देश का दूसरा सबसे महंगा शहर हैदराबाद है जिसका सामर्थ्य 30 प्रतिशत है. ये 2022 से वैसा ही बना हुआ है. गौरतलब बात ये है कि 2022 के बाद से इसमें कोई बदलाव नहीं हुआ है.
क्या आप आने वाले दिनों में अफोर्डेबल प्रॉपर्टी खरीदने की तैयारी कर रहे हैं. देश के अलग-अलग शहरों की प्रॉपर्टी के दामों को लेकर इस सेक्टर में काम करने वाली संस्था Knight Frank का हाल ही में किया गया सर्वे सामने आया है. ये सर्वे देश के अफोर्डेबल शहरों के बारे में बताता है. इसकी रिपोर्ट के अनुसार अहमदाबाद, कोलकाता और पुणे देश के सबसे अफोर्डेबल बाजार हैं. जबकि दिल्ली एनसीआर की रैंकिंग में पिछले साल के मुकाबले बेहतरीन सुधार हुआ है.
क्या कहती है सर्वे रिपोर्ट?
नाइट फ्रैंक की सर्वे रिपोर्ट कहती है कि कम होती महंगाई दर और ब्याज दरों के बीच लोगों की ईएमआई और आय के अनुपात में सुधार हुआ है. रिपोर्ट ये भी कह रही है कि अगर ये रुझान आगे भी जारी रहता है तो आने वाले साल यानी 2024 में इसमें और सुधार होना चाहिए. सर्वे रिपोर्ट कहती है कि अहमदाबाद इस सूची में सबसे ऊपर है. उसकी सामर्थ्य 21 प्रतिशत है. यहां सामर्थ्य से अभिप्राय ये है कि अहमदाबाद में किसी भी शख्स को ईएमआई चुकाने के लिए अपनी आय का 21 प्रतिशत खर्च करना पड़ता है. इसी सामर्थ्य क्षमता में पुणे 24 प्रतिशत और कोलकाता 8 प्रतिशत के सुधार के बाद दूसरे नंबर पर है.
क्या बोले सर्वे एजेंसी के अधिकारी?
रियल स्टेट बाजार को लेकर सर्वे करने वाली संस्था नाइट फ्रैंक के अध्यक्ष और निदेशक शिशिर बैजल ने आने वाले साल को लेकर सकारात्मकता जताई है. उन्होंनें कहा कि स्थिर जीडीपी और मुद्रास्फीति में नरमी की उम्मीद के बीच बाजार में सामर्थ्य और मजबूत होने की उम्मीद है. उन्होंने कहा कि अगर वर्ष 2024 के अंत में अगर रिजर्व बैंक ब्याज दरों को कम करता है जैसा कि उम्मीद की जा रही है, तो 2024 में लोगों की सामर्थ्य में और इजाफा होने की उम्मीद है. उन्होंने कहा कि इससे इस क्षेत्र में और ज्यादा तेजी आने की उम्मीद है.
ये है देश का सबसे महंगा शहर
नाइट फ्रैंक की रिपोर्ट बता रही है कि पुणे, अहमदाबाद और दिल्ली के आंकड़ों में सुधार के बीच मुंबई देश का सबसे महंगा शहर है. यहां की सामर्थ्य का प्रतिशत 50 तक है. इतने ज्यादा प्रतिशत वाला ये अकेला शहर है. हालंकि इस बार मुंबई ने अपनी सामर्थ्य में 2 प्रतिशत का सुधार किया है. 2022 में ये 53 प्रतिशत हुआ करता था लेकिन इस बार ये 51 प्रतिशत हो गया है. इसके बाद दूसरा सबसे महंगा शहर हैदराबाद है जिसका सामर्थ्य 30 प्रतिशत है. ये 2022 से वैसा ही बना हुआ है. गौरतलब बात ये है कि 2022 के बाद से इसमें कोई बदलाव नहीं हुआ है. दिल्ली की सामर्थ्य प्रतिशत 29 से 27 प्रतिशत तक आ गया है. बेंग्लुरु भी 29 प्रतिशत के साथ महंगा शहर बना हुआ है.
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सीमेंट के दामों में बढ़ोतरी का बड़ा असर हाउसिंग सेक्टर पर देखने को मिलेगा जो पहले से ही कंस्ट्रक्शन लागत के बढ़ने से परेशान है.
घर बनाना अब और महंगा हो गया है. इसकी वजह गै सीमेंट के दामों में बढ़ोतरी. देशभर में सीमेंट की 50 किलो वाले बैग की कीमतों में 5 से 20 रुपये प्रति बैग की बढ़ोतरी देखी जा रही है. मानसून खत्म होने के बाद सीमेंट की डिमांड बढ़ जाती है. इस डिमांड को भूनाने के लिए देशभर में सीमेंट डीलर्स ने कीमतें बढ़ा दिए है. पिछले 4-5 महीने से सीमेंट के दाम फ्लैट रहे थे. इससे सीमेंट डीलर्स के मार्जिन में कमी आ गई थी तो सीमेंट कंपनियों के मुनाफे पर भी असर देखा जा रहा था.
सीमेंट की डिमांड में जोरदार उछाल
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक दिसंबर की शुरुआत से देशभर में सीमेंट डीलर्स ने कीमतों में बढ़ोतरी कर दी है. रियल एस्टेट सेक्टर में कंट्रक्शन के जोर पकड़ने के बाद सीमेंट की डिमांड में जोरदार उछाल देखा जा रहा है. फेस्टिव सीजन के खत्म होने के बाद लेबर उपलब्धता बढ़ गई है. ऐसे में इंफ्रास्ट्रक्चर से लेकर रियल एस्टेट सेक्टर में कंट्रक्शन ने जोर पकड़ लिया है. इसके चलते सीमेंट की मांग में तेजी आई है.
5-10 रुपये प्रति बैग सीमेंट के दाम बढ़े
देश के पश्चिमी क्षेत्र में डीलर्स ने 5-10 रुपये प्रति बैग सीमेंट के दाम बढ़ा दिए हैं. इस रीजन में सीमेंट की कीमतें 350-400 रुपये प्रति बैग हो गई है. पूर्वी राज्यों में सबसे ज्यादा सीमेंट की कीमतों में इजाफा देखा जा रहा है. इस रीजन में 30 रुपये प्रति बैग तक सीमेंट महंगा हो गया है. दिल्ली में सीमेंट डीलर्स ने 20 रुपये प्रति बैग तक सीमेंट के दाम बढ़ा दिए हैं. दक्षिण राज्यों में 40 रुपये प्रति बैग तक कीमतें बढ़ गई है.
इनक्रेड इक्विटीज रिपोर्ट के मुताबिक दिसंबर में सभी रीजन में 10-15 रुपये प्रति बैग तक सीमेंट के दामों में बढ़ोतरी होगी. चुनावों और मानसून के कारण कंट्रक्शन में डिसरप्शन देखने के बाद आधारभूत ढांचे पर काम में तेजी आने की उम्मीद है. सरकार की ओर से मौजूदा वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में कैपिटल एक्सपेंडिटर में तेजी आएगी. इसे भूनाने के लिए सीमेंट के दाम बढ़ा दिए गए हैं.
