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LPG Cylinder: सरकार की राहत पर कंपनियों की इस 'गुगली' के मायने समझते हैं आप?
घरेलू गैस सिलेंडर पर कुछ वक्त पहले ही 200 रुपए की कटौती की गई थी. इससे महंगाई की मार झेल रही आम जनता को कुछ राहत मिली है.
नीरज नैयर 7 months ago
महंगाई से त्रस्त आम जनता को चुनावी मौसम में एक राहत मिली. अगस्त में मोदी सरकार (Modi Government) ने घरेलू गैस सिलेंडर के दामों में 200 रुपए कटौती का ऐलान किया था. इस कटौती के चलते कई शहरों में 1100 रुपए का आंकड़ा पार कर गए सिलेंडर के दाम कुछ नीचे आए. इस राहत के बाद पेट्रोल-डीजल की कीमतों में भी कमी की आस बंधी, लेकिन अब तक अच्छी खबर सुनने को नहीं मिली है. क्रूड ऑयल के दामों में लगातार उतार-चढ़ाव जारी है, संभवत इसलिए देरी हो रही है, मगर चुनावी मौसम में पेट्रोल-डीजल सस्ता होने की संभवना अभी भी जीवित है. इस बीच, ऑयल मार्केटिंग कंपनियों ने एक 'गुगली' फेंककर आम आदमी को मिली राहत को कम कर दिया है.
गुगली की तरह करेगा काम
ऑयल मार्केटिंग कंपनियों ने 1 अक्टूबर को गैस सिलेंडर के दाम अपडेट किए. घरेलू LPG सिलेंडर की कीमतों में तो कोई छेड़छाड़ नहीं की गई, लेकिन कमर्शियल सिलेंडर महंगा कर दिया गया और वो भी सीधा 209 रुपए. यानी राहत के नाम पर जो 200 रुपए कम हुए थे उससे 9 रुपए ज्यादा. यदि आप क्रिकेट देखते हैं, तो जानते होंगे कि 'गुगली' एक ऐसी डिलीवरी है, जो जैसी दिखती है, वैसी होती नहीं. यानी देखने वाले को लगता है कि गेंद बाहर की ओर निकलेगी, लेकिन वो अंदर घूम जाती है. ठीक इसी तरह, ऑयल मार्केटिंग कंपनियों का ताजा फैसले भी काम करेगा. यानी कहने को तो दाम केवल कमर्शियल सिलेंडर के बढ़ाए गए हैं, लेकिन इसकी मार से 'राहत' पाकर खुश बैठा आम आदमी भी प्रभावित होगा.
टी-स्टॉल से लेकर रेस्टोरेंट तक
कमर्शियल सिलेंडर का इस्तेमाल सड़क किनारे लगी चाय की दुकान, मिठाई बनाने वाले हलवाई से लेकर खाना परोसने वाले रेस्टोरेंट तक में होता है. नीले रंग के इस सिलेंडर के दामों में जब भी आग लगती है, चाय से लेकर बाहर खाने तक सबकुछ महंगा हो जाता है. चाय एक ऐसी चीज है, जिसे आम से लेकर खास तक हर कोई पीता है. ऑफिस के बीच में चाय की चुस्की लेने वालों की तादाद भी कम नहीं है. इसी तरह, बाहर से खाना ऑर्डर करना या बाहर जाकर खाना भी आम है. और कमर्शियल सिलेंडर के दाम में इजाफे से यह सबकुछ प्रभावित होने वाला है. दूसरे शब्दों में कहें, तो घरेलू सिलेंडर पर 200 रुपए की कटौती से जेब में जो कुछ पैसे बच रहे हैं, वो चाय पीने में ही निकल जाएंगे.
बढ़ने के बाद नीचे नहीं आते दाम
कमर्शियल सिलेंडर के दामों में बढ़ोत्तरी से जिन खाद्य वस्तुओं के दामों में इजाफा होता है, वो आमतौर पर सिलेंडर सस्ता होने पर भी नीचे नहीं आते. एक बार जो दाम बढ़ गए, समझो बढ़ गए. चाय के दाम कितने होंगे या कोई रेस्टोरेंट किसी सब्जी के रेट क्या रखेगा, इस पर कोई नियंत्रण तो हो नहीं सकता, इसलिए इधर सिलेंडर के दामों में वृद्धि की खबर आई और उधर खाद्य वस्तुओं की कीमत भी बढ़ गई. लिहाजा, सरकार की तरफ से घरेलू सिलेंडर पर जो 200 रुपए की राहत मिली थी, कंपनियों ने गुगली फेंककर उसे बराबर कर दिया. आम आदमी के लिए तो यह एक हाथ से आया, दूसरे से चला गया वाली स्थिति हो गई है.
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