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रिटायरमेंट को लेकर बदल रही है लोगों की राय, सर्वे में सामने आई चौंकाने वाली जानकारी
सर्वे बता रहा है कि भारतीयों का मानना है कि उन्हें अपना रिटायरमेंट फंड बनाने के लिए अपनी सालाना आय का 10-12 गुना चाहिए, जो 2020 के सर्वेक्षण में 8-9 गुना था.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 6 months ago
मौजूदा दौर में जहां निवेश करने के तरीकों में बदलाव आ रहा है वहीं दूसरी ओर लोगों की फाइनेंशियल प्लानिंग की प्राथमिकताएं भी बदल रही हैं. पीजीआईएम इंडिया म्यूचुअल फंड रिटायरमेंट रेडीनेस सर्वे 2023 बता रहे हैं कि अब ज्यादा लोग अपने रिटायरमेंट को प्लॉन कर रहे हैं. 2020 में जहां मात्र 49 प्रतिशत लोग अपने रिटायरमेंट की तैयारी कर रहे थे वहीं अब 67 प्रतिशत भारतीय इसके लिए खुद को तैयार मान रहे हैं. 2020 में भारत जहां इस सर्वे में 8 वें स्थान पर था, जो 2023 में 6वें स्थान पर पहुंच गया है.
क्या कहती हैं सर्वे की कुछ अहम बातें
सर्वे कह रहा है कि लोगों की फाइनेंशियल प्लानिंग को लेकर सोचने के तरीके में बड़ा बदलाव हुआ है. पहले वो इसे अपने परिवार के प्रति अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा करने के लिए 'सक्षम बनाने वाला' और सामाजिक सम्मान के लिए 'सक्षम होने का प्रतीक' माना जाता है. लेकिन महामारी के बाद, अपनी जीवनशैली और जरूरतों से समझौता किए बिना जिम्मेदारियों को पूरा करने के नजरिए से देख रहा है.
इन जरूरतों और जिम्मेदारियों में बड़ा घर बनाना, बच्चों के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा (क्वालिटी एजुकेशन) से लेकर फैशन, तकनीक, साज-सज्जा विकल्पों, छुट्टियों आदि के माध्यम से जीवनशैली को बेहतर बनाना शामिल है. इस सर्वे में 9 देशों में रहने वाले 3009 भारतीय प्रतिभागियों के साथ रिटायरमेंट को लेकर बात की गई है. इसमें मेट्रो और 6 नॉन-मेट्रो शहरों में रहने वाले लोगों की ओवरआल फाइनेंशियल प्लानिंग, विशेष रूप से उनकी रिटायरमेंट की योजना के प्रति सोच और व्यवहार का आंकलन किया गया है.
लोगों की देनदारियों में हुआ है इजाफा
सर्वे बताता है कि व्यक्तिगत आय में बढ़ोतरी के साथ लोगों की आय में से कर्ज और देनदारियों के लिए आवंटन बढ़ रहा है. भारतीय अपने धन का 59 फीसदी घरेलू खर्चों के लिए और 18 फीसदी लोन चुकाने के लिए आवंटित कर रहे हैं, जो 2020 के सर्वेक्षण के निष्कर्षों से थोड़ा अधिक है. सर्वे में भाग लेने वाले 48% लोगों ने बताया कि महामारी के कारण सोच, व्यवहार और फाइनेंशियल प्लॉनिंग में बदलाव आया है. भारतीय पहले के मुकाबले वित्तीय रूप से अधिक जागरूक, योजनाबद्ध और अनुशासित हो गए हैं.
अधिक आय पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं भारतीय
सर्वे ये भी बता रहा है कि कम आय के साथ, अधिक रिटर्न पैदा करने और वित्तीय रूप से सुरक्षित रहने पर अधिक ध्यान दिया जा रहा है. जैसे-जैसे आय बढ़ रही है, लोगों की प्राथमिकता अपने वर्तमान संस्थान यानी वर्किंग प्लेस में हाई पोस्ट तक पहुंचने और पैसिव इनकम के सोर्स विकसित करने जैसे अन्य पहलुओं को दी जा रही है. महामारी के बाद, भारतीयों ने पारिवारिक सुरक्षा के अलावा, मेडिकल इमरजेंसी और रिटायरमेंट योजना जैसी लंबी अवधि के लक्ष्य पर अधिक जोर देना शुरू कर दिया है.
रिटायरमेंट प्राथमिकता में है
सर्वे ये भी कह रहा है कि महामारी के बाद, 'महंगाई' और 'आर्थिक मंदी' रिटायरमेंट के बाद फाइनेंशियल प्लॉनिंग से संबंधित चिंताओं की टॉप लिस्ट में आ गए हैं. यह 2020 के सर्वे की तुलना में दोगुना हो गया, जो हाल की व्यापक-आर्थिक चुनौतियों के प्रभाव को दर्शाता है. सर्वे ये भी कह रहा है कि 67 फीसदी भारतीय कह रहे हैं कि वे रिटायरमेंट के लिए तैयार हैं, जिससे कुल मिलाकर भावनात्मक लाभ होता है, जिससे उन्हें काम और जीवन के बारे में सकारात्मक सोच मिलती है. जिन लोगों ने अपनी रिटायरमेंट की योजना बनाई है, वे आमतौर पर इसे 33 साल की उम्र के आसपास शुरू करते हैं और जिन्होंने नहीं किया है, वे 50 की उम्र में शुरू करने का इरादा रखते हैं.
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