एयरपोर्ट्स पर Pre Engineered Structures को क्यों दी जा रही है तवज्जो?

हवाईअड्डों के विस्तार के दौरान टर्मिनलों के निर्माण से लेकर हैंगरों तक के लिए पीईबी के उपयोग को पारंपरिक निर्माण विधियों की जगह प्राथमिकता दी जा रही है.

Last Modified:
Thursday, 27 April, 2023
Pre Engineered Structures

‘उड़ान’ केंद्र सरकार की महत्वकांक्षी योजना है. इस योजना के तहत सरकार आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए टियर 2 और टियर 3 शहरों को हवाई सेवा के माध्यम से बड़े शहरों से जोड़ने का काम कर रही है. देश में नए हवाई अड्डों के निर्माण के साथ-साथ मौजूदा हवाई अड्डों के विस्तार और नवीनीकरण पर तेजी से काम किया जा रहा है. इस बीच सरकार COP27 और G20 की प्रतिबद्धताओं के मद्देनज़र, यह सुनिश्चित करने पर भी ध्यान दे रही है कि विकास कार्य सस्टेनेबिलिटी के लक्ष्यों के अनुरूप हो और इसीलिए सस्टेनेबल विकल्पों को अपनाने पर जोर दे रही है. ऐसे में प्री-इंजीनियर्ड बिल्डिंग्स (पीईबी) या प्रीफैब्रिकेटेड स्टील स्ट्रक्चर को तवज्जो दिया जा रहा है, क्योंकि यह इंफ्रास्ट्रक्चर निर्माण के लिए पारंपरिक निर्माण विधियों का एक बेहतर विकल्प है.  

तेजी लाने का बेहतर तरीका
छोटे शहरों में हवाई अड्डों का विकास विभिन्न क्षेत्रों की क्षमता को बढ़ाने और स्थानीय अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने में मदद करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, लेकिन यह विकास पर्यावरण की कीमत पर नहीं किया जाना चाहिए. ऐसे में पीईबी को अपनाना आवश्यक हो जाता है. एक सस्टेनेबल विकल्प होने के साथ ही, पीईबी निर्माण कार्य और परिचालन में तेजी लाने का एक बेहतर तरीका है. यही कारण है कि आज उड़ान योजना के तहत मौजूदा हवाईअड्डों के विस्तार के दौरान टर्मिनलों के निर्माण से लेकर हैंगरों तक के लिए पीईबी के उपयोग को पारंपरिक निर्माण विधियों की जगह प्राथमिकता दी जा रही है. सीमेंट और ईंटों के उपयोग जैसे पारंपरिक निर्माण तरीकों की तुलना में, पीईबी संरचनाओं में 40 प्रतिशत तक कम कार्बन उत्सर्जन और 50 प्रतिशत तेज टर्नअराउंड समय होता है, जबकि स्थायित्व के मामले में ये संरचनाएं पारंपरिक रूप से तैयार संरचनाओं के सामान ही होती हैं. साथ ही वे किफायती और एनर्जी-एफिशियंट भी होती हैं.

कनेक्टिविटी में आएगा सुधार
उड़ान योजना के तहत हवाई अड्डों के निर्माण के लिए पीईबी संरचनाएं प्रदान करने वाली कंपनी ईपैक प्रीफैब वर्तमान में मुइरपुर, सरसावा (सहारनपुर) और दरभंगा हवाई अड्डे के चरण-2 से जुड़े विकास कार्यों पर काम कर रही है. इन परियोजनाओं के पूरा होने से इन क्षेत्रों का देश के प्रमुख शहरों के साथ कनेक्टिविटी में सुधार आएगा, जिससे इन क्षेत्रों में पर्यटन, व्यापार और वाणिज्य को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी. दीर्घकालिक प्रभावों में औद्योगिक इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास, विनिर्माण और निर्यात में तेजी शामिल है.

इन सुविधाओं से हैं लैस
ईपैक प्रीफैब के निदेशक निखिल बोथरा के अनुसार, पीईबी संरचनाएं तेज गति से परियोजनाओं को पूरा करने में मदद करती हैं. वो आगे बताते हैं, इन हवाईअड्डों पर तेजी से निर्माण के लिए, पीईबी संरचनाओं का उपयोग टर्मिनल भवनों के निर्माण के लिए किया जा रहा है जो आग दमन प्रणाली, अच्छे थर्मल इन्सुलेशन और वेंटिलेशन सिस्टम से सुसज्जित हैं. इन टर्मिनलों पर एयरलाइन संचालन के लिए आवश्यक सभी उन्नत सेवाएं मौजूद होंगी, जैसे कि टिकट काउंटर, बैक ऑफिस, लगेज रूम, मेडिकल रूम, आदि. जैसे-जैसे हवाई यात्रा किफायती होती जाती है, फ्लाइट टर्मिनल के बुनियादी ढांचे के लिए तीव्र, टिकाऊ और एनर्जी-एफिशियंट संरचना प्रणालियों की आवश्यकता होती है, जो पर्यटकों को एक सहज और सुखद यात्रा का अनुभव प्रदान कर सके. इन जरूरतों को देखते हुए और गति, लचीलापन, स्थिरता और दीर्घकालिक आर्थिक लाभों के कारण, हवाई अड्डे के निर्माण के लिए पूर्वनिर्मित संरचनाएं पसंदीदा विकल्प बन रही हैं.

