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ये बुक भारत-कीर्गिस्तान के संबंधों को और प्रगाढ़ करेगी: भानु प्रताप वर्मा, MSME मंत्री
पिछले एक दशक में मध्य एशिया में रूस, चीन और यूएस का प्रभाव तेजी से बढ़ा है. क्या ये भारत के लिए अच्छा है या इसके कारण नई चुनौतियां पैदा हुई हैं.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 1 year ago
ऐसा कम ही साहित्य मौजूद है जो भारत और किर्गिस्तान के संबंधों के बारे में ज्यादा बताता हो. लेकिन अब इसी क्षेत्र में और जानकारी देती डॉ.रमाकांत द्विवेदी की पुस्तक ‘INDO-KYRGYZ RELATIONS CHALLENGES & OPPORTUNITIES’ का IIC में विमोचन किया गया. इस पुस्तक में दोनों देशों के सांस्कृतिक और पिछले कुछ समय में पैदा हुए नए जियोपॉलिटिकल स्थितियों का भारत पर असर के बारे में विस्तार से बताया गया है. इस पुस्तक के विमोचन अवसर पर कई नामी हस्तियां मौजूद रहीं.
विमोचन में कौन-कौन रहे मौजूद
भारत किर्गिस्तान संबंधों के हर पहलू को लेकर लिखी गई इस पुस्तक का विमोचन केन्द्रीय MSME राज्य मंत्री भानु प्रताप वर्मा, पूर्व राज्यसभा सांसद और ICAR (भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद) के अध्यक्ष डॉ.विनय सहस्रबुद्धे, एडमिरल रिटा. शेखर सिन्हा मौजूद रहे. कार्यक्रम का संचालन Theicai की फाउंडर प्रो.निर्मला जोशी ने किया.
आखिर क्या है इस पुस्तक में
डॉ.रमाकांत द्विवेदी की इस पुस्तक में भारत किर्गीस संबंधों के कई पहलुओं को लेकर विस्तार से लिखा गया है. इस पुस्तक के बारे में बताते हुए डॉ.रमाकांत द्विवेदी ने कहा कि इस पुस्तक में उन्होंने भारत और मध्य एशिया के साथ हमारे संबंधों को लेकर लिखा है. पेंटागन प्रेस के द्वारा पब्लिश इस पुस्तक के बारे में उन्होंने ये भी कहा कि विशेषतौर से ये किताब भारत किर्गीस संबंधों पर लिखी गई है. राजनीतिक आर्थिक और शैक्षिक क्षेत्र में हमारे संबंधों की स्थिति क्या है. हम इसे कैसे अच्छा बना सकते हैं. उसी के साथ-साथ मध्य एशिया में जो बदलती स्थितियां हैं, धार्मिक कट्टरता और आतंकवाद जो बढ़ रहा है अफगानिस्तान में तालिबान का आना मध्य एशिया में रूस चीन और यूएस का प्रभाव कैसे बढ़ रहा है और ये भारत के हितों को कैसे प्रभावित करते हैं. इन बदलती हुई स्थितियों में वहां की प्रोजेक्ट्री क्या होगी? ऐसे में भारत को क्या करना चाहिए ये हमने इस पुस्तक में बताने की कोशिश की है.
सभी को पढ़नी चाहिए ये पुस्तक
इस कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि मौजूद केन्द्रीय MSME राज्य मंत्री भानु प्रताप वर्मा ने कहा कि इस पुस्तक को सभी को पढ़ना चाहिए. ये दोनों देशों के बीच के संबंध को और बेहतर तरीके से सामने रखती है. उन्होंने कहा कि जब से नरेन्द्र मोदी पीएम बने तब से अर्थव्यवस्था तेजी से बदली है. जिस तरह से पीएम मोदी ने इसके सुधार को लेकर काम किया है उसके कारण आज हम दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुके हैं. उन्होंने तय किया है कि 2025 तक देश की अर्थव्यवस्था को 5 ट्रिलियन तक ले जाना है.
मुझे अभी यूपी सरकार के ग्लोबल इंवेस्टर समिट में जानें का अवसर मिला. वहां की सरकार ने 15 लाख करोड़ का लक्ष्य रखा था लेकिन जब हमने वहां जाकर देखा तो यूपी में 33 लाख करोड़ का निवेश आया है. यूपी में किस तरह से बदलाव हो रहा है. हर आदमी अपनी जिम्मेदारी को सही से निभा रहा है. हमारा मंत्रालय 11 करोड़ लोगों को रोजगार दे रहा है. MSME 8 लाख प्रोडक्ट के जरिए योगदान दे रही है. देश में MSME का योगदान एक तिहाई है. 48 प्रतिशत MSME का योगदान है. देश के 6.3 करोड़ MSME में 95 प्रतिशत उद्योग आज ग्रो कर रहे हैं.
वन टू वन संबंध जरूरी
इस पुस्तक के विमोचन के बाद बोलते हुए एडमिरल रिटा. शेखर सिन्हा ने कहा कि जब आपको किसी देश के साथ अपने संबंधों को बेहतर बनाना होता है तो उसके प्रमुख का दूसरे देश के नेता के साथ वन-टू-वन संबंध होना बेहद जरूरी है. उन्होंने कहा कि हमने पिछले कई वर्षों के कार्यकाल में देखा कि पीएम मोदी के कई राष्ट्राध्यक्षों के साथ वन-टू-वन संबंध हैं. उन्होंने ये भी कहा कि दोनों देशों के बीच संबंधों को बढ़ावा देने के लिए एक दूसरे के देशों के लोगों में संपर्क बढ़ाना भी जरूरी है, जिससे दोनों देशों के संबंध और बेहतर हो सकें.
कई देशों में तेजी से बढ़ रहा है हिंदी का दायरा
इस कार्यक्रम में अपनी बात रखते हुए डॉ. विनय सहस्रबुद्धे ने कहा कि जब मैं एक बार मास्को की यात्रा पर गया था तो वहां हम लोगों को भारतीय भाषाओं को पढ़ाने वाले लोगों से मिलने का मौका मिला. उन्होंने कहा कि हमने देखा कि वहां हिंदी पढ़ने वाले लोग बहुत हैं. उन्होंने कहा कि हमें एक ऐसी ही टीचर से मिलने का मौका मिला जो वहां हिंदी वहां पढ़ा रही थी. उन्होंने कहा कि हम लोग यहां पर मुद्रास्फीति पढ़ाते हैं लेकिन आप लोग भारत में महंगाई बोलते हैं.
उन्होंने ये भी कहा कि जब पीएम मोदी यहां आकर हिंदी में बोलते हैं तो हमें बहुत अच्छा लगता है. उनके ऐसा करने से यहां हमे ज्यादा पहचान मिलती है. हिंदी और रूस का पुराना नाता रहा है. डॉ. विनय सहस्रबुद्धे ने कहा कि हमें समझना होगा कि हमारे जो पड़ोसी हैं उनके साथ पिछले कुछ दशकों में हमारा कैसा प्रभाव रहा है. उन्होंने कहा कि हमें उनके बारे में और ज्यादा जानने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि हमें इंडो किर्गीस संबंधों के बारे में और जानने की जरूरत है. सेंट्रल एशिया में जो कुछ हो रहा है उसे ये पुस्तक और अच्छे से रखेगी. उन्होंने कहा कि मेरा पूरा विश्वास है कि ये बुक दोनों देशों के संबंधों को और बेहतर बनाने में मददगार साबित होगी.
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