होम / एक्सप्लेनर / मीडिया संवाद 2023: पत्रकारिता के लिए कैसे खतरनाक है सोशल मीडिया?
मीडिया संवाद 2023: पत्रकारिता के लिए कैसे खतरनाक है सोशल मीडिया?
अन्य सभी चुनौतियां हैं और आगे भी मौजूद रहेंगी लेकिन सोशल मीडिया काफी खतरनाक है.
पवन कुमार मिश्रा 8 months ago
ये जमाना हिंदी का है और हिंदी, बहुत ही तेजी से लोगों की पहली पसंद बनती जा रही है. जहां हिंदी एक भाषा के रूप में अपनी मौजूदगी को ज्यादा से ज्यादा मजबूत बना रही है, वहीँ हिंदी के विभिन्न पक्ष भी हैं जिनपर चर्चा करना आवश्यक हो जाता है. आज देश की राजधानी दिल्ली में हिंदी पत्रकारिता के विभिन्न आयामों एवं समस्याओं पर गहन रूप से चर्चा करने के लिए समाचार 4 मीडिया (Samachaar 4 Media) द्वारा ‘मीडिया संवाद’ 2023 कार्यक्रम का आयोजन किया गया था.
सोशल मीडिया है खतरनाक
इस दौरान NDTV के कंसल्टिंग एडिटर सुमित अवस्थी ने सोशल मीडिया की वजह से पत्रकारिता के सामने पैदा हुई चुनौतियों के बारे में बात की. सुमित ने अपने संबोधन की शुरुआत करते हुए कहा कि पत्रकारिता कहीं नहीं जाएगी, जिज्ञासा की बदौलत पत्रकारिता जिंदा रहेगी. इसके साथ ही सुमित ने बताया की उन्होंने 1996 में अपने करियर की शुरुआत की थी और उन्होंने न्यूज रूम को काफी तेजी से बदलता हुआ देखा है. अन्य सभी चुनौतियां हैं और आगे भी मौजूद रहेंगी लेकिन सोशल मीडिया काफी खतरनाक है.
सोशल मीडिया क्यों है खतरनाक?
अपने संबोधन के दौरान आगे सुमित अवस्थी ने कहा कि सोशल मीडिया पर किसी भी कंटेंट की विश्वसनीयता में कमी होती है. इसके साथ ही सुमित अवस्थी ने एक उदाहरण देते हुए कहा कि लोग सवाल नहीं करते और यह बहुत ही गलत बात है. सोशल मीडिया पर बस किसी विडियो को देखकर आप किसी चीज पर भरोसा कर लेते हैं जबकि आप उस व्यक्ति को जानते तक नहीं है. इसी तरह सुमित अवस्थी सोशल मीडिया पर विश्वसनीयता का प्रतीक माना जाने वाले ‘ब्लू-टिक’ (Blue Tick) के बारे में बात करते हुए सुमित अवस्थी ने कहा कि अब तो ब्लू-टिक की पवित्रता और सार्थकता भी ख़त्म हो चुकि है और आप मात्र 600 रूपए देकर ‘ब्लू-टिक’ प्राप्त कर सकते हैं.
सबसे बड़ी चुनौती
न्यूज रूम की चुनौतियों के बाद सुमित अवस्थी ने सोशल मीडिया की बदौलत पैदा हुई इस चुनौती को काफी बड़ा बताया. सुमित अवस्थी ने यह भी कहा कि यह चुनौती उनके लिए खासकर ज्यादा बड़ी हो जाती है जो नौजवान हैं और पत्रकारिता में अभी अपना करियर ही शुरू कर रहे हैं.
यह भी पढ़ें: सच साबित हुई आशंका, OCCRP के निशाने पर अब आई अनिल अग्रवाल की Vedanta
टैग्स