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75 सालों में यूं बदली हेल्थ सेक्टर की तस्वीर, आज दुनिया मानती है लोहा
जब भारत को आजादी मिली, उस वक्त हालात ठीक नहीं थे. अंग्रेजों ने भारत को न केवल आर्थिक बल्कि शारीरिक रूप से इतना कमजोर बना दिया था कि उसके लिए देशवासियों को स्वस्थ रखना किसी चुनौती से कम नहीं था.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 1 year ago
आजादी के इन 75 सालों में भारत ने हर क्षेत्र में तरक्की की है, यही वजह है कि आज पूरी दुनिया हमारी तरफ देख रही है. पहले जिस भारत को अनसुना कर दिया जाता था, आज अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर उसकी राय महत्वपूर्ण हो गई है. भारत आज दुनिया के कई देशों का सहारा बना हुआ है. आईटी से लेकर मेडिकल सेक्टर तक में भारत 'विकसित' का तमगा लगाकर इतराने वाले देशों को टक्कर दे रहा है. कोरोना महामारी को भारत ने जिस तरह से संभाला, उसकी पूरी दुनिया कायल है.
बीमारियों ने डाला था डेरा
जब भारत को आजादी मिली, उस वक्त हालात ठीक नहीं थे. अंग्रेजों ने भारत को न केवल आर्थिक बल्कि शारीरिक रूप से इतना कमजोर बना दिया था कि उसके लिए देशवासियों को स्वस्थ रखना किसी चुनौती से कम नहीं था. हमारे पास न आधुनिक चिकित्सा सुविधाएं थीं और न ही बुनियादी चिकित्सा ढांचा. भारत को शून्य से शुरुआत करनी थी. उस वक्त औसत लाइफ एक्सपेक्टेंसी (Life expectancy) यानी औसत आयु 32 साल थी. संक्रामक बीमारियों ने देश में डेरा डाला हुआ था.
भारत ने दिखाई काबिलियत
1947 में मलेरिया और TB का प्रकोप काफी ज्यादा था. मलेरिया के 75 मिलियन केस थे, यानी 23% आबादी इसकी गिरफ्त में थी. लेकिन भारत ने शानदार तरीके से मलेरिया से लड़ाई लड़ी और 1964 में यह संख्या घटकर 0.1 मिलियन रह गई. 1990 के शुरुआती दौर में पोलियो ने भारत को परेशान करना शुरू किया. हर दिन लगभग 500 बच्चे पैरालाज्ड हो रहे थे. पोलियो के बढ़ते मामले चिंता का विषय बन गए थे, मगर भारत ने इस बीमारी को भी मात दी और दुनिया को दिखा दिया कि मेडिकल सेक्टर में उसकी क़ाबलियत को कम न आंका जाए.
कई देशों को सहारा
2014 में भारत पोलियो से मुक्त हो गया. आज दुनिया भारत की इस सफलता पर स्टडी कर रही है. आबादी के मामले में चीन के बाद दूसरे नंबर पर होने के बावजूद भारत ने कोरोना महामारी से बेहतर ढंग से निपटा. नेतृत्व स्तर पर बेहतर निर्णय और बेहतर चिकित्सा व्यवस्था ने कोरोना को पीछे धकेलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. आज भारत दुनिया का सबसे बड़ा वैक्सीनेशन प्रोग्राम चला रहा है, जिसे विश्वभर से सराहना मिली है. बात केवल अपनों का ख्याल रखने की ही नहीं है, भारत ने दुनिया के कई देशों को कोरोना वैक्सीन मुहैया कराई है. यदि भारत ऐसा न करता, तो उन देशों के लिए महामारी से लड़ाई आसान नहीं होती.
लाइफ एक्सपेक्टेंसी बढ़ी
आजाद भारत में मैटरनल मोर्टालिटी रेट में कमी आई है. कहने का मतलब है कि बच्चों के जन्म पर होने वाली माताओं की मौत के मामले अब घट रहे हैं. आजादी के समय प्रति एक लाख जीवित बच्चों के जन्म 2000 माताओं की मौत हो जाती थी, यह संख्या अब घटकर 103 हो गई है. ये आंकड़ा भारतीय चिकित्सा क्षेत्र की सफलता, काबिलियत और क्षमता को बयां करने के लिए काफी है. आज हमारी औसत लाइफ एक्सपेक्टेंसी (जीवन प्रत्याशा दर) बढ़कर 69.7 वर्ष हो गई है. भारत कई देशों को दवाएं भी उपलब्ध करा रहा है. आजादी के 75 साल बाद आज मेडिकल सेक्टर में हमारे देश की एल अलग पहचान है. हम कई गंभीर बीमारियों से आजाद हो चुके हैं.
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