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भारत का RuPay दुनिया पर राज करने को है तैयार, जानें इसके क्या-क्या होंगे फायदे
आखिर RuPay है क्या? RuPay का वैश्वीकरण करना अब क्यों महत्वपूर्ण है? जानिए, भारत के पास कैसे है गोल्डन चांस?
उर्वी श्रीवास्तव 1 year ago
नई दिल्ली: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने घोषणा की है कि सिंगापुर और यूएई ने RuPay भुगतान तंत्र को स्वीकार कर लिया है. इसके अलावा, यूरोप जाने वाले भी अब UPI के जरिए भुगतान कर सकते हैं. भारत RuPay को भुगतान तंत्र के रूप में स्वीकार करने के लिए 30 विभिन्न देशों के साथ लगातार बातचीत कर रहा है. इससे पहले भूटान और नेपाल भी RuPay को स्वीकार करने पर सहमति जता चुके हैं. भारत सरकार, भुगतान की स्वदेशी पद्धति का वैश्वीकरण करने का प्रयास कर रही है.
यूरोप में Worldline से हुई साझेदारी
सरकार अपनी इंटरऑपरेबिलिटी (पारस्परिकता) बढ़ाने के लिए नेशनल पेमेंट कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI), यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (UPI) और भारत इंटरफेस फॉर मनी (BHIM) को फिर से कैलिब्रेट करना चाहती है. इससे इसके अंतरराष्ट्रीयकरण में और मदद मिलेगी. NPCI पहले ही अपने यूरोपीय समकक्ष Worldline के साथ साझेदारी कर चुका है. Worldline पूरे यूरोप में भुगतान और लेनदेन की सेवाओं को संभालते हैं. इस साझेदारी के बाद यूरोप में वर्ल्डलाइन के QR कोड-आधारित तंत्र वाले सभी मर्चेंट्स के प्वाइंट ऑफ सेल (PoS) सिस्टम पर भारतीय अपने मोबाइल फोन का उपयोग करके UPI पेमेंट कर सकेंगे. बहुत जल्द ग्राहक क्रेडिट और डेबिट कार्ड से भी सीधे भुगतान कर सकेंगे.
RuPay क्या है?
अब बात करते हैं कि आखिर RuPay है क्या? RuPay एक भारतीय बहुराष्ट्रीय वित्तीय सेवा और भुगतान सेवा प्रणाली है, जिसकी कल्पना NPCI ने 26 मार्च 2012 को की थी. NPCI वित्त मंत्रालय के तहत RBI का एक स्पेशल डिविजन है. यह भुगतान की डोमेस्टिक, ओपेन और मल्टिलैटरल (बहुपक्षीय) सिस्टम स्थापित करने के RBI के विजन को पूरा करने के लिए बनाया गया था. ग्लोबल प्लेटफॉर्म मास्टरकार्ड और वीजा से निर्भरता कम करना भी इसके पीछे का एक एजेंडा था. आपको बता दें कि NPCI ने अब तक 714 मिलियन स्वदेशी रूप से विकसित RuPay कार्ड जारी किए हैं. बहुत ही कम समय में इसने बाजार में एकाधिकार हासिल कर लिया है. एक अनुमान के मुताबिक, इसने पहले ही संख्या के हिसाब से 34 प्रतिशत और शेयर के हिसाब से 30 प्रतिशत बाजार पर एकाधिकार कर लिया है. RBI के अनुसार, RuPay ने 2020 में 60 प्रतिशत बाजार पर कब्जा कर लिया है, जबकि 2017 में यह सिर्फ 15 प्रतिशत था. संक्षेप में कहें तो यह डोमेस्टिक लीडर बन चुका है. यह सरकार के लिए अब एक मददगार हाथ है. अगर हम हाल में जारी किए गए कार्ड्स को देखें तो उन सभी में RuPay का लोगो होता है, जैसा पहले मास्टरकार्ड या वीजा का लोगो होता था.
RuPay का वैश्वीकरण करना क्यों महत्वपूर्ण है?
इससे RuPay कार्ड धारकों के लिए भुगतान में आसानी हो जाएगी. इस कार्ड के माध्यम से लेन-देन प्रतिद्वंद्वी कार्ड ब्रांडों (मास्टरकार्ड और वीजा) की तुलना में 23 प्रतिशत कम है. इसके अलावा अन्य कार्ड्स के मुकाबले, इस कार्ड से पेमेंट करने पर प्रोसेसिंग टाइम भी कम लगता है और इसका प्रोसेसिंग चार्ज भी कम है. इसलिए इस पेमेंट सिस्टम का वैश्वीकरण होने से भारतीय कार्डधारकों का जीवन और आसान हो जाएगा. डेटा सुरक्षा के मामले में RBI बहुत सख्त है. इस लिहाज से भी RuPay अन्य कार्ड्स के मुकाबले ज्यादा सेफ है. इन सुविधाओं की वजह से वैश्विक स्तर पर RuPay को बढ़ावा मिलेगा. इसके साथ ही प्रतिस्पर्धी कार्ड कंपनियों के बीच सुरक्षा को लेकर एक हेल्दी माहौल बनेगा. यह उन सभी कार्ड्स के लिए एक वेक-अप कॉल है, जो प्रोसेसिंग फी के रूप में मनमाने ढंग से चार्ज वसूलते हैं.
और क्या-क्या फायदा?
यह विदेश जाने से पहले विदेशी मुद्रा खरीदने के बोझ को भी कम करेगा. साथ ही मनी ट्रांसफर की परेशानी को भी कम कर देगा. इससे छात्रों के साथ-साथ टूरिस्ट्स को भी विदेश में आर्थिक तंगी से निजात मिलेगी. रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच रूस ने वीजा और मास्टरकार्ड के परिचालन को सस्पेंड कर दिया है. इस गैप को भरने के लिए भारत के पास गोल्डन चांस है. आर्थिक बदलाव, मंदी और वैश्विक अस्थिरता के बीच भारत के पास अंतरराष्ट्रीय एकाधिकार करने का भी एक अच्छा मौका है.
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