कंस्ट्रक्शन लागत का बढ़ना तय
बहरहाल सीमेंट के दामों में बढ़ोतरी के बाद हाउसिंग सेक्टर में कंस्ट्रक्शन लागत का बढ़ना तय है जिसका खामियाजा यूजर्स को उठाना होगा. हाल ही में रियल एस्टेट कंसलटेंट कोलियर्स इंडिया ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि बिल्डिंग मटेरियल्स और लेबर कॉस्ट के महंगे होने के चलते हाउसिंग प्रोजेक्ट्स के औसत कंस्ट्रक्शन लागत में बीते चार सालों में 39 फीसदी का उछाल आया है. कोलियर्स इंडिया के डेटा के मुताबिक अक्टूबर 2020 में प्रीमियम हाउसिंग प्रोजेक्ट्स (Premium Housing Projects) में औसत कंस्ट्रक्शन लागत 2000 रुपये प्रति वर्ग फुट था जो मौजूदा वर्ष 2024 के अक्टूबर महीने में बढ़कर 2780 रुपये प्रति वर्ग फुट पर जा पहुंचा है. यानि पिछले चार सालों में कंस्ट्रक्शन कॉस्ट में 780 रुपये प्रति वर्ग फुट बढ़ा है.
घरों का निर्माण करना हुआ महंगा
डेटा के मुताबिक पिछले एक साल में हाउसिंग प्रोजेक्ट्स के कंस्ट्रक्शन की औसत लागत में 11 फीसदी की बढ़ोतरी आई है. लेबर कॉस्ट में बड़ी बढ़ोतरी के साथ रेत, ईंट, कांच, लकड़ी जैसी कंस्ट्रक्शन सामग्री की कीमतों में इजाफा के चलते घरों का निर्माण करना महंगा हुआ है. सीमेंट, स्टील, कॉपर और एल्युमीनियम की कीमतों में मामूली बढ़ोतरी देखने को मिली थी. लेकिन लेबर कॉस्ट में एक साल में 25 फीसदी की बढ़ोतरी के चलते कंस्ट्रक्शन कॉस्ट में बड़ा इजाफा देखने को मिला है.
नोएडा सेक्टर 76 में आम्रपाली सिलिकॉन सिटी में खाली जमीन पर आम्रपाली के अधूरे प्रोजेक्ट का काम अब एनबीसीसी पूरा करा रहा है.
अगर आप एनसीआर में कोई नया फ्लैट खरीदने की प्लानिंग कर रहे हैं, तो आपके लिए एक अच्छी खबर है. दरअसल, नोएडा सेक्टर 76 स्थित आम्रपाली सिलिकॉन सिटी में खाली पड़ी जगह में 668 फ्लैट बनाए जाएंगे. यह फ्लैट्स सात टावरों में बनाए जाएंगे. सभी फ्लैट तीन और चार बीएचके होंगे. नेशनल बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कॉरपोरेशन लिमिटेड (NBCC) ने फ्लैट्स के नक्शा मंजूरी के लिए नोएडा विकास प्राधिकरण में आवेदन किया है. इसके बाद अब प्राधिकरण की तरफ से जांच शुरू कर दी गई है. तो आइए आपको इस प्रोजेक्ट के बारे में विस्तार से जानकारी देते हैं.
कोर्ट के आदेश पर एनबीसीसी करेगा प्रोजेक्ट को पूरा
बता दें, सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर आम्रपाली की अधूरी परियोजनाओं को पूरा कराने का काम अब एनबीसीसी कर रहा है. आम्रपाली सिलिकॉन सिटी में जगह खाली पड़ी है. पहले आम्रपाली बिल्डर ने इस जमीन पर फ्लैट बनाने का नक्शा पास करा लिया था, लेकिन बाद में बिल्डर विवादों में फंस गया और यह परियोजना अधूरी रह गई. नक्शा पास कराने के लिए बाद तय समय में काम शुरू करना होता है जो नहीं किया गया. ऐसे में अब एनबीसीसी इस प्रोजेक्ट को पूरा कराएगी.
ये है एनबीसीसी की योजना
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार एनबीसीसी ने नए सिरे से फ्लैट बनाने की योजना तैयार की है. नक्शे के अनुसार खाली पड़ी 36 हजार वर्गमीटर जमीन में 7 टावर बनाए जाएंगे. यह टावर 27-27 मंजिल के होंगे. इनमें 668 फ्लैट बन सकते हैं, जोकि तीन और 4 बीएचके होंगे. एनबीसीसी ने नक्शे के साथ नोएडा प्राधिकरण को आवेदन भेजा है, आवेदन आने के साथ ही उपलब्ध कराए गए कागजातों की जांच शुरू कर दी गई है. इसके बाद प्राधिकरण की टीम मौके पर जाकर जांच करेगी, जिसके ही मंजूरी दी जाएगी. मंजूरी देने के बाद एनबीसीसी मौके पर काम शुरू कर सकती है.
10 हजार फ्लैट बनाने की तैयारी में एनबीसीसी
नक्शे के अनुसार आम्रपाली की नोएडा और ग्रेटर नोएडा में स्थित प्रोजेक्ट्स में खाली पड़ी जमीन और पर्चेबल एफएआर के साथ करीब 10 हजार फ्लैट बनाने की तैयारी एनबीसीसी कर रहा है. नोएडा की सिलिकॉन सिटी के अलावा ग्रेनो एरिया में ड्रीम वैली, गोल्फ होम्स, सेंचुरियन पार्क, लेजर पार्क, लेजर वैली आदि प्रोजेक्ट्स हैं, जिनमें फ्लैट बनाए जा सकते हैं. प्राधिकरण का आम्रपाली पर 4500 करोड़ रुपये से ज्यादा बकाया है. इसके तहत इस सोसाइटी की जमीन पर 668 फ्लैट बनवाने की तैयारी है. इसका नक्शा पास कराने के लिए नोएडा विकास प्राधिकरण भेज दिया गया है.
भारत के टॉप सात शहरों के बाहरी इलाकों की आवासीय कीमतों में जबरदस्त उछाल देखा गया है. पिछले 6 साल में ये बढ़ोतरी किसी भी प्राइम लोकेशन के मुकाबले अच्छी खासी कही जा सकती है.
ANAROCK की नई रिसर्च के अनुसार, पिछले 6 सालों में कुछ बाहरी इलाकों में घरों की कीमतें प्रमुख इलाकों से ज्यादा तेजी से बढ़ी हैं. उदाहरण के लिए, बेंगलुरु के बाहरी क्षेत्र गुंजूर में आवासीय कीमतें औसतन 69% बढ़ीं. 2019 में यह कीमत 5,030 रुपये प्रति वर्ग फुट थी, जो 2024 की तीसरी तिमाही में बढ़कर 8,500 रुपये प्रति वर्ग फुट हो गई. वहीं, प्रमुख क्षेत्र थानिसांद्रा मेन रोड पर इसी दौरान औसतन 62% की वृद्धि हुई, जहां कीमतें 5,175 रुपये प्रति वर्ग फुट से बढ़कर 8,400 रुपये प्रति वर्ग फुट हो गईं.
