का अप्रूवल रेट भी बढ़ा है.
टोकन जनरेट करना हुआ आसान
अभी तक कार्डहोल्डर को हर मर्चेंट या फिर ई-कॉमर्स वेबसाइट पर जाकार सबके लिए अलग से टोकन जनरेट करने पड़ते थे. इसमें समय भी ज्यादा लगता था और यूजर्स को परेशानियों का सामना भी करना पड़ता था. लेकिन अब कार्डहोल्डर के बैंक के स्तर पर टोकन बनाये जायेंगे और फिर पहले से मौजूद ई-कॉमर्स अकाउंटों के साथ उन्हें जोड़ा जाएगा. इससे टोकनाइजेशन के डुप्लीकेट होने का खतरा भी दूर हो जाएगा और ट्रांजेक्शन की सुरक्षा भी पहले से बेहतर होगी.
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