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भारत में इंफ्रास्ट्रक्चर में बेहतरीन काम हुआ है : राज खन्ना
भारत में इंफ्रास्ट्रक्चर बहुत तेजी से बढ़ रहा है. जब मैं एक्सप्रेस वे से आ रहा था, तब मुझे लगा कि बहुत अच्छी सड़कें बनी हैं ऐसा लग रहा था जैसे लंदन में गाड़ी चल रही है.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 1 year ago
दुनियाभर में चल रही अलग-अलग परेशानियों के बीच भारत के लिए किस तरह की चुनौतियां पैदा हो रही हैं, भारत मार्केटिंग के क्षेत्र में कैसा काम कर रहा है, दुनिया में उसकी स्थिति पहले से सुधरी है या नहीं, कुछ ऐसे ही सवालों को लेकर BWHINDI ने आज ब्रिटेन में रहकर पिछले लंबे समय से मार्केटिंग सेक्टर में काम करने वाले और IKMG के फाउंडर राज खन्ना से बातचीत की है. जानिए क्या कहते हैं राज खन्ना
सवाल: क्या आपको लगता है कि ऋषि सुनक भारत के लिए फायदेमंद साबित हो सकते हैं?
जवाब: देखिए मुझे लगता है कि ऋषि सुनक पीएम बनने के बाद भारत के लिए एक अच्छे पीएम साबित होंगे. उन्होंने बोला है कि वो भारत से अच्छे संबंध बनाना चाहते हैं. वो कई क्षेत्रों में भारत के लिए फायदेमंद साबित हो सकते हैं. अब वो भले ही एजुकेशन हो या इंफ्रास्ट्रक्चर हो या ब्रिटेन में पढ़ाई करने के लिए जाने वाले भारतीय स्टूडेंट का मामला हो, उनकी सुविधाओं में कैसे इजाफा किया जा सकता है और पढ़ने के साथ-साथ उन्हें मौका भी दिया जाएगा, जिससे वो वहां जॉब कर सकें. बिल्कुल सबसे बड़ी बात ये है कि ब्रिटेन के अंदर पारदर्शिता ज्यादा होती है और अगर कुछ गलत होता है तो वो सामने आ जाता है. इसके पीछे की वजह वहां की मीडिया है क्योंकि वहां का मीडिया बहुत ओपन है. मुझे लगता है कि वो भारत के लिए ज्यादा फायदेमंद हो सकते हैं.
सवाल आप मार्केटिंग बैकग्राउंड से आते हैं तो आप मौजूदा सरकार को ग्लोबल लेवल पर कैसे देखते हैं?
जवाब: मुझे लगता कि भारत सरकार अच्छा कर रही है, काफी अच्छा कर रही है. मुझे लगता है कि ये प्लानिंग बहुत पहले से हुई है. जो भी चीजें आज हमें होती दिख रही हैं वो बहुत अच्छी हैं. जहां तक बात है मार्केटिंग के अनुसार भारत की इमेज की तो वो इस वक्त दुनिया में बेहतर बनी हुई है. इसका पूरा श्रेय मैं आज की यंगर जनरेशन को देता हूं. आज की युवा पीढ़ी बहुत प्रैक्टिकल है और उसके अंदर जोश बहुत है. वो किसी भी तरह के काम को करने से घबराती नहीं है. वो अपना एक स्टेटस खुद बनाना चाहते हैं वो शार्टकर्ट नहीं देखते हैं. इसलिए भारत का नाम आगे है. बिल्कुल भारत की इमेज पिछले कुछ समय में बदली है. पिछले 6 महीने के अंदर उसमें थोड़ा कमी दिख रही है. उसकी वजह ये है कि मीडिया की ट्रांसपेरेंसी सामने नहीं आ रही है. मैं उस पर ज्यादा नहीं कहना चाहूंगा मैं कोई राजनीतिज्ञ नहीं हूं, मैं एक समाजसेवक हूं.
सवाल : आपके भारत आने का क्या मकसद रहा आपका
जवाब: देखिए मैने एक संस्था IKMG (International Khatri mahasabha Group) शुरू की थी. इंटरनेशनल खत्री महासभा ग्रुप वो मैने इसलिए शुरू की क्योंकि हमारे खत्री समाज का ऐसा कोई प्लेटफॉर्म नहीं है. हम लोग कोई होली दिवाली में मिल लेते थे. खाना खा लेते हैं बस वो वहीं तक सीमित थी. साल में एक बार जनरल इलेक्शन हुआ तो कुछ लोग चुन लिए गए. लेकिन अब वो सेल्फ सेंट्रिक हो गए हैं कि वो कुछ कर नहीं रहे थे. जब चार साल पहले मैने ये सब देखा तो मुझसे रहा नहीं गया. वहां से मैने इसकी शुरुआत की और अपनी इस संस्था को बनाया. पहले ही तीन महीने के अंदर इसके साथ तीन हजार लोग जुड़ गए. आज स्थिति ये है कि 40 देशों के 100 शहरों में इसके 10500 सदस्य इस संस्था से जुड़ चुके हैं .
