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जानिए आखिर क्यों दिए जाते हैं आपके पसंदीदा प्रोडक्ट पर अलग-अलग ऑफर?
सर्वेक्षणों के अनुसार आज बाजार में कंपनियां मार्केटिंग में इसका इस्तेमाल कर रही हैं क्योंकि 65 प्रतिशत से ज्यादा लोग FOMO से प्रभावित हैं.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 1 year ago
क्या आपको भी कई बार ऐसा होता है कि कहीं वो चीज छूट न जाए, क्या आपके मोबाइल में भी आपके पसंदीदा ब्रैंड की ओर से मैसेज आते हैं कि वो प्रोडक्ट केवल लिमिटेड दिनों तक है. क्या आपके साथ भी ऐसा होता है कि आपको कहा जाता है कि आप एक्सक्लूसिव ग्राहक हैं और आपको ये ऑफर दिया जा रहा है. हाल ही में इस पर हुए एक सर्वे में इससे जुड़ी कई बातें सामने आई हैं. ये बताती है कि 65 प्रतिशत लोग फोमो (छूट जाने के डर) का सामना कर रहे हैं और बाजार उनके उसी डर का इस्तेमाल कर रहा है.
क्या है FOMO?
आखिर फोमो क्या है? फियर ऑफ मिसिंग आउट छूटने का डर (FOMO) एक तरह का आईडिया है जिसमें कुछ लोग इन अनुभवों का आनंद ले रहे हैं जबकि कुछ नहीं. सर्वेक्षणों से पता चलता है कि FOMO मिलेनियल्स के बीच अत्यधिक प्रचलित है और 65 प्रतिशत से अधिक मिलेनियल्स छूट जाने के डर का अनुभव करते हैं. मान लीजिए आपके पसंदीदा कपड़ों के ब्रैंड पर 50 प्रतिशत की छूट की बिक्री का मैसेज आपके मोबाइल पर आता है, यही उसमें निश्चित समय सीमा के लिए विशेष सदस्यता की पेशकश की जाती है. आपके कुछ दोस्त किसी पहाड़ के शिखर पर चढ़ रहे हैं और वहां से तस्वीरें पोस्ट कर रहे हैं और आपको लगता है कि आप पहुंच पाएंगे या नहीं. यही वो उदाहरण हैं जो FOMO की भावना पैदा करते हैं.
क्या कहते हैं सर्वे के आंकड़े
FOMO को लेकर लिंक्डइन के 'टॉप वॉइस' और इंफलूएंशर कॉलिन शॉ ने वर्ष 2021 में इसे लेकर एक सर्वे किया है जिसके कई दिलचस्प आंकड़े हैं. जो कहते हैं कि
- 51 प्रतिशत लोग हर रोज सोशल मीडिया पर आते हैं या लॉग इन करते हैं.
- 27 फीसदी लोग सुबह सबसे पहले सोशल मीडिया पर लॉग इन करते हैं.
- 45 फीसदी यूजर्स ऐसे हैं जो अपने सोशल मीडिया प्रोफाइल को चेक करने के लिए 12 घंटे से ज्यादा इंतजार नहीं कर सकते. वो उससे पहले ही उसे चेक कर लेते हैं.
- 20 फीसदी यूजर्स ऐसे हैं जो अपने सोशल मीडिया अकाउंट्स से एक घंटे से ज्यादा दूर नहीं रह सके.
FOMO का मार्केटिंग में क्या इस्तेमाल है
इसका इस्तेमाल अर्जेंसी का इस्तेमाल करने या समय सीमा निर्धारित करने के लिए किया जा सकता है. FOMO का इस्तेमाल वीकेंड फ्लैश सेल में किया जा सकता है या प्रोडक्ट की बिक्री पर समय सीमा निर्धारित करने में भी किया जा सकता है. ये ग्राहकों में अर्जेंसी की भावना पैदा करता है. ब्लैक फ्राइडे सेल में FOMO मार्केटिंग का एक उत्कृष्ट और सटीक उदाहरण है. सर्वे कहता है कि आज FOMO का इस्तेमाल स्टोर ऐसे भी कर रहे हैं जिसमें वो बड़ी छूट देते हैं और लोगों को आकर्षित करने के लिए उस दिन सुबह से पहले अपने स्टोर खोलते हैं. इससे ग्राहकों में FOMO पैदा होता है और प्रोडक्ट पर समय समाप्त होने से पहले वे तेजी से कार्य करते हैं. इसे ऐसे भी पैदा किया जाता है कि आप सोशल मीडिया पर जिस प्रोडक्ट को देख रहे थे उसके बिकने का मैसेज आपको भेजा जाए. इससे भी लोगों के अंदर ये पैदा होता है. इसी तरह आपके पसंदीदा प्रोडक्ट पर इंस्टाग्राम में काउंटडाउन लगा दिया जाता है जो कस्टमर को काउंटडाउन खत्म होने से पहले उसे खरीदने पर मजबूर करता है.