ANAROCK ग्रुप के वाइस चेयरमैन संतोश कुमार ने कहा, "एनसीआर के बाहरी इलाके नोएडा एक्सप्रेसवे पर पिछले 6 सालों में आवासीय कीमतें 66% बढ़ीं. 2019 में यह कीमत 5,075 रुपये प्रति वर्ग फुट थी, जो 2024 की तीसरी तिमाही में बढ़कर 8,400 रुपये प्रति वर्ग फुट हो गई. वहीं, प्रमुख क्षेत्र राज नगर एक्सटेंशन में इसी दौरान 55% की वृद्धि हुई, जहां कीमतें 3,260 रुपये प्रति वर्ग फुट से बढ़कर 5,050 रुपये प्रति वर्ग फुट हो गईं. हालांकि, यह एक समान प्रवृत्ति नहीं है. उदाहरण के लिए, दिल्ली के प्रमुख क्षेत्र द्वारका एक्सप्रेसवे पर आवासीय कीमतों में 93% की बड़ी बढ़ोतरी हुई. 2019 में यह कीमत 5,359 रुपये प्रति वर्ग फुट थी, जो 2024 की तीसरी तिमाही में बढ़कर 10,350 रुपये प्रति वर्ग फुट हो गई."
संतोश कुमार ने इसके साथ ही कहा, "पिछले कुछ सालों में इन बाहरी इलाकों में कई लग्जरी प्रोजेक्ट लॉन्च किए गए हैं, जिससे आवासीय कीमतें बढ़ी हैं. बाहरी इलाकों में पर्याप्त जमीन उपलब्ध होने के कारण डेवलपर्स ने वहां बड़े और आधुनिक प्रोजेक्ट लॉन्च किए हैं. बेहतर कनेक्टिविटी ने खरीदारों को इन बड़े सोसाइटियों में, जहां खुली हरी जगहें हैं, रहने के लिए प्रेरित किया है. यह प्रवृत्ति COVID-19 महामारी के बाद और ज्यादा आम हो गई है."
कुल मिलाकर, पिछले 6 सालों में शहरों में आवासीय कीमतें बढ़ी हैं. बड़े शहरों के बाहरी इलाकों ने प्रमुख क्षेत्रों से ज्यादा बढ़त दर्ज की, क्योंकि उनकी कीमतों में बढ़ने की अधिक गुंजाइश थी, जबकि प्रमुख इलाकों में पहले ही अच्छी बढ़त हो चुकी थी. साथ ही, कई बाहरी इलाकों में बेहतर कनेक्टिविटी और विकास ने वहां रहने की सुविधाओं को बढ़ाया है.
शहर के हिसाब से रुझान: बाहरी इलाके vs प्राइम लोकेशन
• MMR (मुंबई मेट्रोपॉलिटन रीजन): बाहरी क्षेत्र पनवेल में पिछले 6 सालों में कीमतों में 58% की वृद्धि हुई. 2019 में कीमत 5,520 रुपये प्रति वर्ग फुट थी, जो 2024 की तीसरी तिमाही में 8,700 रुपये प्रति वर्ग फुट हो गई. वहीं, प्रमुख क्षेत्र वर्ली में इसी दौरान कीमतें 37% बढ़ीं, जो 38,560 रुपये प्रति वर्ग फुट से बढ़कर 53,000 रुपये प्रति वर्ग फुट हो गईं. लोअर परेल में कीमतें 49% बढ़ीं, जबकि विरार जैसे बाहरी इलाके में 58% की बढ़त हुई.
• पुणे: प्रमुख क्षेत्र वाकड में कीमतें 27% बढ़ीं. 2019 में यह 6,530 रुपये प्रति वर्ग फुट थी, जो 2024 में 8,300 रुपये प्रति वर्ग फुट हो गई. वहीं, बाहरी क्षेत्र वाघोली में 37% वृद्धि दर्ज की गई, कीमतें 4,820 रुपये प्रति वर्ग फुट से बढ़कर 6,600 रुपये प्रति वर्ग फुट हो गईं.
• कोलकाता: प्रमुख क्षेत्र जोका में 51% की बढ़त हुई, 2019 में कीमत 3,415 रुपये प्रति वर्ग फुट थी, जो 2024 में 5,150 रुपये प्रति वर्ग फुट हो गई. बाहरी क्षेत्रों मध्यमग्राम और बेहाला में कीमतें क्रमशः 43% और 35% बढ़ीं. प्रमुख क्षेत्र राजारहाट में केवल 29% की वृद्धि हुई.
• चेन्नई: बाहरी क्षेत्र नवालूर में कीमतें 54% बढ़ीं, 2019 में यह 3,955 रुपये प्रति वर्ग फुट थी, जो 2024 में 6,080 रुपये प्रति वर्ग फुट हो गई. प्रमुख क्षेत्रों अन्ना नगर और टी नगर में कीमतें क्रमशः 35% और 31% बढ़ीं.
• बेंगलुरु: बाहरी क्षेत्र देवनहल्ली में कीमतें 49% बढ़ीं, 2019 में यह 4,982 रुपये प्रति वर्ग फुट थी, जो 2024 में 7,400 रुपये प्रति वर्ग फुट हो गई. प्रमुख क्षेत्र इलेक्ट्रॉनिक सिटी में केवल 38% की बढ़त हुई, जो 4,658 रुपये प्रति वर्ग फुट से बढ़कर 6,450 रुपये प्रति वर्ग फुट हो गई.
• हैदराबाद: प्रमुख क्षेत्र गाचीबोवली और कोंडापुर में कीमतें 86% बढ़ीं, गाचीबोवली में 2019 की कीमत 4,775 रुपये प्रति वर्ग फुट थी, जो 2024 में 8,900 रुपये प्रति वर्ग फुट हो गई. इसी तरह, कोंडापुर में कीमतें 4,620 रुपये प्रति वर्ग फुट से बढ़कर 8,600 रुपये प्रति वर्ग फुट हो गईं. इन क्षेत्रों में वृद्धि अधिक रही क्योंकि इनकी शुरुआती कीमतें दूसरे शहरों के प्रमुख क्षेत्रों से कम थीं.
• एनसीआर (दिल्ली-एनसीआर): बाहरी क्षेत्र सोहना में कीमतें 43% बढ़ीं, जो 4,120 रुपये प्रति वर्ग फुट से बढ़कर 5,900 रुपये प्रति वर्ग फुट हो गईं. वहीं, प्रमुख क्षेत्र न्यू गुरुग्राम में कीमतें 59% बढ़ीं.
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मॉनिटरी कमेटी की बैठक में दो महत्वपूर्ण फैसले सुनाए हैं. आरबीआई ने रेपो रेट को स्थिर रखने के साथ ही सीआआर रेशियो में कटौती की है.
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मॉनिटरी कमेटी की बैठक शुक्रवार यानी 6 दिसंबर, 2024 को समाप्त हो गई है. इसके बाद आरबीआई गर्वनर ने दो ऐसे महत्वपूर्ण फैसले सुनाए जिनसे रियल एस्टेट मार्केट और ग्राहकों ने राहत की सांस ली है. दोनों फैसलों से एक बार फिर साबित हो गया कि मार्केट में बीते दो साल से जारी तेजी जारी रहेगी. लोग अपना सपनों का आशियाना बनाने की ओर अग्रसर हैं और सरकार उनका समर्थन कर रही है. तो आइए जानते हैं आरबीआई के इन दोनों फैसलों के बारे में रियल एस्टेट डेवलपर्स क्या सोचते हैं?
