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IDFC First Bank के CEO ने कहा - देश को 500 रुपए से बड़े नोट की जरूरत नहीं
वैद्यनाथन वी ने एक लिंक्डइन पोस्ट में Highest Denomination Currency पर अपने विचार साझा करते हुए लिखा है कि देश में 500 से ज्यादा बड़े नोट की आवश्यकता नहीं है.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 11 months ago
देश में नोटबंदी 2.0 अमल में आ चुकी है. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने 2000 के नोट बंद कर दिए हैं. हालांकि, इन नोट को 30 सितंबर तक बैंकों से बदला जा सकता है या वहां डिपॉजिट किया जा सकता है. इंडियन करेंसी में मूल्यवर्ग यानी डिनॉमिनेशन के लिहाज से दो हजार का नोट सबसे बड़ा था. इस बीच, IDFC First Bank के प्रबंध निदेशक (MD) और CEO वैद्यनाथन वी (Vaidyanathan V) ने भारत में उच्चतम मूल्यवर्ग की मुद्रा पर अपने विचार व्यक्त किए किए हैं.
इस तरह समझाई बात
वैद्यनाथन वी ने एक लिंक्डइन पोस्ट में Highest Denomination Currency पर अपने विचार साझा करते हुए लिखा है कि देश में 500 से ज्यादा बड़े नोट की आवश्यकता नहीं है. वैद्यनाथन को बैंकिंग क्षेत्र में लंबा अनुभव है और उन्होंने कुछ उदाहरण देकर अपनी बात को समझाने की कोशिश की है. अंतर्राष्ट्रीय बेंचमार्क को आधार बनाते हुए अपनी पोस्ट में उन्होंने लिखा है कि विकसित देशों में प्रति व्यक्ति GDP (सकल घरेलू उत्पाद) के प्रतिशत के रूप में हाईएस्ट डिनॉमिनेशन करेंसी काफी कम है. उदाहरण के लिए, संयुक्त राज्य अमेरिका में, जहां प्रति व्यक्ति GDP $68,000 है, उच्चतम मूल्यवर्ग या हाईएस्ट डिनॉमिनेशन $100 है, जो प्रति व्यक्ति आय का केवल 0.15 प्रतिशत दर्शाता है. इसी तरह, UK में, Highest Denomination £50 है, जो £46,000 की आय के साथ प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद का 0.11 प्रतिशत है. तुलनात्मक रूप से, भारत में हाईएस्ट डिनॉमिनेशन 500 रुपए, देश की प्रति व्यक्ति जीडीपी का 0.25 प्रतिशत है. वैद्यनाथन की नजर में यह पर्याप्त से ज्यादा है, लिहाजा इससे बड़े नोट की जरूरत नहीं है.
डिजिटल पेमेंट पर जोर
डिजिटल भुगतान में भारत की लीडरशिप की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए, वैद्यनाथन ने देश में यूपीआई (यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस) जैसे प्लेटफॉर्म्स के व्यापक उपयोग पर जोर दिया, जिसका सालाना लेनदेन $1 ट्रिलियन है, जो भारत की GDP का लगभग एक-तिहाई है. उन्होंने RTGS, IMPS, NACH, AePS, NETC, डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड, NEFT, PPI, BBPS, आदि जैसे विभिन्न डिजिटल भुगतान विकल्पों की उपलब्धता पर भी प्रकाश डाला. डिजिटलाइजेशन के एडवांस लेवल को ध्यान में रखते हुए, वैद्यनाथन ने सुझाव दिया कि भारत को अंतरराष्ट्रीय मानकों की तुलना में हाईएस्ट डिनॉमिनेशन के और छोटे नोट जारी करने चाहिए.
कालेधन पर लगेगी लगाम
वैद्यनाथन ने कहा कि 2000 रुपए के नोट वापस लेने से कालेधन पर लगाम लगाने में भी मदद मिलेगी. क्योंकि अब लोगों को प्रॉपर्टी, सोना और अन्य संपत्तियों के लेनदेन के लिए औपचारिक चैनलों का सहारा लेने को मजबूर होना पड़ेगा. इसके अतिरिक्त, उच्चतम मूल्यवर्ग वाले नोट को बंद करने से फेक करेंसी से जुड़े जोखिम भी कम होंगे, क्योंकि नकली नोटों का कारोबार करने वाले अक्सर हाई रिटर्न के लिए हाईएस्ट डिनॉमिनेशन वाले नोटों को निशाना बनाते हैं. नोटबंदी 1.0 के दौरान 500 और 1000 रुपए के नोट वापस लेने के दौरान तरलता संबंधी चिंताओं को दूर करने के लिए अस्थायी उपाय के रूप में 2000 के नोट की शुरुआत के बारे में वैद्यनाथन ने कहा कि इसका उद्देश्य पूरा कर चुका है. उन्होंने कहा कि 2000 रुपए के नोट बंद करने से कोई परेशानी नहीं होगी, क्योंकि 500 के नोट प्रचुर मात्रा में उपलब्ध हैं.
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