हमें किसी का सपोर्ट नहीं है ना तो हमें सरकार का सपोर्ट है और न ही हमें किसी और का सहयोग है. IKMG जो भी कुछ कर रहा है, वो इसके एक्टिव सदस्य कर रहे हैं. आज हमारी संस्था कई शहरों में काम कर रही है, जिसमें कन्नौज, आगरा मुरादाबाद, कानपुर जैसे शहर शामिल हैं जहां ये संस्था काम कर रही है, जहां हमारे लोग काम कर रहे हैं. हम किसी को किसी भी चीज के लिए दबाव नहीं डालते हैं. हमारा साफ कहना है कि जो भी करना है आपस में फंड इक्टठे करिए और काम करिए, इसका श्रेय सभी को जाता है. हम हर सदस्य की छोटी से छोटी कोशिश का सम्मान करते हैं. अभी हमारी पहली ग्लोबल मीट हुई थी, पहली ग्लोबल मीट हमारी 28 जनवरी को हुई थी. हमने एक रेडियो भी शुरू किया है जो 24 घंटे रन करता है. इसमें देश और दुनिया से अलग-अलग लोग जुड़े हुए हैं. हम लोग एजुकेशन से लेकर हेल्थ और दूसरे सेक्टर के लिए काम कर रहे हैं.
सवाल : IKMG एक अच्छा प्रयास है लेकिन भारत में खत्री समाज एकजुट नहीं है. उन्हें पॉलिटिक्स में प्रायोरिटी नहीं मिल रही है, इसे आप कैसे देखते हैं?
जवाब : हम पॉलिटिक्स को बीच में नहीं लाएंगें क्योंकि एक बार ये आ जाती है तो फिर इसके कारण डिविजन होने लगता है. हम सपोर्ट करेंगें लेकिन उसके पीछे कोई कॉमन कारण होना चाहिए. देखिए कल मैं कन्नौज में था, वहां के मेंबर इक्टठा होते हैं और आप लोगों को खाना दे देते हैं, सबने पैसे जमा करके लोगों की मदद करते हैं. मैने उनसे कहा कि आप इससे आगे क्या कर रहे हैं. आप जब शहर से निकलते हैं तो खुद मैने देखा कि शहर कितना गंदा है. क्या हमारे वॉलंटियर मिलकर इसे साफ नहीं कर सकते हैं? स्वीपर को हॉयर करिए कुछ पैसा लगेगा, हमें मंजूर है लेकिन हम चार संडे को इस काम को कर सकते हैं, उसे साफ करना है. गंदगी न हो इसके लिए वहां डिब्बे रखे जाने चाहिए. जैसे इंदौर में किया गया है वैसे ही आप भी करिए.
सवाल- आपने कई शहरों में विजिट किया आपने एक दशक के बाद विजिट किया क्या आपको लग भारत का इंफ्रास्ट्रक्चर बदल रहा है?
जवाब: बिल्कुल हो रहा है इसमें कोई शक नहीं है. कल जब मैं एक्सप्रेस वे से आ रहा था, तब मुझे लगा कि बहुत अच्छी सड़कें बनी हैं ऐसा लग रहा था जैसे लंदन में गाड़ी चल रही है. लेकिन जब हम सवर्सिेज पर रूके तो देखा कि स्वीपर है वो सफाई कर रहा था. यही नहीं टॉयलेट बहुत साफ सुथरे थे. इंटरनेशनल स्टैंडर्ड का नहीं था लेकिन फिर भी साफ था. उसके बाद मैं जैसे ही खाने के स्टॉल की तरफ बढ़ा तो देखा कि वहां सब कागज बिखरे पड़े हैं. अब वो कागज के बारे में जनता को सोचना चाहिए. उसे सोचना चाहिए कि वहां कागज नहीं फेंकना चाहिए.
सवाल- भारत को जी20 की प्रेसीडेंसी मिली है क्या आपको लगता है कि भारत के पास ये बहुत अच्छा मौका है?
जवाब- भारत ने अपनी मार्केटिंग पहले ही शुरू कर दी है. देखिए मार्केटिंग मीडिया से बहुत अच्छी होती है, और वो भी टू द प्वाइंट होनी चाहिए. बताया जाना चाहिए कि हमारे वहां किसी तरह का पक्षपात नहीं होता है. जी20 के अंदर भारत के लिए आगे बढ़ने का बहुत अच्छा मौका है. ये भारत ने खुद से मुकाम बनाया है. भारत इस वक्त जोखिम भी ले रहा है.
सवाल : बजट को लेकर आपकी क्या राय है?
जवाब: जनता से जो मैने इसे लेकर बात की तो उनका कहना था कि ये बहुत अच्छा बजट रहा है, ये उनका कैसा ओपिनियन कैसा है ये मैं नहीं कह सकता. लेकिन तीन महीने में पता चल जाएगा कि बजट कैसा है. आम आदमी को सिर्फ इस बात से फर्क पड़ता है कि उसके पास कितना पैसा बच रहा है. बिजली के दाम बढ़ रहे हैं, उसे कैसे कम किया जा सकता है. इंडिया को इस वक्त रसिया से डिस्काउंटेड रेट पर सस्ते में एनर्जी मिल रही है. भारत इस फील्ड में अच्छा कर रहा है. ये मेरी रॉय है.
सवाल : क्या ये बजट मार्केटिंग सेक्टर के लिहाज से सही है?
जवाब: मुझे लगता है कि मार्केटिंग के लिहाज से और इंसेंटिव दिए जाने की जरूरत है. मार्केटिंग किसी भी कंट्री के लिए बैकबोन होती है. जब भी आप अपना प्रोडक्ट लेकर जाते हैं तो आपको एंट्री मिल जाती है, वो जब आपको एंट्री मिल जाती है तो आप आधी लड़ाई जीत जाते हैं. अब उसके बाद अगर आपका प्रोडक्ट सही नहीं है तो आपको फिर देखना पड़ता है कि आखिर कमी कहां रह गई है. इसमें क्या सुधार लाना है आप ऐसा कर सकते हैं.
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