आरबीआई ने लिए ये दो निर्णय
आरबीआई गवर्नर शशिकांत दास ने घोषणा की कि करीब दो साल से जारी रेपो दरें इस बार भी 6.5 प्रतिशत पर स्थिर रहेंगी. ऐसे में यह निर्णय रियल एस्टेट की रफ्तार को उसी स्तर पर बनाने में लाभकारी साबित होगा. रियल एस्टेट सेक्टर ने इसकी प्रशंसा की है. वहीं, कैपिटल रिक्वायरमेंट्स रेगुलाइजेशन (CRR) रेशियो में 50 आधार प्वाइंट्स की कटौती की घोषणा भी आरबीआई गवर्नर ने की. इस रेशियो से अभिप्राय ऐसी राशि से ही जिसे बैंक रिजर्व बैंक के पास रखते हैं. ऐसे में अगर इस रेशियो में कटौती का निर्णय लिया गया है तो निश्चित तौर पर मार्केट में कैश फ्लो या लिक्विडिटी बढ़ेगी. इससे लोगों की क्रय शक्ति को बढ़ाने का प्रयास किया गया है. ऐसे में इसका फायदा अन्य सेक्टरों के साथ रियल एस्टेट को भी मिलना तय माना जा रहा है.
रियल एस्टेट ने दी ये प्रतिक्रिया
1. गौड़ ग्रुप के सीएमडी और क्रेडाई नेशनल के चेयरमैन मनोज गौड़ ने कहा कि हम एक बार फिर आरबीआई के रेपो रेट को स्थिर रखने के फैसले की सराहना करते हैं. अक्टूबर में खुदरा महंगाई दर 6.21 प्रतिशत तक बढ़ गई, जो एक साल में पहली बार आरबीआई के लक्ष्य सीमा से ऊपर गई. ऐसे में एमपीसी का रेपो रेट पर स्थिरता बनाए रखने का फैसला स्वागत योग्य है. यह कदम यह दिखाता है कि केंद्रीय बैंक विकास को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है, जो अंततः रियल एस्टेट सेक्टर के लिए भी फायदेमंद साबित होगा. रियल एस्टेट सेक्टर पूरे देश में अच्छा प्रदर्शन कर रहा है और यह फैसला इस क्षेत्र में तेजी बनाए रखने में मदद करेगा.
2. काउंटी ग्रुप के निदेशक अमित मोदी ने कहा है कि आरबीआई द्वारा रेपो रेट को स्थिर रखने के फैसले से रियल एस्टेट सेक्टर अपनी नई उंचाइयों तक पहुंचने में मदद मिलेगी. कुछ मुद्रास्फीति संबंधी चिंताओं के बावजूद यह कदम भारत की मजबूत वृद्धि और पुनर्जीवित अर्थव्यवस्था को दर्शाता है. इसके अलावा आरबीआई द्वारा घोषित 50 बेसिस पॉइंट की सीआरआर कटौती से बैंकों के लिए 1.16 लाख करोड़ रुपये की तरलता मुक्त होगी और धन आपूर्ति बढ़ेगी.
3. मिग्सन ग्रुप के एमडी यश मिगलानी ने कहा है कि रियल्टी सेक्टर का डेवलपमेंट पॉजिटिव बना हुआ है, कंजम्पशन बढ़ रही है, और मेट्रो सिटीज के अलावा टीयर 2 और 3 सिटीज में भी अधिक से अधिक लोग मिड , प्रीमियम और लक्जरी रेजिडेंशियल सेगमेंट में इन्वेस्ट कर रहे हैं. डेवलपर्स ने अपनी ओर से नए लॉन्च की स्पीड बढ़ा दी है, जैसा पिछले कुछ क्वाटर्रस की रिपोर्ट से पता चलता है. भारत दृढ़ता से प्रगति की राह पर है, और आरबीआई द्वारा रेपो रेट को अनचेंज्ड रखकर गति को परेशान न करने का निर्णय इस सेक्टर को मोटीवेट करेगा क्योंकि इससे बोरोवर को कुछ राहत भी मिलेगी क्योंकि उनकी ईएमआई नहीं बढ़ेगी.
4. स्पेक्ट्रम मेट्रो के वाइस प्रेजीडेंट सेल्स एंड मार्केटिंग अजेंद्र सिंह ने बताया कि आरबीआई ने लगातार 11वीं बार रेपो रेट को 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा है. केंद्रीय एजेंसी ने मुद्रास्फीति को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया है. हालांकि, हमारी राय में एजेंसी 25 आधार अंकों तक दर को संशोधित करने पर विचार कर सकती थी, क्योंकि इससे अर्थव्यवस्था को और मदद मिलती. भारतीय अर्थव्यवस्था वित्त वर्ष 25 में 7 प्रतिशत की दर से बढ़ने की उम्मीद है, जो इसे ऐसे समय में सबसे तेजी से बढ़ते बाजारों में से एक बनाती है, जहां वैश्विक स्तर पर विकास ज्यादातर सुस्त है. सीआरआर में कमी होने से मार्केट में लिक्विडिटी आएगी. इससे बाजार में तेजी आना तय है.
5. अंसल हाउसिंग के निदेशक कुशाग्र अंसल ने कहा कि आरबीआई द्वारा रेपो रेट को 6.5 प्रतिशत पर स्थिर रखने का फैसला रियल एस्टेट सेक्टर के लिए सराहनीय कदम है. मजबूत जीडीपी ग्रोथ और नियंत्रित महंगाई के साथ भारतीय अर्थव्यवस्था का प्रदर्शन शानदार बना हुआ है, जिससे रियल एस्टेट सेक्टर को निरंतर सफलता की ओर बढ़ने का अवसर मिलेगा.
रिसर्च फर्म वेस्टियन की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक भारत के कुल ए ग्रेड ऑफिस स्पेस का 60 फीसदी हिस्सा REITs के योग्य है.
वेस्टियन (Vestian) की हालिया रिपोर्ट 'REITs: Reshaping India’s Commercial Space' के अनुसार, भारत के कुल ग्रेड-ए ऑफिस स्पेस का 60% हिस्सा REIT के लिए योग्य है. यह दिखाता है कि REITs भारत के कमर्शियल रियल एस्टेट निवेश को बदलने की बड़ी क्षमता रखते हैं. हालांकि, भारत में REIT बाजार अभी शुरुआती स्तर पर है और इसमें केवल चार लिस्टेड REITs हैं, जो कुल 125 मिलियन वर्ग फुट क्षेत्र को कवर करते हैं, जिसमें रिटेल और ऑफिस मार्केट शामिल हैं.
धीरे-धीरे, REITs विदेशी और घरेलू निवेशकों के बीच लोकप्रिय हो रहे हैं क्योंकि ये डिविडेंड के रूप में आकर्षक रिटर्न देते हैं. शुरुआत से अब तक, REITs ने 16,800 करोड़ रुपये डिविडेंड में बांटे हैं, जो पूरे NIFTY रियल्टी इंडेक्स से अधिक है. हालांकि REITs ने NIFTY रियल्टी इंडेक्स से बेहतर रिटर्न दिया है, इनकी मार्केट कैपिटलाइजेशन अभी भी कम है. भारत में REITs का मार्केट कैप, कुल लिस्टेड रियल एस्टेट सेक्टर का केवल 13.7% है, जो कि विकसित बाजारों जैसे अमेरिका (98.9%), ऑस्ट्रेलिया (94.8%), और यूके (92.5%) से बहुत कम है.