इसके हैं कई फायदे
बोथरा ने आगे कहा कि ग्रीन स्ट्रक्चर सस्टेनेबिलिटी को बढ़ा सकता है, निर्माण समय को कम कर सकता है और निर्माण उद्योग से उत्पन्न कचरे को निपटा सकता है. कारखाने में बनी बिल्डिंग्स जिनमें संरचनात्मक फ्रेम, छत और दीवार सपोर्ट होता है, पर्यावरण के अनुकूल हैं. वे निर्माण कार्य में तेजी लाने में अधिकारियों की सहायता कर सकती हैं. इस तरह के विकास का हॉस्पिटैलिटी, पर्यटन और स्थानीय अर्थव्यवस्था पर काफी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा. बता दें कि ईपैक ने पूर्व में चित्रकूट और हिंडन हवाईअड्डों का विकास किया है, दोनों ही पीईबी आधारित निर्माण हैं. हिंडन हवाई अड्डा सबसे तेजी से निर्मित हवाईअड्डों में से एक है जिसका निर्माण केवल चार महीने के रिकॉर्ड समय में किया गया है.


ठप पड़े कुल हाउसिंग प्रोजेक्ट्स में से 35% सिर्फ Noida में, घर लेने से पहले पढ़ लें ये खबर!

कुल ठप पड़े हाउसिंग प्रोजेक्ट्स में से 1 लाख 65 हजार ऐसे हैं जो उत्तर प्रदेश के नोएडा और ग्रेटर नोएडा में मौजूद है.

बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो by
Published - Monday, 27 November, 2023
Last Modified:
Monday, 27 November, 2023
Real Estate

अपना घर लेना हर किसी का सपना होता है और दिल्ली से सटे नोएडा (Noida) में बहुत से लोग अपना घर लेने का सपना देखते हैं. अगर अप भी ऐसे ही लोगों में शामिल हैं तो नोएडा में अपने घर का सपना देखने से पहले एक बार ये खबर जरूर पढ़ लें. देश के ठ़प पड़े कुल हाउसिंग प्रोजेक्ट्स में से 35% हाउसिंग प्रोजेक्ट्स केवल नोएडा में मौजूद हैं. हाल ही में नोएडा डायलॉग (Noida Dialogue) और नमो सेवा केंद्र (Namo Seva Kendra) नामक प्लेटफॉर्म्स द्वारा प्रकाशित की गई एक रिपोर्ट में यह जानकारी सामने आ रही है. 

नोएडा और ग्रेटर नोएडा में ठप पड़े प्रोजेक्ट्स
इन प्लेटफॉर्म्स द्वारा यह रिपोर्ट 26 नवंबर को जारी की गई थी और इस रिपोर्ट में बताया गया है कि देश के कुल ठप पड़े हाउसिंग प्रोजेक्ट्स में से 1 लाख 65 हजार फ्लैट्स ऐसे हैं जो उत्तर प्रदेश के नोएडा (Property in Noida) और ग्रेटर नोएडा (Property in Greater Noida) इलाकों में मौजूद हैं और इन 1 लाख 65 हजार फ्लैट्स की कीमत लगभग 1.18 लाख करोड़ रुपए बताई जा रही है. लगभग 1 लाख लोग ऐसे हैं जो अभी भी अपने फ्लैट्स के रजिस्टर होने का इंतजार कर रहे हैं, वहीं 60,000 लोग ऐसे भी हैं जिन्हें अपना घर मिलने की तारिख तो बहुत पहले ही जा चुकी, लेकिन अभी भी वह अपना घर मिलने की उम्मीद लगाये हुए हैं. भारतीय जनता पार्टी (BJP) के राष्ट्रीय वाईस प्रेसिडेंट गोपाल कृष्ण अग्रवाल ने रविवार को इस रिपोर्ट का अनावरण किया था. 

850 से ज्यादा नए प्रोजेक्ट हुए घोषित
इस रिपोर्ट का अनावरण उत्तर प्रदेश के गौतम बुद्ध नगर में एक आयोजित इक कार्यक्रम के दौरान किया गया था और इस कार्यक्रम में बहुत से पीड़ित निवेशक भी मौजूद थे. गोपाल कृष्ण ने घर खरीदने वाले लोगों के लंबित पड़े मामलों को सुलझाने की गुजारिश की है. रिलीज की गई रिपोर्ट के अनुसार इस मामले में आवश्यक फैसला सिर्फ उत्तर प्रदेश सरकार का ही नहीं बल्कि केंद्र सरकार का भी होगा. सिर्फ गौतम बुद्ध नगर में ही साल 2011 से लेकर अभी तक 850 से ज्यादा रेजिडेंशियल प्रोजेक्ट्स की शुरुआत की जा चुकी है और इनमें से लगभग 90% प्रोजेक्ट नोएडा अथॉरिटी (Noida Authority), ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी (Greater Noida Authority) और यमुना एक्सप्रेसवे डेवलपमेंट अथॉरिटी (YEDA) के न्यायक्षेत्र के अंतर्गत आते हैं. 

तारिख पर तारिख
रियल एस्टेट के जाने-माने ग्रुप एनारॉक (Anarock) के अनुसार ठ़प पड़े हाउसिंग प्रोजेक्ट्स के अनुसार नोएडा (Noida) सबसे खराब शहरों में से एक है. देश के कुल ठप पड़े हाउसिंग प्रोजेक्ट्स में से 35% केवल नोएडा और ग्रेटर नोएडा में मौजूद हैं. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि ठप पड़े 1 लाख 65 हजार प्रोजेक्ट्स में से ज्यादातर अभी पूरे नहीं हुए हैं. इतना ही नहीं एक रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि उत्तर प्रदेश RERA के 50% प्रोजेक्ट ठप पड़े हैं और इन प्रोजेक्ट्स की प्रस्तावित तारीख पूरी हुए भी 3 सालों से ज्यादा समय पूरा हो चुका है.
 

यह भी पढ़ें:  RBI की कार्रवाई से चढ़ गया इस Bank का पारा, खटखटाएगा अदालत का दरवाजा!

 


MahaRERA ने 248 रियल एस्टेट प्रोजेक्ट किये सस्पेंड, आपके सपनों का घर भी तो नहीं शामिल?

MahaRERA ने कुल रजिस्टर्ड 700 प्रोजेक्टों में से 248 प्रोजेक्ट सस्पेंड कर दिए हैं. कहीं आपके सपनों का घर भी तो इस लिस्ट में शामिल नहीं है?

बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो by
Published - Monday, 20 November, 2023
Last Modified:
Monday, 20 November, 2023
construction

इस वक्त महाराष्ट्र से एक काफी बड़ी खबर सामने आ रही है और अगर आप भी महाराष्ट्र में घर लेने का सपना देख रहे थे तो यह खबर आपके लिए काफी जरूरी साबित हो सकती है. महाराष्ट्र के रियल एस्टेट रेगुलेटर यानी महाराष्ट्र रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (MahaRERA) ने हाल ही में 248 रियल एस्टेट प्रोजेक्टों का रजिस्ट्रेशन सस्पेंड कर दिया है. 

क्यों सस्पेंड हुए प्रोजेक्ट?
MahaRERA ने आज जानकारी देते हुए बताया है कि संस्था के द्वारा लगभग 248 रियल एस्टेट प्रोजेक्टों को सस्पेंड किया जा चुका है. इतना ही नहीं, अगर आपके सपनों का घर MHADA (महाराष्ट्र हाउसिंग एंड एरिया डेवलपमेंट अथॉरिटी) के द्वारा बनाया जा रहा था तो भी आपके लिए यह काफी चिंता भरी खबर हो सकती है क्योंकि MahaRERA द्वारा सस्पेंड किये गए प्रोजेक्टों में से तीन हाउसिंग प्रोजेक्ट ऐसे भी हैं जजों MHADA के द्वारा बनाए जा रहे हैं. दरअसल इन सभी प्रोजेक्टों द्वारा ऑनलाइन जानकारी उपलब्ध करवाए जाने में विफल होने की वजह से MahaRERA द्वारा यह फैसला लिया गया है. 

QPR नहीं हुई जमा
दरअसल इन सभी प्रोजेक्टों को बनाने वाले डेवलपर्स ने इन प्रोजेक्टों से संबंधित जानकारी ऑनलाइन जमा करवाने के नियमों में कोताही बरती थी और इसी वजह से MahaRERA ने इन प्रोजेक्टों की बिक्री, मार्केटिंग या फिर एडवरटाइजिंग पर पूरी तरह से रोक लगा दी है. आपको बता दें कि फरवरी 2023 में कुल 700 प्रोजेक्ट रजिस्टर किये गए थे और इनमें से 248 प्रोजेक्टों को तिमाही प्रोग्रेस रिपोर्ट (QPR) जमा करवाने में विफल होने के चलते सस्पेंड कर दिया गया था. आपको बता दें कि QPR, MahaRERA की वेबसाइट पर मौजूद विभिन्न डेवलपर्स के द्वारा ही जमा करवाई जाती है. 

कहां कितने प्रोजेक्ट हुए सस्पेंड
MHADA द्वारा जारी की गई लिस्ट के अनुसार इन 248 प्रोजेक्टों में से 3 प्रोजेक्टों का संबंध MHADA के पुणे और औरंगाबाद बोर्ड से है. सस्पेंड हुए कुल तीन प्रोजेक्टों में से दो का संबंध पुणे और एक का संबंध बीड जिले से है. इस मुद्दे पर MHADA के जवाब का बेसब्री से इन्तजार किया जा रहा है. सस्पेंड हुए कुल 248 प्रोजेक्टों में से 99 प्रोजेक्ट MMR (मुंबई मेट्रोपोलिटन क्षेत्र) और कोंकण, 69 प्रोजेक्टों का संबंध पश्चिमी महाराष्ट्र और बाकी के प्रोजेक्टों का संबंध महाराष्ट्र के अन्य क्षेत्रों से है.
 

यह भी पढ़ें: नहीं होगी Sam Altman की वापसी, इन्हें सौंपी जाएगी Open AI की कमान!


Macrotech Developers ने इस शहर के लिए बनाया बड़ा प्लान, 800 करोड़ करेगी निवेश

मुंबई मेट्रोपॉलिटन रीजन और पुणे में मजबूत उपस्थिति रखने वाले मैक्रोटेक या लोढ़ा डेवलपर्स ने बेंगलुरु के लिए बड़ा प्लान तैयार किया है.

बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो by
Published - Monday, 20 November, 2023
Last Modified:
Monday, 20 November, 2023
file photo

मैक्रोटेक डेवलपर्स (Macrotech Developers) बिजनेस विस्तार की योजना पर काम कर रही है. इसी के तहत कंपनी कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में 2 हाउसिंग प्रोजेक्ट्स के निर्माण के लिए लगभग 800 करोड़ रुपए निवेश करेगी. दरअसल, बेंगलुरु में लग्जरी प्रोजेक्ट्स की डिमांड मजबूत है और कंपनी इसी मजबूती का फायदा उठाना चाहती है. बता दें कि मैक्रोटेक डेवलपर्स, लोढ़ा (Lodha) ब्रैंड के तहत अपनी प्रॉपर्टी की मार्केटिंग करती है. 

पुणे में है मजबूत उपस्थिति
लोढ़ा की मुंबई मेट्रोपॉलिटन रीजन (MMR) और पुणे में महत्वपूर्ण उपस्थिति है. पिछले साल जून में, कंपनी ने अपने पहले हाउसिंग प्रोजेक्ट के लिए एक जॉइंट वेंचर बनाकर बेंगलुरु मार्केट में एंट्री का ऐलान किया था. बाद में कंपनी ने इस IT सिटी में एक और हाउसिंग प्रोजेक्ट का खाका तैयार किया. मैक्रोटेक डेवलपर्स ने इसी महीने बेंगलुरु में अपना पहला हाउसिंग प्रोजेक्ट लॉन्च किया है, जिसे अच्छा रिस्पोन्स मिल रहा है. कंपनी को उम्मीद है कि उसका ये प्रोजेक्ट पूरी तरह से सफल रहेगा और आने वाले समय में वो स्थानीय रियल एस्टेट पर अपनी पकड़ मजबूत करेगी. 

