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प्याज ने तो सिर्फ रुलाया था, लहसुन ने लिया तड़पाने का फैसला!
पिछले साल की करें तो पिछले साल इस वक्त लहसुन की कीमतें लगभग 40 रुपए प्रति किलोग्राम हुआ करती थी.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 5 months ago
प्याज और लहसुन हमारी जुबान पर ऐसा जादू करते हैं कि अगर बिना प्याज या लहसुन का भोजन खाना पड़े तो कई बार काफी मुश्किलें हो जाती हैं. प्याज के दीवाने लोगों के लिए वैसे भी अभी मुश्किलें बढ़ी हुई हैं क्योंकि फिलहाल प्याज की कीमतें बाजार में लगभग 60 रुपए प्रति किलोग्राम तक जा पहुंची हैं और लोग जल्द ही इससे राहत चाहते हैं. राहत कब तक आएगी यह तो पता नहीं, लेकिन लग रहा है कि प्याज की तरह ही लहसुन ने भी अब कंज्यूमर्स को तड़पाने का फैसला ले लिया है.
210 रुपए किलो पहुंचा लहसुन
हाल ही में खबर आ रही है कि अब लहसुन की कीमतें भी आसमान छू रही हैं. देश के रिटेल बाजारों में लहसुन फिलहाल 210 रुपए प्रति किलोग्राम की कीमत से मिल रहा है. 3 महीने पहले तक लहसुन की कीमत लगभग 150 रूपए प्रति किलोग्राम हुआ करती थी और अगर बात पिछले साल की करें तो पिछले साल इस वक्त लहसुन की कीमतें लगभग 40 रुपए प्रति किलोग्राम हुआ करती थी. व्यापारियों की मानें तो लहसुन की कीमतों में हुए इस इजाफे के पीछे फसल में हुई देरी और खरीफ फसलों के मंडी तक पहुंचने में हुई देरी जैसे कारण प्रमुख हैं.
फसल में होगी देरी
प्याज की तरह ही लहसुन भी खरीफ और रबी दोनों ही ऋतुओं में बोया जाता है. खरीफ ऋतू के दौरान जून या फिर जुलाई में लहसुन बोया जाता है और इसकी फसल की कटाई अक्टूबर से नवंबर के बीच की जाती है. जबकि रबी ऋतू के दौरान लहसुन को सितंबर-नवंबर के बीच बोया जाता है और इसकी कटाई मार्च-अप्रैल के बीच की जाती है. मध्य प्रदेश के मंडसौर में मौजूद एक प्रमुख व्यापारी ने मीडिया से बातचीत के दौरान बताया कि इस साल मानसून की बारिश देरी से हुई थी जिसकी वजह से लहसुन को अगस्त में बोया गया और इसीलिए फसल की कटाई भी देरी से होगी और इसीलिए अब नई फसल मार्केट में अब जनवरी में ही आ पाएगी. इतना ही नहीं, व्यापारी ने यह भी बताया है कि यह फसल भी कुछ खास अच्छी नहीं होगी क्योंकि सितंबर-अक्टूबर के दौरान बेवक्त बारिश हुई है.
सर्दियों में बढ़ जाती है लहसुन की मांग
आपको बता दें कि सालाना भारत के द्वारा लगभग 30 लाख टन लहसुन उगाया जाता है और लहसुन को लगभग 3.5 लाख हेक्टेयर के क्षेत्रफल में उगाया जाता है. लहसुन उगाने वाले प्रमुख उत्पादकों में मध्य प्रदेश (19-20 लाख टन), राजस्थान (5 से 5.1 लाख टन), उत्तर प्रदेश (2 से 2.1 लाख टन) और गुजरात (1-1.1 लाख टन) जैसे राज्यों के नाम शामिल हैं. आमतौर पर अक्टूबर से मार्च के बीच लहसुन की मांग में वृद्धि देखने को मिलती है क्योंकि पहला इस दौरान सबसे ज्यादा शादियां होती हैं और दूसरा सर्दियों में लहसुन की खपत भी बढ़ जाती है.
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