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आखिर कब तक पूरा हो जाएगा दुनिया के सबसे ऊंचे पुल का निर्माण
रेलवे कश्मीर के दुर्गम पहाड़ी क्षेत्रों में दो रिकॉर्ड ब्रेकिंग रेलवे पुलों का भी निर्माण कर रहा है, जिसमें जम्मू के रियासी जिले में दो अत्याधुनिक रेलवे पुलों का निर्माण निर्माण शामिल है.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 2 years ago
भारतीय रेलवे कश्मीर से कन्याकुमारी तक रेलवे ट्रैक बिछाने के लिए पिछले लंबे समय से प्रयास कर रहा है. इसी कड़ी में रेलवे जम्मू और कश्मीर के दुर्गम पहाड़ी क्षेत्रों में रेलवे लाइन बिछाने पर काम कर रहा है. इन्हीं पहाड़ी क्षेत्रों में रेलवे दो रिकॉर्ड ब्रेकिंग रेलवे पुलों का भी निर्माण कर रहा है, जिसमें जम्मू के रियासी जिले में दो अत्याधुनिक रेलवे पुलों का निर्माण कर रहा है, जिसमें पहला चिनाब नदी पर बनाया जा रहा चिनाब ब्रिज है जो दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे पुल है. दूसरा अंजी खंड में बनाया जा रहा अंजी पुल है, जो दुनिया का सबसे लंबा केबल पुल है.
कब तक खत्म होगा दोनों पुलों का काम
रेलवे के अनुसार चिनाब नदी पर बनाए जा रहे इस पुल की ऊंचाई जमीन से 359 मीटर है. इस पुल को 266 किलोमीटर की रफ़्तार से चलने वाली हवाओं को सहने की शक्ति के साथ बनाया गया है. ऊंचाई के मामले में बात करें तो ये पुल फ्रांस के एफेल टावर से 35 मीटर ऊंचा है. इस पुल का 98 प्रतिशत से ज्यादा काम पूरा हो चुका है. इस पर इन दिनों रेलवे का ट्रैक बिछाने का काम चल रहा है. रेलवे के अनुसार इस पुल को दिसंबर 2022 तक पूरा कर लिया जाएगा.
क्या खास बात है अंजी पुल की
रेलवे का चिनाब ब्रिज जहां ऊंचाई के मामले में सबसे ऊंचा है वहीं दूसरी ओर रियासी जिले के अंजी खंड में बनाया जा रहा अंजी पुल दुनिया का सबसे बड़ा केबल पुल है. इस पुल में 96 केबल लगाए गए हैं. इसकी लंबाई 331 मीटर है. ऊंचाई193 मीटर है. ये पुल रेलवे के अनुसार मई 2023 में पूरा हो जाएगा.
कहां से कहां तक बन रहा है सेक्शन
इससे पहले जम्मू से लेकर उधमपुर तक का सेक्शन शुरू हो चुका है, इसकी लंबाई 55 किलोमीटर है, जिसका 2005 में उद्घाटन किया जा चुका है. इसी तरह एक सेक्शन अनंतनाग से लेकर माझेम तक बनाया जा रहा है, जिसकी कुल लंबाई 68 किलोमीटर है, इसी तरह बारामुला से माझेम तक की लाइन की लंबाई 32 किलोमीटर, काजीकुंड से अनंनतनाग की लाइन 18 किलामीटर है, जिसका 2009 में शुरू किया जा चुका है, इस इलाके में ट्रेन को पहुंचाने के लिए दो टनल भी बनाई गई हैं, जिसमें 11 किलोमीटर की पीरपंजाल सुरंग है, जबकि दूसरी सांबेल में बनाई गई है जो 12 किलोमीटर लंबी है.
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