ये भी पढ़ें - भारतीयों के लिए ये विदेशी शहर है हॉट डेस्टिनेशन, जमकर खरीद रहे Property

इतनी होगी कीमत
मीडिया रिपोर्ट्स में लोढ़ा के हवाले से कहा गया है कि कंपनी ने चालू वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में दूसरे प्रोजेक्ट शुरू करने का लक्ष्य रखा है. बेंगलुरु के दोनों प्रोजेक्ट की लागत 800 करोड़ रुपए होने का अनुमान है. लोढ़ा ने कहा कि इन दोनों प्रोजेक्ट्स से सकल विकास मूल्य या बिक्री मूल्य लगभग 2,500 करोड़ होने की उम्मीद है. मैक्रोटेक डेवलपर्स के अपार्टमेंट की प्राइज रेंज 1.5 से 2.5 करोड़ रुपए हो सकती है. लोढ़ा के मुताबिक, कंपनी MMR और पुणे रेजिडेंशियल मार्केट पर ध्यान केंद्रित करना जारी रखेगी. जहां तक बेंगलुरु में आगे बढ़ने का सवाल है, तो कंपनी विस्तार का निर्णय लेने से पहले सेल्स और मार्केटिंग के साथ-साथ इन दो प्रोजेक्ट के एग्जीक्यूशन पर ध्यान केंद्रित करना चाहेगी. बता दें कि मैक्रोटेक डेवलपर्स ने इस वित्तीय वर्ष के पहले छह महीनों के दौरान 6,890 करोड़ रुपए की सेल्स बुकिंग हासिल की है, जबकि पिछले वर्ष की समान अवधि में यह 6,000 करोड़ रुपए थी. 


भारतीयों के लिए ये विदेशी शहर है हॉट डेस्टिनेशन, जमकर खरीद रहे Property

भारतीय विदेशों के रियल एस्टेट मार्केट में अच्छा-खासा निवेश कर रहे हैं, इसमें दुबई उनके लिए हॉट डेस्टिनेशन बना हुआ है.

बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो by
Published - Wednesday, 15 November, 2023
Last Modified:
Wednesday, 15 November, 2023
file photo

जब बात विदेशों में प्रॉपर्टी खरीदने की आती है, तो दुबई (Dubai) भारतीयों का पसंदीदा डेस्टिनेशन बन जाता है. UAE के इस शहर में भारतीयों ने प्रॉपर्टी खरीदने के मामले में अंग्रेजों को भी पीछे छोड़ दिया है. इंडियन यहां जमकर मकान खरीद रहे हैं और शहर के रियल एस्टेट मार्केट में सबसे बड़े इन्वेस्टर्स बनकर सामने आए हैं. मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया है कि मौजूदा वित्त वर्ष की दूसरी और तीसरी तिमाही में भारतीयों ने दुबई में जमकर इन्वेस्टमेंट किया है.

लगातार कर रहे निवेश
रिपोर्ट्स में The Betterhomes Residential Market Report 2023 के हवाले से बताया गया है कि साल की दूसरी और तीसरी तिमाही में भारतीयों ने दुबई में प्रॉपर्टी खरीदने के मामले में ब्रिटेन के लोगों को पीछे छोड़ दिया है. पहली तिमाही में ब्रिटिश दुबई के प्रॉपर्टी मार्केट में सबसे बड़े इन्वेस्टर्स थे और अब यह ताज भारतीयों के सिर सज गया है. इंडियन यहां लगातार प्रॉपर्टी में इन्वेस्ट कर रहे हैं.

इनमें सबसे ज्यादा खरीदारी 
मौजूदा वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में दुबई के रियल एस्टेट मार्केट में रिकॉर्ड 28,249 ट्रांजैक्शंस हुए हैं. यह दूसरी तिमाही के मुकाबले 4 प्रतिशत और पिछले साल की समान तिमाही के मुकाबले 23% अधिक है. विला और टाउनहाउस ट्रांजैक्शन में 34 प्रतिशत की भारी ग्रोथ देखने को मिली है. जबकि अपार्टमेंट्स के ट्रांजैक्शंस में 4% की गिरावट दर्ज हुई है. भारतीय और ब्रिटिश नागरिक दुबई के रियल एस्टेट मार्केट में सबसे बड़े खरीदार बनकर सामने आए हैं. उधर, रूसी निवेशक 2022 की दूसरी तिमाही के बाद पहली बार तीसरे नंबर पर पहुंच गए हैं.


भारत की ग्रीन इमारतों की मांग में हो रही है बढ़ोत्तरी KPMG-Colliers की रिपोर्ट का दावा!

ज्यादातर कॉर्पोरेट और प्राइवेट दफ्तर अब पर्यावरण फ्रेंडली बनने की दिशा में कदम बढ़ा रहे हैं.

बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो by
Published - Tuesday, 07 November, 2023
Last Modified:
Tuesday, 07 November, 2023
real estate

2016 के मुकाबले 2023 में ग्रीन ऑफिस स्टॉक में लगभग 83% जितनी वृद्धि देखने को मिली है और इससे पता चलता है कि ऑफिस रियल एस्टेट क्षेत्र ने पिछले कुछ सालों के दौरान सतत एवं सकारात्मक विकास की दिशा में काफी तेजी से कदम बढाए हैं. यह जानकारी KPMG-कोलियर्स (KPMG-Colliers) द्वारा हाल ही में रियल एस्टेट के क्षेत्र को लेकर जारी की गई एक रिपोर्ट में साझा की गई है. 

