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ENBA Awards: डिजिटल मीडिया को लेकर टेक्नोलॉजी तेजी से बदल रही है: बरखा दत्त
उन्होंने कहा कि हमने तीन तरह का मीडिया देखा है जिसमें पहला शुरुआती दौर था दूसरा वो दौर था जब मार्केट के अनुसार पैसा खर्च हो रहा था तीसरा वो था जब हम डिजिटल का दौर देख रहे हैं.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 8 months ago
एक्सचेंज4मीडिया द्वारा कराए जाने वाले ENBA अवॉर्ड इस बार नोएडा में आयोजित किए गए. ENBA अवॉर्ड के 15 वें संस्करण में Mojo Story की फाउंडर एडिटर बरखा दत्त ने कई अहम बातें कहीं. उन्होंने कहा कि हमें टीवी के पोटेंशियल को लेकर ये नहीं कहना चाहिए कि ये ऐसा नहीं होना चाहिए, कल ऐसा हो जाएगा आने वाले समय में ऐसा हो जाएगा. उन्होंने कुछ स्टोरी का उदाहरण देकर समझाने की कोशिश की कि आखिर कैसे कई अहम मौकों पर टेलीविजन न्यूज की मौजूदगी जीरो हो जाती है. उन्होंने अपनी बात रखते हुए कई और अहम बातें कहीं.
मैं राजदीप के इस विचार से असहमत हूं
Mojo Story की फाउंडर एडिटर बरखा दत्त ने कहा कि मेरी राजदीप के कुछ विचारों से अहमति है, मैं जब भी अपने आप को टीवी का स्टूडेंट कहती हूं, जब टेलीविजन न्यूज वास्तव में आया, क्या आप में से कोई बता सकता है कि आखिर टेलीविजन न्यूज कब आया. 1995 में इंडिया टूडे और एनडीटीवी ने आधे घंटे के हिंदी और अंग्रेजी न्यूज बुलेटिन की शुरुआत की थी. उस वक्त स्क्रिप्ट ब्रॉडकास्टिंग मिनिस्ट्री में जाया करती थी, वहां से अप्रूवल मिलने के बाद ही न्यूज ऑन एयर हुआ करती थी. उस वक्त हम जैसे जितने लोग अखबार से टीवी मीडियम में आए वो लोग इसकी ताकत को समझ रहे थे.
एक टीवी की स्टूडेंट और एक डिजिटल एंटटी की होल्डर होने के नाते मैं राजदीप के एक विचार से असहमत हूं. हम टीवी को लेकर जो अलग-अलग बात कहते हैं कि टीवी में टेंशन है, टीवी ऐसा बन सकता है टीवी वैसा बन सकता है, ये सबकुछ सही हो सकता है. लेकिन सवाल ये पैदा होता है कि हमने टीवी न्यूज को आज क्या बनाया है. मेरे साथ राजदीप ने दो स्टोरी का यहां जिक्र किया है, बीजेपी एमएलए मिस्टर वाल्टे को लेकर स्टोरी का जिक्र किया, जिसमें एक मॉब ने उनके ऊपर हमला कर दिया था. वो स्टोरी सबसे पहले द हिंदू ने पब्लिश की और उसके बाद मोजो ने उस स्टोरी को पब्लिश की. उसके बाद सभी टेलीविजन चैनलों ने उस स्टोरी को चलाया. जब हम टेलीविजन के पोटेंशियल की बात करते हैं तो वो आखिर इस स्टोरी में टेलीविजन कहां था. जब मैंने उस एमएलए का इंटरव्यू किया उसके 48 घंटों के बाद टेलीविजन वहां आया. उसके बाद टेलीविजन ने उसके इंटरव्यू को एक्सक्लूजिव कहकर चलाया.
आखिर क्या है एक्सक्लूजिव की परिभाषा?
Mojo Story की फाउंडर एडिटर बरखा दत्त ने इस जिक्र को आगे बढ़ाते हुए कहा कि एक्सक्लूजिव की परिभाषा ये है कि अगर किसी और का माइक ना हो तो वो एक्सक्लूजिव है. ये टेलीविजन न्यूज में अजीब सा टर्म है. उसके बाद राजदीप ने मणिपुर को लेकर जो बात कही, मुझे इस बात की खुशी है कि वो मणिपुर चुनाव को कवर करने के लिए वहां गए थे. मैं आपको बताना चाहूंगी कि मणिपुर चुनावों की कवरेज के लिए वहां की लोकल मीडिया को अगर छोड़ दें तो सबसे ज्यादा संख्या लोकल डिजिटल प्लेटफॉर्म की थी. मैंने टेलीविजन न्यूज को नहीं देखा जबकि जितना टेलीविजन ने उस वायरल वीडियो को लेकर कवरेज किया. उससे पहले मैंने किसी भी तरह की कवरेज नहीं देखी. मैं ये कहना चाहती हूं कि आप टेलीविजन के पोटेंशियल को लेकर ये बातें करना बंद कर दीजिए.
मैंने आखिर क्यों छोड़ा टेलीविजन न्यूज?
Mozo Story की फाउंडर एडिटर बरखा दत्ता ने अपने टीवी छोड़ने को लेकर कारणों के बारे में बताते हुए कहा कि आखिर हम लोगों ने डिसाइड क्यों किया कि अब टेलीविजन हमारे लिए और ज्यादा ठीक नहीं है. इसके कारण बेहद कठिन हैं. मेरे मामले में मैं 20 साल से कर्मचारी की तरह काम करते हुए थक रही थी तो मैं चाहती थी कि मेरा अपना कुछ होना चाहिए. दूसरा इसका कारण ये है कि न्यूज को लेकर मेरी मेरे न्यूज मैनेजर से सहमति नहीं हो रही थी. आप किसी भी पत्रकार से पूछ लीजिए वो उसकी सुझाई अच्छी खबरों के लिए कभी न्यूज रूम के पास स्पेस नहीं होता है.
इसका कारण हमेशा पॉलिटिक्स नहीं होती है, इसका कारण रेटिंग भी हो सकती है, इसका कारण विज्ञापनदाता भी हो सकते हैं या कुछ भी हो सकता है. उन्होंने अपनी कोविड यात्रा का जिक्र करते हुए कहा कि मैने मोजो स्टोरी को अपने घर के बेसमेंट से शुरू किया. जहां मेरे ड्राइवर से बाकी लोगों तक चार लोग थे. सबसे दिलचस्प बात ये है कि ज्यादातर एयरपोर्ट बंद थे तो हमने रोड से सफर किया. उसके बाद हमने दिल्ली से लेकर केरल तक रोड से सफर किया. हमने जो स्टोरी की उन्हें लोकल से लेकर नेशनल मीडिया ने तक कवर किया.
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