इसके अलावा, एम्बेसी REIT, माइंडस्पेस REIT, ब्रूक्सफील्ड इंडिया REIT, और नेक्सस सिलेक्ट ट्रस्ट REIT ने अपनी शुरुआत के बाद 24%, 18%, 6%, और 39% का रिटर्न दिया है. दूसरी ओर, BSE रियल्टी इंडेक्स ने REITs के मुकाबले अधिक रिटर्न (पिछले 66 महीनों में 317%) दिया है. हालांकि, भारत में REITs बाजार को बढ़ावा देने के लिए अनुकूल नियामक माहौल, बेहतर निवेश रिटर्न और तेजी से बढ़ता ऑफिस मार्केट एक मजबूत प्रेरणा देने वाले कारक हो सकते हैं.
शहरों के अनुसार आंकलन
भारत के शीर्ष सात शहरों में, बेंगलुरु सबसे आगे है और कुल REIT-योग्य स्टॉक का 33% हिस्सा रखता है. इसके बाद हैदराबाद 21% और एनसीआर 15% हिस्से के साथ हैं. मुंबई और पुणे मिलकर भारत के REIT-योग्य स्टॉक का 21% हिस्सा रखते हैं. चेन्नई 10% और कोलकाता केवल 1% योगदान देता है.
हैदराबाद के पास सबसे ज्यादा REIT-योग्य स्टॉक है, जो शहर के कुल ऑफिस इन्वेंटरी का लगभग 74% है. वहीं, कोलकाता का हिस्सा सबसे कम है, केवल 24% मुख्य रूप से, ये REIT-योग्य संपत्तियां इन शहरों के व्यावसायिक केंद्रों में केंद्रित हैं, क्योंकि यहां ब्रांडेड ग्रेड-A ऑफिस बिल्डिंग्स मौजूद हैं.
सस्टेनेबल REIT-योग्य स्टॉक
भारत में कुल REIT-योग्य स्टॉक का लगभग 67% ग्रीन-सर्टिफाइड है, जो यह दिखाता है कि Grade-A डेवलपर्स सस्टेनेबिलिटी पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं। हमारी रिपोर्ट के मुताबिक, ग्रीन-सर्टिफाइड बिल्डिंग्स पर गैर-ग्रीन बिल्डिंग्स की तुलना में 12-14% ज्यादा किराया मिलता है। इससे ये निवेश के लिए आकर्षक विकल्प बनती हैं क्योंकि ज्यादा किराए से निवेशकों को बेहतर डिविडेंड मिल सकता है।
REITs का भविष्य
भारत में REITs का भविष्य उज्ज्वल दिख रहा है, क्योंकि म्यूचुअल फंड और कंपनियां धीरे-धीरे REITs में अपना निवेश बढ़ा रही हैं. कई लोग REITs के शेयर बाजार प्रदर्शन के आधार पर विशेष योजनाएं लॉन्च करने की योजना बना रहे हैं. इन कदमों से REITs के लिए फंडिंग हासिल करना आसान और सस्ता हो सकता है. इसके अलावा, REITs निवेशकों के पोर्टफोलियो को विविध बनाने और नियमित आय देने का एक अहम साधन बन सकती हैं.
संक्षेप में भारत में REITs अभी विकास के शुरुआती दौर में हैं, लेकिन अनुकूल नियमों और सरकार की नीतियों के कारण धीरे-धीरे बढ़ रही हैं. जैसे-जैसे नियम बेहतर होंगे, भारत में और ज्यादा REIT लिस्टिंग होंगी और ये नए रियल एस्टेट सेगमेंट में भी विस्तार करेंगी. साथ ही, SM REIT का लॉन्च एक सही दिशा में कदम है, जो छोटे मूल्य की संपत्तियों में निवेश को बढ़ावा देगा और रियल एस्टेट सेक्टर में नकदी प्रवाह को सुधारने में मदद करेगा.
रियल एस्टेट में दिल्ली एनसीआर का मार्केट पहले से ही अच्छा कर रहा है, ऐसे में त्योहारी सीजन में रियल एस्टेट डेवलपर्स को प्रॉपर्टी की डिमांड में बढ़ोतरी होने की उम्मीद है.
भारतीय लोग नवरात्र और दिवाली पर सोने के जेवर से लेकर घर और गाड़ी लेना शुभ मानते हैं. ऐसे में इन दिनों सुनार से लेकर रियल एस्टेट क्षेत्र में भी बहार आ जाती है. इसे देखते हुए अब रियल एस्टेट डेवलपर्स को हर साल की तरह इस बार भी प्रॉपर्टी की डिमांड में बढ़ोतरी होने की उम्मीदें हैं. रियल एस्टेट में दिल्ली एनसीआर का मार्केट पहले से ही अच्छा कर रहा है, ऐसे में त्योहारी सीजन में डेवलपर्स भी नई हाउसिंग योजनाएं, आकर्षक ऑफर, कीतम में छूट आदि पेश कर सकते हैं, जिससे लोगों की प्रॉपर्टी खरीदने में दिलचस्पी और अधिक बढ़ जाती है.
घरों में कीमतों में 29 प्रतिशत की वृद्धि
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार पिछले कुछ सालों में प्रॉपर्टी की कीमतों में भी भारी उछाल देखा गया है, खासकर कोविड-19 के बाद से लोग अब बड़े एवं बेहतर घरों में निवेश करने की इच्छा रखते हैं. हाल ही में रियल एस्टेट कंसल्टेंट एनारॉक की एक रिपोर्ट के अनुसार भारी डिमांड, हाई इनपुट कोस्ट और लक्जरी घरों की सप्लाई में वृद्धि के कारण जुलाई-सितंबर तिमाही में दिल्ली-एनसीआर में रेजिडेंशियल प्रॉपर्टी की औसत कीमतें 29 प्रतिशत बढ़कर 7,200 रुपये प्रति वर्ग फीट हो गईं, जो एक साल पहले की अवधि में 5,570 रुपये प्रति वर्ग फीट थीं. हालांकि हैदराबाद में कीमतों में सबसे अधिक 32 प्रतिशत की वृद्धि हुई है और यह 5,400 रुपये प्रति वर्ग फीट से बढ़कर 7,150 रुपये प्रति वर्ग फीट हो गई है. जोकि फेस्टिव सीजन से पहले रियल एस्टेट मार्केट के लिए अच्छे संकेत है और यह उम्मीद जागा रहा है. इस बार फेस्टिव सीजन में घरों की जबर्दस्त बिक्री होने वाली है.
रियल एस्टेट डेवलपर्स ने कही ये बात
हीरो रियल्टी के सीईओ मधुर गुप्ता ने कहा है कि जैसे-जैसे त्योहार नजदीक आ रहे हैं, गुड़गांव के रियल एस्टेट मार्केट में उत्साह बढ़ता जा रहा है. पिछले कुछ वर्षों में, द्वारका एक्सप्रेसवे, डीएमआईसी और मेट्रो विस्तार जैसे बुनियादी ढांचे के विकास ने गुड़गांव के विकास का मार्ग प्रशस्त किया है, जिससे आने वाले महीनों में और भी अधिक गति के लिए मंच तैयार हो गया है. खरीदार तेजी से ऐसी प्रॉपर्टी की ओर आकर्षित हो रहे हैं जो आधुनिक सुविधाओं के साथ गुणवत्ता का मिश्रण करती हैं, जो जीवंत समुदायों को बढ़ावा देती हैं.