ग्रीन बिल्डिंग का महत्त्व
ज्यादातर कॉर्पोरेट और प्राइवेट दफ्तर अब पर्यावरण फ्रेंडली बनने की दिशा में कदम बढ़ा रहे हैं और 2023 में भारत के कुल ऑफिसों में से 61% ऑफिस, मार्केट स्टॉक ग्रीन दिशा में आगे बढ़े हैं. इसके साथ ही KPMG-कोलियर्स (KPMG-Colliers) द्वारा जारी की गई रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि सर्वे में शामिल कुल कंपनियों में से 94% कंपनियों को हरित इमारतों के महत्त्व के बारे में पता है और कंपनी की वैल्युएशन बढ़ाने में यह काफी मददगार साबित हुई है. एनर्जी बचाने वाली इमारतों की मांग में वृद्धि के साथ-साथ उनकी तरफ बढती कंपनियों की रूचि में इजाफा हुआ है. 

रेटिंग सिस्टम का भी हो रहा है इस्तेमाल
KPMG और कोलियर्स द्वारा साथ मिलकर तैयार की गई इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि रियल एस्टेट डेवलपर्स ग्रीन इमारतों की बढ़ती हुई मांग की पूर्ती के लिए अथक प्रयास कर रहे हैं. इसके साथ ही सतत एवं सकारात्मक कमर्शियल रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स में LEED जैसे रेटिंग सिस्टम्स एवं ग्रीन रेटिंग इंटीग्रेटेड हैबिटैट एसेसमेंट (GRIHA) और वेल बिल्डिंग सर्टिफिकेशन जैसे रेटिंग सिस्टम्स भी शामिल हैं. 

ग्रीन इमारतों की मांग वाले प्रमुख शहर
वर्तमान में देश के प्रमुख शहरों और अन्य मेट्रोपोलिटन शहरों में भी Grade A स्टॉक का महत्त्व काफी ज्यादा है और इन शहरों में बैंगलोर, दिल्ली-NCR, हैदराबाद, मुंबई, चेन्नई और पुणे जैसे शहर शामिल हैं और ये शहर कुल 421 मिलियन स्क्वेयर फीट की जगह के लिए जिम्मेदार हैं. KPMG और कोलियर्स की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 16-26% पुरानी बिल्डिंग को अपग्रेड की जरूरत हाई जिसके बाद इनके प्रदर्शन में भी बढ़ोत्तरी हो सकती है. आपको बता दें कि रियल एस्टेट डेवलपर्स के द्वारा बनाये जा रहे इन ग्रीन प्रोजेक्ट्स की बदौलत भारत के सतत एवं सकरात्मक विकास के लक्ष्यों को भी मजबूती मिलेगी.
 

यह भी पढ़ें: स्कैम करने के तरीकों में हो रहा है इजाफा, इस तरह करें खुद का बचाव!

 

TAGS bw-hindi

Group 108 के इस कदम से बदलेगा नोएडा का IT/ITES सेक्टर!

ग्रुप 108 उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ट्रिलियन डॉलर इकॉनमी और व्यवसाय करने की स्वतंत्रा के विजन से प्रेरित है.

बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो by
Published - Saturday, 04 November, 2023
Last Modified:
Saturday, 04 November, 2023
Group 108

रियल एस्टेट (Real Estate) क्षेत्र की जानी मानी कंपनी ग्रुप 108 (Group 108) ने अपने नए वेंचर ONE FNG की घोषणा की है और इस प्रोजेक्ट की घोषणा प्रमुख रूप से IT/ITES क्षेत्र के लिए की गई है. इनोवेशन, सतत विकास और लगभग 1000 करोड़ रुपयों की विशालकाय इन्वेस्टमेंट के साथ ONE FNG नोएडा के व्यवसायिक परिदृश्य को बदलने में प्रमुख रूप से भूमिका निभाएगा. 

सबसे बड़ी प्लेटिनम रेटेड ग्रीन बिल्डिंग
108 ग्रुप उत्तर प्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के एक ट्रिलियन डॉलर्स इकॉनमी और व्यवसाय करने की स्वतंत्रा के विजन से प्रेरित है और इसीलिए ग्रैंडथम (Grandthum) के बाद ग्रुप का अगला बड़ा प्रोजेक्ट बनाने के लिए उन्होंने नोएडा का चयन किया था. ग्रैंडथम एक IT पार्क है जिसका निर्माण ग्रेटर नोएडा वेस्ट में किया जा रहा है. यह IT पार्क लगभग 22.5 एकड़ के क्षेत्र में फैला हुआ है और यह IGBC द्वारा प्रमाणित सबसे बड़ा प्लैटिनम रेटेड सबसे बड़ी ग्रीन बिल्डिंग है. 

ग्रुप 108 का वादा
इस मौके पर ग्रुप 108 (Group108) के मैनेजिंग डायरेक्टर डॉक्टर अमीश भूटानी ने कहा कि ONE FNG नोएडा के IT और ITES सेक्टर को स्टेट-ऑफ-द-आर्ट ऑफिस स्पेस, रिटेल क्षेत्रों और सतत एवं हरित फीचर्स की मदद से नया आकार देगा. ये इन्वेस्टमेंट हमारे द्वारा उत्तर प्रदेश इन्वेस्टर्स समिट के दौरान किये गए वादे के अनुरूप है. हमने वादा किया था कि हम उत्तर प्रदेश में लगभग 2000 करोड़ रुपयों का निवेश करेंगे. इस प्रोजेक्ट में दो हाई-राइज ऑफिस टावर भी होंगे और यह दोनों ही टावर कुल मिलाकर लगभग 4 लाख स्क्वायर फीट की जगह प्रदान करवाएंगे. ये टावर भूकंप के झटकों को भी सह सकेंगे और इन टावरों में 21 हाई-स्पीड एलीवेटर भी होंगे. 

