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ये खास कैमरा बना देगा विक्रम लैंडर की लैंडिंग को आसान, जानिए कैसे हो जाएगा मुमकिन
विक्रम लैंडर की सबसे खास बात ये है कि इस बार पिछले हादसे से सबक लेते हुए कई कदम उठाए गए हैं. इसमें जहां इसमें खास तरह का कैमरा लगाया गया है वहीं दूसरी ओर एक विशेष तकनीक का भी इस्तेमाल किया गया है.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 8 months ago
अब महज कुछ ही घंटे का समय रह गया है जब भारत का प्रज्ञान रोवर चांद की सतह पर उतरने वाला है. चंद्रयान 14 जुलाई को अपनी इस यात्रा पर निकला था और 23 तारीख को उसे चंद्रमा पर लैंड करना है. भारत ने पिछली बार क्रैश हुए चंद्रयान 2 मिशन से काफी कुछ सीखा है. उन्हीं गलतियों से सीख लेते हुए इस बार भारत ने अपने इस मिशन में काफी कुछ बदलाव किए हैं. भारत का चंद्रयान लैंडर विक्रम अब कुछ ही दूरी पर है. ऐसे में सभी की धड़कनें एक बार फिर बढ़ गई हैं. सबसे दिलचस्प बात ये है कि भारत ने इस बार अपने इस मिशन में एक खास तरीके के कैमरे का इस्तेमाल किया है. यही कैमरा इस बार लैंडिंग को आसान बनाने जा रहा है.
क्यों इतिहास रचने को तैयार है भारत?
अंतरिक्ष के क्षेत्र में पिछले एक दशक में हमने कई ऐसे कीर्तिमान बनाए हैं जिसने तिरंगे की शान को बढ़ाया है. सबसे दिलचस्प बात ये है कि भारत इस मायने में इतिहास बनाने जा रहा है कि वो इस बार एक ऐसी जगह पर उतरने जा रहा है जहां अभी तक कोई नहीं उतरा है. भारत इस पर बार अपने प्रज्ञान रोवर को साउथ पोल पर उतार रहा है. रूस का लूना भी इसी पोल पर लैंडिंग के वक्त हादसे का शिकार हो गया था. लेकिन भारत के लिए अच्छी खबर ये है कि इसकी डीबूस्टिंग का काम पूरा हो चुका है. डीबूस्टिंग वो होती है जिसमें रोवर को चांद की सतह तक पहुंचाने के लिए जो भी स्पीड चाहिए होगी उसे नियंत्रित किया जा सकेगा. इसका मतलब ये है कि स्पीड को नियंत्रित करते हुए कम या ज्यादा किया जा सकेगा.
एक खास तरह के कैमरे का किया जा रहा है इस्तेमाल
इस बार लैंडिंग को आसान बनाने के लिए इसरो ने कई नई तकनीकों का इस्तेमाल किया है. चंद्रयान 3 में इस बार लैंडिंग को आसान बनाने के लिए लैंडर हैजार्ड डिटेक्शन एंड एवॉयडेंस कैमरे का इस्तेमाल किया गया है. ये कैमरा ही चंद्रयान 3 की लैंडिंग को आसान बनाने जा रहा है. दरअसल लैंडर विक्रम को लैंडिंग के लिए जगह तलाशने में ये कैमरा मदद करेगा. इससे विक्रम को पता चल पाएगा कि कहां की सतह कैसी है और कहां उसे कदम रखना है. इससे वो आसानी से चांद की सतह पर कदम रख पाएगा.
इसरो हर टाइमिंग को लेकर है अलर्ट
23 अगस्त की शाम को चंद्रयान 3 की लैंडिंग होगी. उसी दिन चंद्रयान का लैंडर विक्रम 25 किलोमीटर की दूरी से चांद की सतह पर उतरने की कोशिश करेगा. इस दूरी से चांद की सतह तक पहुंचने में उसे 15 से 20 मिनट का समय लगेगा. यही वो 15 से 20 मिनट सबसे क्रिटिकल हैं. इसी 15 से 20 मिनट में वो लैंडिंग के लिए जगह तलाशेगा, ये इसलिए अहम है क्योंकि इसी समय में चांद पर उड़ने वाली धूल के बीच उसे अपने लिए जगह की तलाश करनी है. लैंड करने के बाद लैंडर विक्रम अपना रैंप खोलेगा और उसमें से रोवर बाहर आएगा. इसके बाद इसरो के दिशा निर्देश पर रोवर आगे बढ़ेगा और वहां अगले 14 दिनों तक रहेगा.
संपर्क टूटा फिर भी होगी लैंडिंग
इसरो चेयरमैन एस सोमनाथ के अनुसार, अगर लैंडर विक्रम से किसी भी तरह का संपर्क टूटता है या कैमरा काम करना बंद करता है तो भी लैंडिंग हो ही जाएगी. बशर्ते लैंडर का अल्गोरिदम सही से काम करता रहे. इस बार इस तकनीक को भी विकसित किया गया है कि अगर लैंडर के दोनों इंजन काम नहीं करते हैं तो भी लैंडर लैंड कर जाएगा.
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