व्हाइटलैंड कॉरपोरेशन के मैनेजिंग डायरेक्टर पंकज पाल ने कहा है कि मिलेनियल्स गुड़गांव के लक्जरी रेजीडेंशियल मार्केट में मांग की एक नई लहर चला रहे हैं, जो पिछली पीढ़ियों की तुलना में जीवन में बहुत पहले ही उच्च-स्तरीय प्रॉपर्टी खरीद रहे हैं. यह बदलाव बढ़ती डिस्पोजेबल आय, फ्लेग्जिबल फायनेंसिंग तक बढ़ती पहुँच और आधुनिक, सुविधा संपन्न रहने की जगहों के लिए प्राथमिकता जैसे कारकों से प्रेरित है, जो जीवनशैली और निवेश दोनों मूल्य प्रदान करते हैं.
वहीं, रॉयल ग्रीन रियल्टी के मैनेजिंग डायरेक्टर यशंक वासन ने कहा है कि नवरात्रि जैसे त्यौहारों को महत्वपूर्ण खरीदारी, विशेष रूप से रियल एस्टेट के लिए शुभ समय माना जाता है, क्योंकि घर खरीदने वाले इस अवधि को सौभाग्य और समृद्धि से जोड़ते हैं. त्यौहारों के दौरान, डेवलपर्स अक्सर विशेष ऑफर, छूट और फायनेंसिंग स्कीम पेश करते हैं, जिससे घर खरीदने वालों के लिए प्रॉपर्टी में निवेश करने का यह एक आकर्षक समय बन जाता है.
गुरुग्राम के इन इलाकों में प्रॉपर्टी की डिमांड
एनसीआर में प्राइम लोकेशन एवं बेहतरीन इनफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट के साथ गुरुग्राम द्वारका एक्सप्रेसवे, ‘सदर्न पेरिफेरल रोड (एसपीआर)’ न्यू गुरुग्राम, गोल्फ कोर्स रोड, गोल्फ कोर्स एक्सटेंशन रोड, सोहना रोड प्रॉपर्टी के हॉटस्पॉट बने हुए हैं. घर खरीदार भी इन इलाकों में अपनी रुचि दिखा रहे हैं. बता दें, एक्सप्रेसवे होने के साथ-साथ गुरुग्राम में भारतीय रेलवे, रेपिड मेटो, दिल्ली मेट्रो की सुविधा है और आने वाले समय में लोगों को रेपिड रेल की सुविधा भी सुविधा मिलने जा रही है. डेवलपर्स इस शुभ एवं बेहतर अवसर को भुनाने के लिए खास ऑफर्स और विभिन्न योजनाएं पेश कर रहे हैं. गुरुग्राम सहित फरीदाबाद, सोनीपत, नोएडा और दिल्ली में बढ़ते इंफ्रास्ट्रक्चर, प्राइम लोकेशन, और बेहतरीन प्रोजेक्ट्स इस मार्केट को नई ऊंचाइयों पर पहुंचा रहे हैं, जिससे निवेशकों और घर खरीदारों के लिए बेहतरीन अवसर पैदा हो रहे हैं.
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देश की राजधानी दिल्ली में रेलवे अपनी एक जमीन को लीज पर बेचने जा रही है. इस जमीन का उपयोग रेसिडेंशियल उद्देश्य से किया जाएगा.
नौकरी की तलाश में दूसरे राज्यों से दिल्ली आकर रहने वाला हर व्यक्ति चाहता है कि देश की राजधानी में उसका भी एक अपना घर हो. अगर आप भी ऐसा ही सोचते हैं, तो ये खबर आपके काम की है. दरअसल, रेलवे विभाग दिल्ली के पंजाबी बाग (पश्चिम) स्थित शकूरबस्ती रेलवे स्टेशन के पास खाली पड़ी अपनी जमीन बेचने की योजना बना रही है. इस जमीन का उपयोग रेसिडेंसियल उद्देश्य के लिए किया जाएगा. तो आइए जानते हैं इसे लेकर रेलवे की पूरी योजना क्या है?
99 साल की लीज पर दी जाएगी जमीन
देश की राजधानी दिल्ली में हर कोई अपना मकान बनाना या खरीदना चाहता है, लेकिन अब यहां न्यू रेसिडेंसयल प्रोजेक्ट नहीं आ रहे हैं. इसकी वजह यह है कि दिल्ली में खाली जमीन बहुत कम बची है, लेकिन अब दिल्ली में रेलवे की जमीन पर मकान बनाए जाएंगे. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार रेलवे की यह जमीन उत्तर रेलवे में दिल्ली डिवीजन के पंजाबी बाग (पश्चिम) में शकूरबस्ती रेलवे स्टेशन के पास है. इस इलाके में 46 हजार वर्गमीटर से भी ज्यादा जमीन रेलवे 99 साल की लीज पर बेचने वाली है. इस जमीन का उपयोग रेसिडेंसियल उद्देश्य के लिए होगा. इस जमीन का अनुमानित क्षेत्रफल 46,313.39 वर्गमीटर (4.63 हैक्टेयर) है. इसी जमीन के लिए रेल मंत्रालय के संगठन रेलवे लैंड डेवलपमेंट अथॉरिटी (RLDA) ने बोली मंगाई है.
इतनी है जमीन की कीमत
आरएलडीए से मिली जानकारी के अनुसार इस जमीन का रिजर्व प्राइस 1,100 करोड़ रुपये रखा गया है. मतलब जमीन लेने वालों को कम से कम इतनी की तो बोली लगानी ही होगी. इसके ऊपर तो बोली लगाने वालों पर निर्भर करेगा कि कितना दाम लगाया जाता है. इस जमीन पर अधिकतम स्वीकार्य फ्लोर एरिया रेशियो (एफएआर) 200 है. बता दें, रेलवे की इस जमीन को लेने के इच्छुक व्यक्ति या फर्म को इलेक्ट्रॉनिक तरीके से बिडिंग करनी होगी. रेलवे ने ई-बिड करने की अंतिम तिथि 22.11.2024 तय की है. उस दिन दोपहर को 3 बजे तक बोली लगाई जा सकेगी.
मेट्रो से अच्छी कनेक्टिविटी
रेलवे की यह महीन एनएच 9 यानी रोहतक रोड से लगती है. इस जमीन के दक्षिण में ओल्ड रोहतक रोड है. जमीन के उत्तर में शकूरबस्ती रेलवे स्टेशन है और पूर्व में रेलवे की ही खाली जमीन है. जमीन की पश्चिम दिशा में भी रेलवे की ही खाली जमीन है, जो पार्किंग क्षेत्र से घिरी हुई है. यह साइट ओल्ड रोहतक रोड (NH 9) से बेहतरीन कनेक्टिविटी प्रदान करती है. इस प्रमुख राजमार्ग के साथ जमीन का शानदार फ्रंट मिलेगा. इसके अतिरिक्त, यह जमीन दिल्ली के रिंग रोड या महात्मा गांधी रोड के बिल्कुल पास है. इस साइट के आसपास कई मेट्रो स्टेशन हैं. जैसे मादीपुर मेट्रो स्टेशन से जमीन की दूरी महज 350 मीटर है और शिवाजी पार्क मेट्रो स्टेशन से साइट की दूरी 800 मीटर है.
