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त्योहारों पर काफी महंगा होगा खाना पकाना और गाड़ी चलाना, गैस की कीमतों में लगने वाली है आग
अगले महीने की शुरुआत से महंगाई का एक और डंक आम जनता की जेब पर लगने जा रहा है.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 1 year ago
नई दिल्लीः अगले महीने की शुरुआत से महंगाई का एक और डंक आम जनता की जेब पर लगने जा रहा है. 1 अक्टूबर से नेचुरल गैस की कीमतों में बेहताशा वृद्धि होने जा रही है, जिसकी वजह से इसका असर आम व्यक्ति की रसोई और वाहन पर पड़ेगा. इतना ही नहीं इससे किसानों के लिए खाद खरीदना भी महंगा हो जाएगा.
ओएनजीसी करने जा रहा है बढ़ोतरी
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक तेल और प्राकृतिक गैस निगम (ओएनजीसी) अगले महीने से गैस की कीमतों में भारी वृद्धि करने जा रही है. फिलहाल देश में नेचुरल गैस की कीमत 6.1 अमेरिकी डॉलर प्रति मिलियन ब्रिटिश थर्मल यूनिट है जो अब 9 डॉलर प्रति मिलियन ब्रिटिश थर्मल यूनिट होने की संभावना है.
इसके साथ ही, रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड और उसके पार्टनर बीपी पीएलसी संचालित केजी बेसिन में डी6 ब्लॉक जैसे कठिन क्षेत्रों को यूएसडी 9.92 की मौजूदा दर की तुलना में लगभग 12 एमएमबीटीयू मिलने की संभावना है.
सरकार ने 2014 में गैस सरप्लस देशों में कीमतों का इस्तेमाल स्थानीय रूप से उत्पादित गैस के फार्मूले पर पहुंचने के लिए किया था. इस फॉर्मूले के अनुसार दरें कम थीं और कई बार मार्च 2022 तक उत्पादन की लागत से कम थीं, लेकिन इसके बादज यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के बाद वैश्विक दरों में वृद्धि तेजी से बढ़ी हैं.
अप्रैल 2019 के बाद तीसरी बढ़ोतरी
अप्रैल 2019 के बाद से दरों में यह तीसरी वृद्धि होगी, और बेंचमार्क अंतरराष्ट्रीय कीमतों में मजबूती के कारण आई है. सरकार हर छह महीने में 1 अप्रैल और 1 अक्टूबर को गैस की कीमत तय करती है, जोकि अमेरिका, कनाडा और रूस जैसे गैस अधिशेष देशों में एक साल में एक चौथाई के अंतराल के साथ प्रचलित दरों के आधार पर होती है.
अमेरिका स्थित हेनरी हब, कनाडा स्थित अल्बर्टा गैस, यूके स्थित एनबीपी और रूस गैस में 12 महीने की अवधि में प्रचलित मूल्य का वॉल्यूम-भारित औसत ओएनजीसी और ऑयल इंडिया लिमिटेड के प्रशासित क्षेत्रों के लिए कीमतें तय करने के लिए उपयोग किया जाता है. गहरे पानी, अल्ट्रा-गहरे पानी और उच्च दबाव-उच्च तापमान क्षेत्रों में खोजों जैसे कठिन क्षेत्रों के लिए, एलएनजी की कीमत को संशोधित किया जाता है.
महंगाई बढ़ने की आशंका
गैस उर्वरक के साथ-साथ बिजली बनाने के लिए एक इनपुट है. इसे सीएनजी में भी परिवर्तित किया जाता है और घरेलू रसोई में पाइप के जरिए पहुंचाया जाता है. इसकी कीमतों में वृद्धि मुद्रास्फीति को बढ़ावा देती है. सूत्रों ने कहा कि गैस की कीमतों में वृद्धि से दिल्ली और मुंबई जैसे शहरों में सीएनजी और पीएनजी की दरों में वृद्धि होने की संभावना है.
इससे बिजली पैदा करने की लागत में भी वृद्धि होगी, लेकिन उपभोक्ताओं को कोई बड़ी परेशानी नहीं होगी क्योंकि गैस से उत्पादित बिजली का हिस्सा बहुत कम है. इसी तरह, फर्टिलाइजर उत्पादन की लागत भी बढ़ जाएगी. लेकिन सरकार द्वारा सब्सिडी दिए जाने के कारण किसानों पर इसका ज्यादा असर नहीं पड़ने की संभावना जताई जा रही है.
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