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अनुपम खेर ने कैलाश सत्यार्थी से कर दी ऐसी डिमांड...क्या पूरी होगी उनकी ये इच्छा
इस पुस्तक में देश के कई राज्यों से अलग-अलग तरह के गलत कामों में फंसे बच्चों को छुड़ाए जाने की कहानियां है, जिसमें बताया गया है कि देश में बच्चों को किस तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 1 year ago
ऐसा कम ही देखने को मिलता है कि जब कोई बड़ा अभिनेता किसी सार्वजनिक कार्यक्रम में किसी व्यक्ति के जीवन पर लिखी जाने वाली बायोपिक में मुख्य अभिनेता का किरदार निभाने के लिए अपनी इच्छा जाहिर करता हो. लेकिन बुधवार को कुछ ऐसा ही देखने को मिला जब शांति के लिए नोबेल पुरस्कार जीतने वाले कैलाश सत्यार्थी की पुस्तक 'तुम पहले क्यों नहीं आए' के विमोचन के अवसर पर अनुपम खेर ने कैलाश सत्यार्थी के सामने एक मांग रख दी. उन्होंने कहा कि मैं बतौर मुख्य अतिथि आज आपसे एक चीज मांगना चाहता हूं. उन्होंने कहा कि इन दिनों फिल्मों में बायोपिक का बड़ा क्रेज है, और मुझे पता चला है की आप अपनी बायोपिक लिखने जा रहे है, जिसमें मैं बतौर अभिनेता काम करना चाहता हूं जिस पर कैलाश सत्यार्थी ने भी मुस्कुराते हुए हामी भर दी.
किस विषय पर है कैलाश सत्यार्थी की नई पुस्तक
शांति के लिए नोबेल पुरस्कार जीत चुके कैलाश सत्यार्थी की ये सातवीं पुस्तक है. 'तुम पहले क्यों नहीं आए' का राजधानी दिल्ली में विमोचन किया गया. इस कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि फिल्म अभिनेता अनुपम खेर मौजूद रहे. इस पुस्तक के शीर्षक 'तुम पहले क्यों नहीं आए' की कहानी के बारे में बताते हुए कैलाश सत्यार्थी ने कहा मैं आज से कुछ वर्ष पूर्व झारखंड में एक लड़की को जब छुड़ाकर ला रहा था तो उसने मुझसे उस वक्त इन शब्दों का इस्तेमाल करते हुए कहा था कि 'तुम पहले क्यों नहीं आए' बस वहीं से इस पुस्तक के टाइटल का जन्म हुआ. उन्होंने कहा कि ये पुस्तक भले ही आज आई हो लेकिन इसके भीतर की कहानियों को मैं पिछले 40 सालों से जी रहा हूं. इस पुस्तक में देश के अलग-अलग राज्यों से अलग-अलग तरह के गलत कामों में फंसे बच्चों को छुड़ाए जाने की कहानियां है, जिसमें बताया गया है कि देश में बच्चों को किस तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है. यह कैलाश सत्यार्थी की सातवीं पुस्तक है.
पुस्तक विमोचन में कई बच्चों ने सुनाई अपनी कहानियां
कैलाश सत्यार्थी की इस पुस्तक के विमोचन में वो लोग भी शामिल हुए जिनके जीवन के बारे में इस पुस्तक में लिखा गया है, जिसमें राजस्थान के एक छोटे से गांव की पायल की कहानी भी शामिल है, जिसने अपना बाल विवाह रुकवाने के लिए अपने घरवालों से और अपने गांव वालों से लड़ाई लड़ी. उसके इस प्रयास के लिए उसे आज राजस्थान में बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ के ब्रैंड एंबेसडर के रूप मैं भी चुना जा चुका है. उसे ग्लोबल गोलकीपर अवॉर्ड से भी सम्मानित किया जा चुका है. इस पुस्तक में झारखंड के कोडरमा की आठ साल की लड़की देवली की कहानी भी शामिल है जिसे, अपने गांव में अभ्रक चुनने के लिए खदानों में 30 से 40 फीट नीचे जाना पड़ता था ये वही देवली है जिसने कैलाश सत्यार्थी से पूछा था की तुम पहले क्यों नहीं है आए. इस पुस्तक में 12 कहानियां हैं जिनमें अलग- अलग बच्चों को घर से ले जाये जाने से लेकर उनके लौटने तक की दर्द भरी कहानियां मौजूद हैं.
कार्यक्रम में दिल्ली टीचर्स यूनिवर्सिटी के वीसी प्रो धनंजय जोशी, हाई कोर्ट के वरिष्ठ वकील संदीप महापात्रा, IP यूनिवर्सिटी के उमेश पाठक, ऋतु दूबे तिवारी, प्रिंसिपल निस्कोर्ट मीडिया कॉलेज गाजियाबाद, दिल्ली यूनिवर्सिटी के पत्रकारिता विभाग के शिक्षक प्रवीण झा, आदित्य भारद्वाज सलाहकार ( मीडिया शोध) राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग,अश्वनी मिश्र (पाञ्चजन्य), लेखक फजले गुफरान आदि उपस्थित रहे.
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