प्रोडक्ट का खत्म हो जाना और एक्सक्लूसिव होना
न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी स्टर्न स्कूल ऑफ बिजनेस में मार्केटिंग के एसोसिएट प्रोफेसर एडम ऑल्टर कहते हैं, कि कोई उत्पाद जितना मार्केट में कम मिलता है लोगों के लिए उतना ही अधिक मूल्यवान होता है. वह कहते हैं, प्रोडक्ट की कमी अपने आप में मूल्य का एक स्रोत है क्योंकि इसका मतलब है कि आपके पास कुछ ऐसा है जो किसी दूसरे लोगों के पास नहीं है. आप जो कुछ भी बेच रहे हैं उसकी थोड़ी मात्रा की पेशकश करने से कमी की भावना पैदा होगी और उसकी बिक्री तेजी से होगी. ग्राहकों के लिए, किसी प्रोडक्ट को एक्सक्लूसिव बताना उस पर ग्राहक का ध्यान खींचती है और उत्पाद में मूल्य जोड़ती है. जब Pinterest पहली बार लॉन्च किया गया था, तो उसे उन लोगों के लिए एक्सक्लूजिव बना दिया था, जिन्हें उनके मित्रों से आमंत्रण मिला था. इस प्रकार लोग इस विशेष समूह का हिस्सा बनना चाहते थे और जल्दी से साइन इन कर लेते थे. जबकि वो ये नहीं जानते थे कि आखिर ये क्या है.
यही नहीं कुछ चुने हुए लोगों को मूल्यवान और पुरस्कृत महसूस कराने से FOMO उन लोगों में भर जाता है, जो उस ग्रुप का हिस्सा नहीं हैं. यही नहीं एक्सक्लूसिव सब्सक्राइबर्स को डील, रिवार्ड या प्रोमो कोड या उत्पादों की मुफ्त शिपिंग की पेशकश भी उन लोगों में FOMO लाती है, जिन्होंने ब्रैंड के साथ साइन अप नहीं किया है. उदाहरण के लिए, 100 मिलियन से अधिक लोगों ने अमेज़ॅन प्राइम के लिए सौदे प्राप्त करने के लिए साइन अप किया जो कि उन लोगों को नहीं मिल सकता जिन्होंने साइन इन नहीं किया.
प्रभावित करने वालों का प्रयोग करें
सर्वे में ये भी सामने आया है कि 82 प्रतिशत ग्राहक सबसे अधिक इंफलूएंशरों के जरिए प्रभावित होते हैं. जिनके सोशल मीडिया पर हजारों फॉलोअर हैं. वो अपने फॉलोवरों को ऐसे प्रभावित करते हैं कि उससे ग्राहकों में उन वस्तुओं और उत्पादों के लिए इच्छा पैदा हो जाती है जिनका वे विज्ञापन करते हैं. इस प्रकार, कंपनियाँ FOMO को इन्फ्लुएंसर मार्केटिंग के साथ मिक्स करके इस्तेमाल करती हैं. अनुसंधान से पता चलता है कि लोगों को यह अधिक प्रामाणिक लगता है जब एक वास्तविक व्यक्ति उस प्रोडक्ट के बारे में बताता है. जैसे कि यह पिछले वर्षों के पारंपरिक विज्ञापनों के माध्यम से किया गया हो.
नोट: ऊपर दिए गए लेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के हैं और जरूरी नहीं कि ये प्रकाशन समूह के विचारों का प्रतिनिधित्व करते हों या उन्हें दर्शाते हों. जब तक ध्यान न दिया जाए, लेखक अपनी व्यक्तिगत क्षमता में लिख रहा है. उनका इरादा नहीं है और उन्हें किसी एजेंसी या संस्था के आधिकारिक विचारों, दृष्टिकोणों या नीतियों का प्रतिनिधित्व करने के लिए नहीं सोचा जाना चाहिए.
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