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बेंगलुरु की झीलों का कब होगा सुधार, अतिक्रमण ने कम की क्षमता
बेंगलुरु शहर में 210 लेक हैं जो कि 3622 एकड़ का इलाका कवर करती हैं। एक आंकड़े के अनुसार 3622 एकड़ में से 310 एकड़ एरिया ऐसा है जिस पर अतिक्रमण कर दिया गया है.
उर्वी श्रीवास्तव 1 year ago
अगस्त 2022 कि वो बारिश सबको याद है जब बेंगलुरु शहर का एक बड़ा हिस्सा पानी में डूब चुका था. शहर को वापस सामान्य स्थिति में लौटने में एक लंबा समय लग गया. यह स्थिति बेंगलुरु शहर की इसलिए नहीं हुई क्योंकि वहां बहुत ज्यादा बारिश हुई थी, यह स्थिति वहां इसलिए हुई क्योंकि वहां की झीलों में पानी को स्टोर करने की क्षमता नहीं थी, जो कि पारंपरिक तौर से पहले से करती आई है. बेंगलुरु शहर में 210 लेक हैं जो कि 3622 एकड़ का इलाका कवर करती हैं. एक आंकड़े के अनुसार 3622 एकड़ में से 310 एकड़ एरिया ऐसा है जिस पर अतिक्रमण कर दिया गया है,या तो उस पर टेक पार्क बना दिए गए हैं,या स्कूल या कॉलेज या फिर कुछ सरकारी एजेंसियों ने कब्जा कर लिया है. अब जबकि अतिक्रमण हटाने का काम तेजी से चल रहा है तो ऐसे में प्राइवेट सेक्टर को भी इसमें साथ आने की जरूरत है.
आखिर क्या है समस्या
बेंगलुरु शहर की असली समस्या को जानने के लिए सबसे पहले झीलों के आसपास हुए अतिक्रमण को पहचानना जरूरी है,जिसके लिए बेंगलुरु शहर के प्रशासन के पास पर्याप्त मात्रा में सर्वेयर नहीं है. अगर सर्वेयर पार्टी के द्वारा अतिक्रमण की पहचान कर भी ली जाती है,तो सामने वाली पार्टी आसानी से स्टे ऑर्डर ले आती हैं और उसके बाद एक लंबी कानूनी लड़ाई शुरू हो जाती है,जिसके कारण झील में पानी रोकने की क्षमता कम हो जाती है. एक स्टडी बताती है कि शहर की 1800 झीलों में 35000 मिलियन क्यूबिक फीट पानी को रखने की क्षमता है. आज बेंगलुरु शहर में औसतन 15 इंच की बारिश हो रही है जो कि पिछले कई सालों में पहली बार सबसे ज्यादा है. झीलों में इससे ज्यादा पानी रखने की क्षमता होने के बावजूद आज वह बारिश का पानी नहीं रख पा रही हैं,जबकि बेंगलुरु शहर के बेहतरीन प्राकृतिक स्थलाकृति के बावजूद झीलों की यह क्षमता मौजूद है.
झीलों की रक्षा की क्यों आवश्यकता है
झीलों में लगातार होती डिसिल्टिंग के कारण झील की पानी को रखने की क्षमता लगातार कम होती जा रही है. पहले इस सिल्ट को किसान इस्तेमाल कर लिया करते थे, लेकिन अब यह सिर्फ दूषित हो चुकी है.पिछले लंबे समय से इसके दूषित होने के कारण इसके ऊपर एक लेयर जम गई है जो पानी को सोख नहीं पाती है, ये एक और बड़ी समस्या पैदा हो गई है.शहर की बेलंदुर झील जिसमें शहर का 40फीसदी वेस्ट आता है वह और भी बुरी तरह से प्रभावित है, जिसके कारण इस झील का पानी अब पीने योग्य नहीं रह गया है. इसके कारण पानी में अब मिथेन का प्रोडक्शन शुरू हो गया है. जो कई अन्य समस्याओं को जन्म दे रहा है.
क्या करने की है जरूरत
जिलों के रखरखाव के साथ-साथ शहर में पानी के लोकल वॉटर सोर्स और साफ-सफाई की बेहद आवश्यकता है. बेंगलुरु नगर निगम की यह जिम्मेदारी है कि वह आने वाली पीढ़ियों और मौजूदा समय के निवासियों को अच्छी झीलें लौटाएं. जमीनी पानी में मिलावट एक बड़ी समस्या बनती जा रही है. वॉटर रिसोर्स डिपार्टमेंट की हालिया रिपोर्ट के अनुसार कर्नाटक भारत के उन राज्यों में शामिल है, जिसका 61फीसदी से ज्यादा हिस्सा सूखे के अंतर्गत आता है. इसका सबसे बेहतर तरीका यह है कि वहां मौजूद झीलों का पुनरुद्धार किया जाए. इतनी जरूरत है कि सरकार के साथ-साथ आम आदमी भी अपनी सहभागिता निभाए, जिसमें प्राइवेट और निजी और गैर निजी इंस्टीट्यूशन शामिल हो.
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