कब बदलेगा नोएडा का परिदृश्य?
ONE FNG को अगले 5 सालों के भीतर ही पूरा कर लिया जाएगा और इसे पहले ही IGBC द्वारा प्लेटिनम रेट ग्रीन बिल्डिंग का सर्टिफिकेट दे दिया गया है और यह ग्रुप 108 (Group 108) के सतत एवं हरित वादों के अनुरूप है. ONE FNG का वादा है कि वह नोएडा के रियल एस्टेट कमर्शियल परिदृश्य को बदलकर रख देंगे और क्षेत्रीय इकॉनमी और बिजनेस में वृद्धि करने के लिए ग्रुप 108 के वादे को भी दर्शाता है. 
 

यह भी पढ़ें: World Cup 2023: भारत को लगा झटका, हार्दिक पंडया हुए बाहर; इस खिलाड़ी की हुई एंट्री!


रियल स्‍टेट सेक्‍टर के लिए कैसा रहा नवरात्र का सीजन, अभी बाकी है दिवाली? 

नवरात्र में रियल स्‍टेट की बिक्री के जो आंकड़े निकलकर आए हैं वो बता रहे हैं इस सेक्‍टर के लिए स्थितियां लगातार बेहतर हो रही हैं. 

बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो by
Published - Tuesday, 31 October, 2023
Last Modified:
Tuesday, 31 October, 2023
Real State

भारत में त्‍योहारों की शुरुआत केवल लोगों के लिए उत्‍साह और धार्मिक मान्‍यताओं का नहीं होता बल्कि देश के बाजार पर भी इस त्‍योहारी सीजन का बड़ा असर होता है. देश का हर कारोबारी सेक्‍टर इन त्‍योहारों को लेकर अपनी बड़ी तैयारी करता है और उसकी कोशिश होती है कि अगर अब तक बीती दो तिमाही में कंपनी के नतीजे उतने बेहतर नहीं रहे हैं तो इस तिमाही में उसे बेहतर कर लिया जाए.रियल स्‍टेट सेक्‍टर जो बीते कई सालों से मंदी का सामना कर रहा है ये साल उसके लिए ठीक होता हुआ नजर आ रहा है. लगभग सभी बड़ी रियल स्‍टेट कंपनियों को नवरात्रि के इस त्‍योहार में अच्‍छी सेल देखने को मिली है. 

पहले से बेहतर रहा है ये सीजन? 
साया समूह ने इस त्‍योहारी सीजन में अब तक 100 करोड़ रुपये की लागत वाली 70 यूनिट को बेचने में कामयाबी हासिल की है. साया ग्रुप के एमडी विकास भसीन कहते हैं कि बेहतर क्‍वॉलिटी के निर्माण और भविष्‍य की रूपरेखा को देखते हुए हमने जो प्रोजेक्‍ट बनाए हैं उनमें इस त्‍योहारी सीजन में अच्‍छी सेल देखने को मिली है. हम उम्‍मीद कर रहे हैं कि आने दिवाली और उसके बाद न्‍यू ईयर भी हमारे लिए ऐसा ही बेहतर रहेगा. विकास भसीन बताते हैं कि हमें नोएडा इंदिरापुरम की परियोजनाओ को लेकर अच्‍छा रूझान देखने को मिला है. 

साल के अंत तक जारी रहेगा ट्रेंड 
वहीं अगर मिगसन समूह की बात करें तो उसके एमडी यश मिगलानी कहते है कि इस फेस्टिव सीजन में वो अब तक 350 करोड़ की 450 इकाईयां बेचने में कामयाब रहे हैं. इस फेस्टिव सीजन में रियल स्‍टेट को लेकर अच्‍छा रूझान देखने को मिल रहा है. उनका मानना है कि ऐसी ही सकारात्‍मकता आने वाले दिनों में भी देखने को मिलेगी. 

तिमाही आवास बिक्री में हुआ है 4.5 प्रतिशत का इजाफा 
ये त्‍योहारी सीजन लगभग सभी रियल स्‍टेट से जुड़े प्‍लेयरों के लिए बेहतर रहा है. 360 रियलटर्स के प्रबंध निदेशक अंकित कंसल कहते हैं, चालू सीजन में फेस्टिव सीजन के दौरान तिमाही आवास बिक्री में 4.5% Q/Q की वृद्धि हुई और पिछली तिमाही में लगभग 9,500 यूनिट्स से बढ़कर 10,090 यूनिट्स तक पहुंच गई। अगर हम प्रमुख महानगरों की बात करें तो बिक्री लगभग 6 फीसदी से बढ़कर 103,000 तक पहुंच गई है. वहीं एमआरजी ग्रुप के एमडी रजत गोयल का कहना है, उनके पिछले प्रोजेक्‍ट की बेहतर सेल के बाद इस बार भी नवरात्रि फेस्टिव सीजन के दौरान 150+ करोड़ रुपये सेल करने में वो अब तक कामयाब रहे हैं. 


Delhi-NCR के इस बड़े मॉल को जल्द मिलेगा नया मालिक, सामने आया ये नाम!

डीएस ग्रुप प्रीमियम और हॉस्पिटैलिटी सेक्टर में विस्तार योजना पर तेजी काम कर रहा है. माना जा रहा है कि GIP को खरीदने की दौड़ में समूह सबसे आगे है.

बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो by
Published - Tuesday, 17 October, 2023
Last Modified:
Tuesday, 17 October, 2023
file photo

दिल्ली-NCR के सबसे बड़े मॉल्स में शुमार 'द ग्रेट इंडिया पैलेस' (GIP) को जल्द ही नया मालिक मिल सकता है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, डीएस ग्रुप GIP मॉल को खरीदने की दौड़ में सबसे आगे है. बताया जा रहा है कि सौदा करीब 2000 करोड़ रुपए में होने का अनुमान है. अगर डील फाइनल होती है, तो यह नोएडा के रियल स्टेट सेक्टर की सबसे बड़ी डील होगी. बता दें कि डीएस ग्रुप के पोर्टफोलियो में रजनीगंधा पान मसाला, पल्स कैंडी और कैच मसाले जैसे सबसे ज्यादा बिकने वाले ब्रैंड हैं.  

