होम / एक्सपर्ट ओपिनियन / कैसे भूल सकता हूं वो हर बात पर मां का नजर उतारना...
कैसे भूल सकता हूं वो हर बात पर मां का नजर उतारना...
जब भी मैं हार कर घर आता था तो मेरी मां मेरी नजर उतार देती थी, बोलती थी किसी की नजर लगी थी, अब सब ठीक होगा.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 1 year ago
इसे करने दो, मैं हूं न
साइंस का ब्राइट स्टूडेंट होने के बाद भी तुम्हें मेरे पेंटर बनने को बिना किसी वाद-विवाद के मान लिया. तुम्हारी मर्जी के बिना शर्मा जी की लड़की के बजाय साधारण से नैन नक्श वाली मेरी पसंद की पंजाबी लड़की तुम्हें पहली नजर में भा गई. अच्छी-खासी जमी-जमाई दुकान को छोड़कर, शहर को छोड़कर तुम यहां 2 कमरों की माचिस की डिबिया, साबुनदानी जैसे घर में मेरे साथ चली आईं. मुझे अब तक शक है कि तुम्हें मुझ पर विश्वास था कि खुद पर, कि चलो जो करता है इसे करने दो, मैं हूं न.
तुम सब ठीक कर दोगी
मां तुम हो तो मैं हूं, घर जल्दी लौटूं या देर से, खाकर आऊं या खाली पेट, बरसात की बारिश में भीग कर आऊं या कड़कड़ाती सर्द रातों में, बॉस से झिड़की खाकर आऊं या रिश्तों में हार कर, बस जब घर आ जाता हूं ना, तो जानता हूं कि तुम सब ठीक दर दोगी. जब भी मैं हार कर घर आता था तो मेरी मां मेरी नजर उतार देती थी, बोलती थी किसी की नजर लगी थी, अब सब ठीक होगा. इसी तरह जब जीत कर आता था तो फिर से नजर उतारती थी, बोलती थी कही तुझे नजर न लग जाए. जब भी कहीं बाहर जाता था, तो मां नजर उतारकर भेजती थी, जब भी कहीं बाहर से आता था तो मां फिर से नजर उतारती थी, कभी-कभी मां के इस काम पर गुस्सा भी आ जाता था.
ये भी पढ़ें - अपनी किस्मत, अपने हाथ: जो चाहेंगे वही मिलेगा बस करना है ये काम
फिर एक अनजान सफर पर जाना है
जानते हो मां कैसे नजर उतारती थी, मेरी आंखें बंद, मां की आंखें खुली, एक हाथ में एक सुखी लाल मिर्च, 2 दाने काली मिर्च के, चुटकी भर नमक, चुटकी भर शक्कर और जो दो-तीन चीजें और भी, जो मैं कभी समझ नहीं पाया और सबको लेकर एक मंत्र सा - अपने की, पराये की, काले की, सफेद की, सच्चे की, झूठे की, जाने की, अनजाने की, और भी न जाने क्या-क्या, मन मन में मां बुदबुदाती रहती थी. लेकिन सुबह उठता था तो सब ठीक हो जाता था, मां तुम्हारा ये नजर उतारना काम तो करता है. आज जब मैं अपने जीवन के आखिरी लम्हों में जी रहा हूं और हॉस्पिटल के ICU मे सभी डॉक्टर्स और नर्स के चेहरे मुझे साफ- साफ बता रहे हैं कि इस जन्म का सफर यहीं तक है, तो एक बात मेरे मन मस्तिष्क मे बार-बार आ रही है कि मेरे मरने के बाद मुझे जलाने से पहले मेरी मां से कहना, मेरी नजर उतार देगी, आखिर में मैं भी तो एक नए से सफर में एक अनजानी से मंजिल पर जा रहा हूं.
टैग्स