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आने लगे अच्छे दिन! डेली यूज होने वाले इन जरूरी खाद्य पदार्थों की कीमतों में भारी गिरावट
पाम ऑयल की कीमत अप्रैल के रिकॉर्ड स्तर की तुलना में 45 प्रतिशत से ज्यादा कम हुई है. आपको बता दें कि पाम ऑयल पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा खाना बनाने में इस्तेमाल होता है.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 1 year ago
नई दिल्ली: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के सख्त कदमों का असर बाजार पर दिखने लगा है. कुछ महीने पहले रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंचीं कुछ खाद्य वस्तुओं की कीमतें अब कम होने लगी हैं. RBI के प्रयासों के अलावा मांग में कमी होने के कारण भी कीमतों में गिरावट देखने को मिल रही है. यदि ऐसा ही रहा तो आने वाले समय में RBI रेपो रेट को स्थिर रख सकता है, जिससे आम लोगों पर ज्यादा दबाव नहीं पड़ेगा. यह अच्छा संकेत है.
पाम ऑयल की कीमत दुनिया में 45 प्रतिशत तक गिरी
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक पाम ऑयल की कीमत अप्रैल के रिकॉर्ड स्तर की तुलना में 45 प्रतिशत से ज्यादा कम हुई है. आपको बता दें कि पाम ऑयल पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा खाना बनाने में इस्तेमाल होता है. इसके अलावा गेहूं की होलसेल कीमत 35 प्रतिशतक कम हुई है, जबकि मक्के की होलसेल कीमत में 30 प्रतिशतक की गिरावट आई है.
भारत में पाम ऑयल की कीमतों में भारी गिरावट
बिजनेस स्टैंडर्ड में छपी खबर के मुताबिक जून से ही पूरी दुनिया में खाद्य तेल की कीमतों में गिरावट देखी जा रही है. पिछले एक महीने की बात करें तो इस दौरान पाम ऑयल की कीमत में 31.70 प्रतिशत की गिरावट हुई है. भारत में भी इस तेल की खपत सबसे ज्यादा है.
सोयाबीन और सूरजमुखी का तेल भी हुआ सस्ता
सोयाबीन के तेल की कीमतें भी कम हुई हैं. सोयाबीन के तेल की कीमतों में पिछले एक महीने में करीब 20 प्रतिशत की गिरावट हुई है. वहीं, सूरजमुखी के तेल की बात करें तो उसकी कीमतें भी गिरी हैं. सूरजमुखी के तेल में करीब 15 प्रतिशत की गिरावट हुई है. विशेषज्ञों की मानें तो तेल की कीमतों में गिरावट का मुख्य कारण वैश्विक मंदी के डर से मांग में कमी होना है.
पहले रुला रहा था कपास, अब गिर रहीं कीमतें
कपास मई 2022 में आग उगल रही थी और घरेलू बाजार में इसकी कीमत 50,330 रुपये प्रति बेल के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई थी. मांग में कमी के कारण इसकी कीमतें भी तेजी से गिरने लगी हैं. एक अनुमान के अनुसार, इस साल के अंत तक कपास की प्रति बेल की कीमत गिरकर 30 हजार रुपये हो जाएगी. आने वाले समय में इसकी फसल भी अच्छी होने वाली है, पर मंदी के डर के कारण इसकी मांग में काफी कमी हो जाएगी.
गेहूं, चावल और मक्के की कीमतों में गिरावट
गेहूं, चावल और मक्के जैसे प्रमुख घरेलू अनाज की कीमतों में गिरावट के लिए सरकार ने भी कई कड़े कदम उठाए हैं, जिसका असर अब दिखने लगा है. इसके अलावा इनकी मांग में भी कमी आई है. पिछले साल के मुकाबले इनकी कीमतें अभी ज्यादा हैं, पर मई की रिकॉर्ड ऊंचाई के मुकाबले कीमतों में गिरावट आई है. दिल्ली में गेहूं की कीमत लगभग 2,300 रुपये प्रति क्विंटल है. मई में यह कीमत 2,500 रुपये प्रति क्विंटल थी. कीमतें और भी नीचे जाने की संभावना है.
इंपोर्टेड यूरिया की कीमतों में गिरावट
दिसंबर, 2021 में इंपोर्टेड यूरिया की कीमत रिकॉर्ड ऊंचाई पर थी. लेकिन, मई 2022 में कीमतों में करीब 27 प्रतिशत की गिरावट हुई है. आपको बता दें कि भारत में खाद का जितना इस्तेमाल होता है, उसका 30 प्रतिशत विदेशों से मंगाया जाता है.
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