खाली पड़ी है काफी जगह
रिपोर्ट्स में सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि डीएस ग्रुप रिटेल और हॉस्पिटैलिटी सेक्टर में अपनी मौजूदगी को विस्तार देना चाहता है, इसलिए उसने GIP पर दांव लगाया है. 'द ग्रेट इंडिया पैलेस' का पूरा कॉम्पलेक्स 147 एकड़ में फैला हुआ है, जिसमें काफी जगह खाली पड़ी है. इस खाली जगह पर कुछ और व्यावसायिक या आवासीय इमारतें बनाईं जा सकती हैं. नए प्रोजेक्ट्स के लिए यहां करीब 17 लाख स्क्वॉयर फीट जमीन उपलब्ध है. हालांकि, DS ग्रुप या GIP की तरफ से इस खबर पर अब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है.

GIP पर भारी-भरकम कर्जा
'द ग्रेट इंडिया पैलेस' (GIP) को अप्पू घर ग्रुप और यूनिटेक ग्रुप (Unitech Group) ने मिलकर तैयार किया था. मौजूदा वक्त में यूनिटेक की मॉल में 42% हिस्सेदारी है, जबकि शेष हिस्सेदारी दूसरे निवेशकों के पास है. GIP की बिक्री 1000 करोड़ के कर्ज की वजह से होने जा रही है. यूनिटेक ग्रुप सहित इसके मौजूदा प्रमोटर्स की आर्थिक स्थिति इतनी अच्छी नहीं है कि इतना भारी-भरकम कर्जा चुका सकें, इसलिए GIP को बेचा जा रहा है. जीआईपी में अब पहले वाली रौनक भी नहीं है. किसी जमाने में यहां हर समय भीड़ लगी रहा करती थी, लेकिन कोरोना और आसपास खुले दूसरे मॉल्स के चलते हालात खराब होते चले गए.

ये है DS Group की योजना
नोएडा का डीएस ग्रुप प्रीमियम और हॉस्पिटैलिटी सेक्टर में विस्तार योजना पर तेजी काम कर रहा है. समूह ने जुलाई में बेंगलुरु स्थित वायसराय होटल्स (Viceroy Hotels) का अधिग्रहण किया था. वित्त वर्ष 2013 में 5,500 करोड़ रुपए के राजस्व वाले डीएस ग्रुप के पोर्टफोलियो में इस समय छह होटल हैं. हॉस्पिटैलिटी सेक्टर के अलावा, समूह ने ले मार्चे (Le Marche) रिटेल स्टोर और एल ओपेरा कॉफी चेन (L’Opera Coffee Chain) जैसे वेंचर्स के साथ प्रीमियम रिटेल में उपस्थिति दर्ज कराई है. बता दें कि जीआईपी को खरीदने में कुछ और कंपनियों ने भी दिलचस्पी ली थी, लेकिन बात आगे नहीं बढ़ पाई.  
 


Shark Tank India के इस शार्क ने खरीदा आलीशान बंगला, कीमत सुन लग जाएगा झटका

शार्क टैंक इंडिया सीजन 1 से नजर आ रहे लेंसकार्ट के को-फाउंडर पीयूष बंसल ने एक बड़ी प्रॉपर्टी डील फाइनल की है.

बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो by
Published - Thursday, 05 October, 2023
Last Modified:
Thursday, 05 October, 2023
file photo

यदि आप शार्क टैंक इंडिया (Shark Tank India) देखते हैं, तो पीयूष बंसल (Peyush Bansal) को जानते ही होंगे. नहीं जानते, तो चलिए हम बता देते हैं. पीयूष लेंसकार्ट (Lenskart) के को-फाउंडर हैं और शार्क टैंक इंडिया में सीजन-1 से नजर आ रहे हैं. हालांकि, फिलहाल चर्चा बंसल के इस शो की नहीं हो रही, बल्कि उस प्रॉपर्टी डील की हो रही है जो उन्होंने हाल ही में फाइनल की है. मीडिया रिपोर्ट्स में रियल एस्टेट डेटा एनालिटिक्स फर्म CRE Matrix के हवाले से बताया गया है कि पीयूष बंसल ने दिल्ली में एक आलीशान प्रॉपर्टी में निवेश किया है.

नीति बाग में खरीदा घर
पीयूष बंसल ने दिल्ली के नीति बाग में एक घर खरीदा है, जिसकी कीमत 18 करोड़ रुपए है. दिल्ली में प्रॉपर्टी के दाम वैसे ही काफी ज्यादा हैं और बंसल ने जिस नीति बाग में घर खरीदा है, जो राजधानी के सबसे महंगे इलाकों में शुमार है. बंसल के नाम पर सेल डीड इसी साल 19 मई को हुई थी. शार्क टैंक इंडिया के इस जज ने नए घर के लिए 1.08 करोड़ रुपए की स्टांप ड्यूटी का भुगतान किया है. इस प्रॉपर्टी के एरिया की बात करें, तो यह 469.7 वर्ग मीटर या 5056 वर्ग फीट का है. जबकि प्रॉपर्टी का कुल कवर एरिया 939.4 वर्ग मीटर से 10,111.7 वर्ग फीट के बीच है.  

सबसे महंगी डील में शामिल
रिपोर्ट्स बताती हैं कि पीयूष बंसल ने यह बंगला सुरिंदर सिंह अटवाल नामक व्यक्ति से खरीदा है. बंसल की यह डील, इस वर्ष दिल्ली में हुए बड़े सौदों में से एक है. मार्च में दिल्ली के गोल्फ लिंक्स में भारत के पूर्व अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी की पत्नी वसुधा रोहतगी के नाम पर 160 करोड़ रुपए का बंगला खरीदा गया था, जो 2,160 वर्ग गज में फैला है. इसी तरह, अगस्त में ग्लोबल डेंट ऐड्स की निदेशक रेनू खुल्लर ने निज़ामुद्दीन ईस्ट में 873 वर्ग गज का एक बंगला खरीदा था, जिसकी कीमत करीब 61.70 करोड़ रुपए बताई गई थी.