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Womeki Group ने इस प्रोजेक्ट के लिए प्रतिष्ठित कंस्ट्रक्शन कंपनी टेरा होल्डिंग के साथ साझेदारी की है. 300 प्लॉट्स वाला यह प्रीमियम प्रोजेक्ट, महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग में मनोरम कलावी समुद्र तट पर स्थित है
लग्जरी रियल एस्टेट डेवलपर वोमेकी ग्रुप (Womeki Group) ने अपने नवीनतम प्रोजेक्ट ‘आई ऑफ गोवा’ के लॉन्च की घोषणा की है. ये महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग में कलावी बीच के प्राचीन तटों पर स्थित 350 करोड़ की एक आवासीय विकास परियोजना है. इस प्रोजेक्ट के लिए वोमेकी ग्रुप ने टेरा होल्डिंग के साथ भी साझेदारी की है. यह 78 एकड़ का विशेष विकास भारत के कोंकण तट के सबसे सुरम्य क्षेत्रों में से एक में लक्जरी जीवन और निवेश के अवसरों का एक अनूठा मिश्रण पेश करेगा. तो चलिए आपको इस प्रोजेक्ट में और क्या खास है.
50 और 60 लाख रुपये होगी प्लॉट की कीमत
इस 300 प्लॉट्स के प्रोजेक्ट में डेवपल हो रहे प्रत्येक प्लॉट की कीमत 50 और 60 लाख रुपये तय की गई है. आई-ऑफ-गोवा का निर्माण दो चरणों में किया जाएगा, जिसमें केवल 35 प्रतिशत भूमि विकसित की जाएगी, बाकी विशाल स्थल को खुले हरे स्थानों के लिए अलग रखा जाएगा. ये हरे-भरे क्षेत्र निवासियों को विश्राम के लिए शांत वातावरण और प्रकृति के साथ सामंजस्यपूर्ण संबंध प्रदान करेंगे. प्रीमियम हाउसिंग प्रोजेक्ट में 250 वर्ग मीटर के विशाल रहने वाले क्षेत्रों के साथ शानदार विला अपार्टमेंट और 250 से 300 वर्ग मीटर तक के बड़े आवासीय प्लॉट आकार होंगे, जो लग्जरी और निवेश पर उच्च रिटर्न (ROI) चाहने वाले खरीदारों की मांगों को पूरा करेंगे. प्लॉट की कीमत 250 वर्ग मीटर के लिए 50 लाख रुपये से शुरू होगी और 300 वर्ग मीटर के लिए 60 लाख रुपये तक जाती है.
वास्तु और हरियाली का होगा मिश्रण
आई-ऑफ-गोवा को एक स्टेट ऑफ दी आर्ट के रूप में डिज़ाइन किया गया है, जो समकालीन वास्तुशिल्प डिजाइन को पर्यावरणीय प्रबंधन के साथ मिश्रित करता है. पर्यावरण-अनुकूल प्रथाओं पर जोर देते हुए, इसमें हरित निर्माण सामग्री, ऊर्जा-कुशल प्रणाली और टिकाऊ भूनिर्माण को शामिल किया जाएगा.
हरियाली के बीच रहने की चाहत रखने वालों के लिए बेहतर विकल्प
इस अवसर पर वोमेकी ग्रुप के फाउंडर एंड मैनेजिंग डायरेक्टर गौरव के सिंह ने कहा कि आई ऑफ गोवा आकांक्षी घर खरीदारों को निवेश या व्यक्तिगत उपयोग के लिए लग्जरी और सुपर-लक्जरी रहने की जगह की प्रदान करेगा. उन्होंने कहा कि सिंधुदुर्ग, एक हरा-भरा स्थान, विश्व स्तर पर प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है, जो लंबी पैदल यात्रा, पर्वतारोहण, स्कूबा डाइविंग, रॉक क्लाइंबिंग और वैली क्रॉसिंग जैसे साहसिक खेलों के लिए जाना जाता है. गोवा से इसकी निकटता इसे निवेशकों के लिए एक उत्कृष्ट विकल्प बनाती है और घर खरीदने वालों को निर्बाध कनेक्टिविटी, समुद्र तट, राजसी पहाड़ियों, किलों और अद्वितीय वनस्पतियों और जीवों के लुभावने दृश्य प्रदान करता है. इसके अलावा सरकार की आगामी परियोजनाएं संपत्ति के मूल्यों को बढ़ावा देते हुए इस क्षेत्र को लक्जरी जीवन के लिए एक संपन्न केंद्र में बदल देंगी.
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रियल एस्टेट सेक्टर में मंदी के कोई संकेत नहीं हैं. एक रिपोर्ट में बताया गया है कि इस सेक्टर में डिमांड लगातार बनी हुई है.
रियल एस्टेट (Real Estate) सेक्टर के लिए आने वाले दिन और भी अच्छे साबित होने वाले हैं. इस सेक्टर में मांग लगातार बनी हुई है और उसमें तेजी आने की संभावना है. रियल्टी क्षेत्र की शीर्ष संस्था क्रेडाई और रियल एस्टेट सलाहकार कोलियर्स इंडिया का कहना है कि भारत के रियल एस्टेट बाजार का आकार 2047 तक कई गुना बढ़कर 10 लाख करोड़ डॉलर तक पहुंच सकता है.
कमी की केवल यही वजह
बढ़ती आर्थिक वृद्धि और तेजी से होते शहरीकरण के चलते रियल एस्टेट गुलजार बना रहेगा. मौजूदा समय में भी आवास की मांग मजबूत बनी हुई है और इसे पूरा करने के लिए अधिक आवासीय परियोजनाएं लॉन्च करने की जरूरत है. क्रेडाई और कोलियर्स इंडिया ने एक संयुक्त रिपोर्ट इंडियन रियल एस्टेट : द क्वांटम लीप में कहा है कि किसी तिमाही में मकानों की बिक्री में कमी की वजह पर्याप्त पेशकश का अभाव हो सकती है. कोरोना महामारी के बाद बढ़ी उपभोक्ता मांग अभी बरकरार है.
तेजी से बिक रहे प्रोजेक्ट
चालू तिमाही में बिक्री में अनुमानित गिरावट पर क्रेडाई के राष्ट्रीय चेयरमैन मनोज गौड़ ने कहा कि सितंबर तिमाही में नई पेशकश कम रही हैं. उन्होंने आगे कहा कि अच्छे डेवलपर की ओर से सही स्थान और आकर्षक कीमतों पर पेश की जा रही आवासीय संपत्तियां तेजी से बिक रही हैं. बता दें कि एक अनुमान के मुताबिक, देश में जुलाई-सितंबर में नौ प्रमुख शहरों में मकानों की बिक्री 18% घटकर 1,04,393 यूनिट रह गई.
छोटे शहरों में होगा विकास
क्रेडाई और कोलियर्स इंडिया की रिपोर्ट में कहा गया है कि रियल एस्टेट वृद्धि केवल बड़े शहरों तक ही सीमित नहीं रहेगी. यह कई छोटे शहरों तक भी पहुंचेगी. 2047 तक देश की 50 प्रतिशत आबादी शहरों में निवास करेगी. इसके चलते आवासीय, कार्यालय, डेटा सेंटर और रिटेल स्पेस में अभूतपूर्व मांग पैदा होगी. रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि 2047 तक भारत की GDP में रियल एस्टेट क्षेत्र की हिस्सेदारी बढ़कर 14-20% पहुंचने की उम्मीद है.
