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भारत ने अमेरिका को दिया तगड़ा जवाब, जानिए RBI के इस फैसले से क्या होगा फायदा
भारत यदि रुपये में इंटरनेशनल बिजनेस करेगा तो उन देशों के साथ भी व्यापार कर सकता है, जिनपर अमेरिका ने कई प्रतिबंध लगा रखे हैं.
चंदन कुमार 1 year ago
नई दिल्ली: अमेरिकी दबदबा को कम करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने जबरदस्त तोड़ निकाला है. अब इंटरनेशनल ट्रेड सेटलमेंट यानी आयात और निर्यात भी रुपये में ही होगा. फिलहाल इस तरह के सभी सौदे अमेरिकी डॉलर में होते हैं. RBI ने इस बारे में बैंकों को व्यवस्था बनाने के लिए कहा है. बैंकों को यह व्यवस्था लागू करने के पहले उसके विदेशी मुद्रा विभाग से अनुमति लेनी होगी.
इस फैसले से क्या होगा फायदा
भारत यदि रुपये में इंटरनेशनल बिजनेस करेगा तो उन देशों के साथ भी व्यापार कर सकता है, जिनपर अमेरिका ने कई प्रतिबंध लगा रखे हैं. बैन के कारण प्रतिबंधित देश अमेरिकी डॉलर जैसी ग्लोबल करेंसी में व्यापार नहीं कर पा रहे. RBI के इस फैसले के बाद भारत उन प्रतिबंधित देशों के साथ भी रुपये में व्यापार कर सकता है.
इसे ऐसे आसानी से समझें
आप इसे ऐसे भी समझ सकते हैं. रूस अभी कई पश्चिमी देशों का प्रतिबंध झेल रहा है. यूक्रेन पर हमला करने के कारण कई देशों ने उससे संबंध तोड़ दिए हैं और बैन लगा दिया है. इसके कारण रूस दूसरे देशों से डॉलर में डील नहीं कर पा रहा है. RBI के इस फैसले से भारत रूस के साथ आसानी से व्यापार कर सकता है. उसपर अमेरिकी प्रतिबंधों का कोई असर नहीं पड़ेगा.
क्या होगा प्रॉसेस
रिजर्व बैंक के अनुसार, संबंधित बैंकों को भारत में रुपया वॉस्ट्रो खाते खोलने के लिए कहा गया है. रिजर्व बैंक ने इस संबंध में कहा कि इस व्यवस्था के जरिए भारतीय इंपोर्टर को विदेशी सेलर्स से वस्तुओं को मंगवाने के लिए भारतीय रुपये में ही भुगतान करना होगा. बिल भी भारतीय रुपये में ही बनाना होगा. इसके बाद जितनी रकम होगी, उसे उस देश के संबंधित बैंक के वॉस्ट्रो खाते में डाले जाएंगे.
क्या होता है वॉस्ट्रो खाता
वोस्ट्रो खाता एक ऐसा खाता है जिसे एक विदेशी बैंक द्वारा घरेलू मुद्रा में खोला जाता है और उसी मुद्रा में इस खाते का रखरखाव किया जाता है. भारत के संदर्भ में यदि इसे ऐसे समझा सकता है. यदि बैंक ऑफ अमेरिका भारतीय रुपये में किसी भारतीय बैंक के साथ अपना खाता खोलता है तो उसे उस संबंधित बैंक के लिए वॉस्ट्रो खाता कहा जाएगा.
RBI ने क्या कहा
RBI ने इसे फैसले के बारे में विस्तार से कहा कि वैश्विक कारोबारी समुदाय की भारतीय रुपये में दिलचस्पी बढ़ी है. इसे ध्यान में रखते हुए ये फैसला लिया गया है. इसके अलावा भारत निर्यात बढ़ाने पर जोर देना चाहता है. दुनिया में व्यापार को बढ़ाने के लिए यह तय किया गया है कि बिल बनाने, भुगतान और रुपये में आयात/निर्यात के भुगतान के लिए अलग से इंतजाम किए जाएं.
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