2010 में शुरू की कंपनी
पीयूष बंसल एंटरप्रेन्योर होने के साथ ही एंजल इन्वेस्टर भी हैं. उन्होंने कई कंपनियों में पैसा लगाया हुआ है. शार्क टैंक इंडिया के जरिए उन्होंने कुछ स्टार्टअप में इन्वेस्टमेंट किया है. बंसल ने लेंसकार्ट की स्थापना 2010 में अमित चौधरी के साथ मिलकर की थी और 2011 में उनके साथ सुमित कपाही भी जुड़ गए. लेंसकार्ट एक मल्टीनेशनल ऑप्टिकल प्रिस्क्रिप्शन आईवियर रिटेल चेन है. सितंबर 2020 तक, लेंसकार्ट के भारत में 40 से अधिक शहरों में 500+ स्टोर थे. नई दिल्ली में इसकी मैन्युफैक्चरिंग फैसिलिटी में हर महीने 3 लाख ग्लास तैयार होते हैं. 

 


भारत में ग्रीन ऑफिस की मांग में हुआ इजाफा, जानते हैं क्‍या है इसकी वजह?

ये सर्वे रिपोर्ट बताती है कि इस साल के आखिरी तक आवासीय यूनिट की बिक्री का आंकड़ा 3 लाख को पार कर सकता है. अगर ऐसा होता है तो ये एक अच्‍छी स्थिति होगी. 

बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो by
Published - Wednesday, 27 September, 2023
Last Modified:
Wednesday, 27 September, 2023
Green Building

एक समय वो था जब एक अच्‍छे ऑफिस की जो शर्त होती थी उनमें उसकी अच्‍छी लोकेशन, अच्‍छी ट्रांसपोर्ट फैसिलिटी और अच्‍छा वातावरण हुआ करती थी. लेकिन पिछले दो दशक में जिस तरह से बदलाव हुआ है उसके बाद अब जरूरत बदल गई है. अब कंपनियां ग्रीन बिल्डिंग स्‍पेस की मांग ज्‍यादा कर रही हैं. एक सर्वे के अनुसार ग्रीन बिल्डिंग स्‍पेस के निर्माण में 2019 के मुकाबले 36 प्रतिशत की ग्रोथ देखने में मिली है. इसका मतलब ये है कि अब सभी कंपनियों को ग्रीन ऑफिस स्‍पेस ज्‍यादा पसंद आ रहे हैं. ग्रीन ऑफिस स्‍पेस वो होते हैं जो पूरी तरह से एनर्जी एफिशियंट होते हैं. इनमें काम करने पर कम एनर्जी का इस्‍तेमाल करना पड़ता है.  

क्‍या कहती है ये सर्वे रिपोर्ट ? 
CII-CBRI के अनुसार, भारत के टॉप 6 शहरों में 2019 के मुकाबले ऑफिस स्‍पेस में 36 प्रतिशत से ज्‍यादा का इजाफा हुआ है. 2023 में ये 342 मिलियन वर्ग फुट तक जा पहुंचा है. भारत में मौजूदा तीन शहर ऐसे हैं जहां बड़ी संख्‍या में ग्रीन ऑफिस स्‍पेस का निर्माण हुआ है. इनमें दिल्‍ली एनसीआर, मुंबई, और बैंगलुरु जैसे शहर शामिल हैं. इन तीनों शहरों में बने ऑफिस स्‍पेस भारत के कुल स्‍पेस का 68 प्रतिशत हिस्‍सेदारी है. ये जानकारी सीआईआई रियल्‍टी 2023 के कॉन्‍क्‍लेव में सामने आई थी. 

ग्रीन बिल्डिंग स्‍पेस में 7.1 प्रतिशत का हुआ है इजाफा
ग्रीन बिल्‍डिंग स्‍पेस जिसे हरित कार्यालय भी कहा जाता है इसमें पिछले पांच वर्षों में 7.1 प्रतिशत की चक्रवृद्धि वार्षिक दर से इजाफा हुआ है. अब अगर देश की तीन जगहों में हरित स्‍पेस के क्षेत्र को देखें तो समझ में आता है कि ये आज कहां से कहां पहुंच चुका है. इनमें बैंगलुरु में 104 मिलियन फुट, एनसीआर में 70 मिलियन फुट और मुंबई में 56 मिलियन फुट है.  अगर प्रतिशत में देखें तो पूरे देश का बैंगलुरु में 30 प्रतिशत, दिल्‍ली एनसीआर में 21 प्रतिशत और मुंबई में 17 प्रतिशत शामिल है. जबकि हैदराबाद में ऑफिस स्‍पेस का ये प्रतिशत 15 प्रतिशत, चेन्‍नई में 9 प्रतिशत और पुणे में 8 प्रतिशत है. 

क्‍या बोले सर्वे कंपनी के चेयरमैन और सीईओ? 
इस सर्वे में सामने आई फाइंडिंग को लेकर सीबीआरई के चेयरमैन और सीईओ ने कहा कि अंशुमन ने कहा कि जीसीसी, डेटा सेंटर और लचीले कार्यक्षेत्र जैसे ऑप्‍शनल क्षेत्र रियल स्‍टेट को बढ़ावा देते हैं. इस रिपोर्ट के अनुसार अगर ऑफिस लीज की बात करें तो ये इन तीनों शहरों में बढ़कर 24.6 मिलियन तक पहुंच गई है. इसमें बैंग्‍लुरु, चेन्‍नई और एनसीआर का हिस्‍सा 60 प्रतिशत है. इसमें औद्योगिक और लॉजिस्टिक क्षेत्र द्वारा ली गई जगह 35 प्रतिशत बढ़कर 19.1 मिलियन वर्ग फुट हो गई है.