इन छह फैक्टर्स की भूमिका
रियल एस्टेट में दीर्घकालिक वृद्धि में छह प्रमुख कारकों की भूमिका होगी. ये हैं- तेजी से होता शहरीकरण, बुनियादी ढांचे का विकास, डिजिटलीकरण, जनसांख्यिकीय बदलाव, स्थिरता और निवेश विविधीकरण. क्रेडाई के राष्ट्रीय अध्यक्ष बोमन ईरानी ने कहा कि रियल एस्टेट क्षेत्र में जीएसटी इनपुट क्रेडिट के प्रावधान की जरूरत है. रियल्टी क्षेत्र में कीमतें तेजी से बढ़ी हैं. ऐसे में किफायती आवास की परिभाषा बदली जानी चाहिए. 2017 में इसकी सीमा 45 लाख रुपए तय की गई थी.
गुरुग्राम का द्वारका एक्सप्रेसवे और सोहना रोड एनसीआर में घर खरीदारों के लिए टॉप रियल्टी हॉट-स्पॉट, जहां घर खरीदारों की रुचि सबसे अधिक दिखाई दे रही है.
आईटी हब और मिलेनियम सिटी के नाम से मशहूर गुरुग्राम रियल एस्टेट (Real Estate) क्षेत्र में निवेश के लिए एक बेहतरीन जगह है. दिल्ली-एनसीआर में गुरुग्राम और नोएडा तेजी के साथ उभरे और रियल एस्टेट मार्केट को दिशा दी है. इन क्षेत्रों में लग्जरी प्रॉपर्टी की मांग में जबरदस्त बढ़ोत्तरी देखी गई है. तो आइए इसका कारण जानते हैं?
इस साल पहली छमाही में करीब 32,200 हाउसिंग यूनिट्स की बिक्री
प्रॉपर्टी कंसल्टेंट एनारॉक (ANAROCK) की एक रिपोर्ट के अनुसार साल 2024 की पहली छमाही में, दिल्ली-एनसीआर में करीब 32,200 हाउसिंग यूनिट्स की बिक्री हुई. इनमें 45 प्रतिशत से ज्यादा यूनिट्स लग्जरी सेगमेंट के थे, जबकि 24 प्रतिशत यूनिट्स अफॉर्डेबल सेगमेंट के थे. जबकि 2019 में लग्जरी यूनिट्स की बिक्री सिर्फ 3 प्रतिशत और अफॉर्डेबल यूनिट्स की बिक्री 49 प्रतिशत थी.
ये इलाके बने रियल्टी हॉटस्पॉट
बता दें, गुरुग्राम का द्वारका एक्सप्रेस-वे और सोहना रोड क्षेत्र बड़े रियल एस्टेट के रूप में स्थापित हो गया है और यहाँ रियल एस्टेट मार्केट में लोगों का रुझान सबसे अधिक है. पिछले 5 साल में दिल्ली एनसीआर के रियल एस्टेट मार्केट में बहुत बदलाव आया है, खासकर कोविड के बाद लोगों ने घर और लाइफस्टाइल के बारे में सोचना शुरू किया है. अब लोग ऐसे घरों की तलाश में हैं, जहां सभी आधुनिक सुविधाओं के साथ ही हरे भरे क्षेत्र हों और जीवन सुकून से गुजरे.
द्वारका एक्सप्रेस इसलिए बना हॉटस्पॉट
द्वारका एक्सप्रेसवे, जिसे नॉर्दर्न पेरिफेरल रोड के रूप में भी जाना जाता है. लगभग 29 किलोमीटर तक फैला है, जो दिल्ली में द्वारका को हरियाणा के गुड़गांव से जोड़ता है. एक्सप्रेसवे की रणनीतिक स्थिति इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे और दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे तक सीधी पहुँच के साथ मिलकर, इसे रियल एस्टेट डेवलपमेंट के लिए एक आकर्षण बना दिया है. कॉरिडोर के साथ-साथ कमर्शियल, रेसिडेंशियल और रिटेल परियोजनाओं की बढ़ती संख्या के साथ यह एंड यूजर्स और निवेशकों दोनों के लिए एक पसंदीदा गंतव्य बन रहा है. इसके विकास से एक्सप्रेस-वे के आस-पास तो विकास हो ही रहा है साथ ही लोगों के आवागमन में बहुत अधिक सुविधा भी हुई है. वहीं, हीरो रियल्टी प्राइवेट लिमिटेड के सीईओ मधुर गुप्ता के अनुसार द्वारका एक्सप्रेसवे ने पिछले पांच वर्षों में 79 प्रतिशत की कीमत में उछाल देखा है, जो इसकी असाधारण निवेश क्षमता को उजागर करता है. एनसीआर में उच्च श्रेणी के रेजिडेंशियल और कमर्शियल स्थानों की बढ़ती मांग ने प्रोपर्ती के मूल्यों को बढ़ा दिया है, जिससे द्वारका एक्सप्रेसवे निवेशकों और एंड यूजर्स दोनों के लिए एक आकर्षक निवेश अवसर बन गया है.
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सोहना रोड इसलिए बना रियल्टी हॉटस्पॉट
गुरुग्राम का सोहना रोड इन दिनों रियल एस्टेट डेवलपर्स के लिए सबसे खास पसंद में से एक बना हुआ है. दरअसल, दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे का सोहना-दौसा स्ट्रेच, सोहना रोड के पास ही है. यही वजह है कि डेवलपर्स इसके आसपास की जगहों को जल्द से जल्द डेवलप करना चाहते हैं. यह ऐसा क्षेत्र हैं जहां लोग निवेश करेंगे और डेवलपर्स को हाई रिटर्न मिलने की उम्मीद है. दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे के साथ अपने मजबूत कनेक्शन के अलावा, सोहना रोड को छह-लेन एलिवेटेड गुरुग्राम-सोहना कॉरिडोर (NH-248A) तक निर्बाध पहुंच का लाभ मिलता है. यहां से गुरुग्राम के प्रमुख कमर्शियल, रिटेल और एंटरटेनमेंट हब तक 15 मिनट में आसानी से पहुंचा जा सकता है, साथ ही अच्छे स्कूल, हॉस्पिटल, मॉल और ग्रोसरी शॉप बहुत ही नजदीक हैं. सबसे अच्छी बात यह है की गुरुग्राम में काम करने वाले लोगों के ऑफिस बहुत पास हैं, जहां आसानी से पहुंचा जा सकता है. सिग्नेचर ग्लोबल (इंडिया) लिमिटेड के फाउंडर एंड चेयरमैन प्रदीप अग्रवाल ने गुरुग्राम-सोहना एलिवेटेड रोड से निर्बाध कनेक्टिविटी इसे पेशेवरों के लिए एक आकर्षक स्थान बनाती है, जैसे द्वारका एक्सप्रेसवे और साउथ ऑफ गुरुग्राम तेजी से राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में संपन्न उपनगरों में से एक में बदल रहा है, जो दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे और साइबर सिटी और गोल्फ कोर्स रोड जैसे कमर्शियल सेंटर से नजदीक है और लोगों को इससे फायदा भी है.