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मेटा ने भारतीय महिला के यौन शोषण मामले के बाद बदल डाली नीति, ये हुआ बदलाव
2022 में सामने आए एक आदिवासी युवती के यौन शोषण के मामले को ओवरसाइट बोर्ड को भेजे जाने के बाद उसके सुझाव पर ये बदलाव किया गया है.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 8 months ago
पिछले साल 30 हजार फॉलोवरों वाले एक शख्स के द्वारा वीडियो डाले जाने के बाद मेटा ने अब अपनी यौन शोषण नीति की समीक्षा करते हुए उसमें कई बदलाव कर दिए हैं. पिछले साल सामने आए इस मामले में एक वीडियो में दिखाया गया था कि कैसे कुछ लोग एक आदिवासी महिला का यौन शोषण कर रहे थे. मेटा के इस नए नियम के अनुसार अब कोई भी शख्स इस प्रकार के वीडियो को तभी पोस्ट करेगा जब उस पर कोई वैधानिक चेतावनी लगी हो. उस वीडियो का मकसद जानकारी या सूचना देना हो सकता है ना की सनसनी फैलाना होना चाहिए.
क्या हुआ है पॉलिसी में बदलाव?
दरअसल मेटा की ओर से जो बदलाव किया है गया है उसके अनुसार आज के बाद अगर कोई इस तरह का पोस्ट करता है तो उसे उसके साथ एक वैधानिक चेतावनी भी जारी करनी होगी. इस तरह के वीडियो को एक सूचना के तौर पर दिया जा सकता है ना कि उससे सनसनी फैलाने के मकसद से दिया जा सकता है. सिर्फ यही नहीं उस वीडियो में पीड़ित का चेहरा और नग्नता को प्रदर्शित नहीं किया जाना चाहिए.मेटा ने इन बदलावों को अपने आंतरिक रिकॉर्ड में भी बदल दिया है.
आखिर क्या था ये पूरा मामला?
दरअसल 2022 में एक मामला सामने आया था जब इंस्टाग्राम पर एक शख्स ने इसे पोस्ट कर दिया था. इस शख्स के 30 हजार से ज्यादा फॉलोवर थे. इस पोस्ट में दलित अधिकारों की बात कहते हुए दिखाया गया था कि कैसे कुछ लोग एक महिला का यौन शोषण कर रहे थे. उसके बाद इस मामले को ह्यूमन रिव्यू के लिए भेजा गया था, जिसमें इसे मेटा की यौन शौषण नीति का उल्लंघन माना गया था. ऐसे कंटेट को मेटा हटा सकता है. हालांकि बाद में इसे और समीक्षा के लिए भेज दिया गया जिन्होंने पोस्ट को योग्य पाया था. हालांकि बाद में चेतावनी स्क्रीन के साथ इस पोस्ट को फिर अपलोड कर दिया गया. उसके जरिए पयोगकर्ताओं को सचेत भी किया गया है इसमें ग्राफिक सामाग्री का इस्तेमाल किया गया है.
सितंबर 2022 में मामले को भेजा गया OB में
ये मामला यही नहीं खत्म नहीं हुआ बल्कि मेटा ने सितंबर 2022 में इसे ओवरसाइट बोर्ड को भेज दिया. ओवरसाइट बोर्ड ने इस मामले की जांच करते हुए मेटा को यौन शोषण से जुड़े मानकों में एक अपवाद को शामिल करने को कहा. इसमें कहा गया कि प्लेटफॉर्म पर गैर-सहमति वाले कंटेट को तभी अनुमति मिलनी चाहिए जब वो जागरूकता बढ़ाने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा हो, ना कि सनसनी फैलाने के लिए डाली गई हो. उसमें पीड़ित की पहचान जाहिर न होती हो और वीडियो सनसनी न फैलाता हो.
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