होम / कोर्ट कचहरी / राहत की थी आस, लग गया जोर का झटका; अब क्या करेगी SpiceJet?
राहत की थी आस, लग गया जोर का झटका; अब क्या करेगी SpiceJet?
कलानिधि मारन से विवाद के मामले में एयरलाइन स्पाइसजेट और उसके MD अजय सिंह को दिल्ली हाई कोर्ट से बड़ा झटका लगा है.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 8 months ago
लो-कॉस्ट एयरलाइन स्पाइसजेट (SpiceJet) और उसके चेयरमैन एवं मैनेजिंग डायरेक्टर अजय सिंह को दिल्ली हाई कोर्ट की डबल बेंच से करारा झटका लगा है. बेंच ने एकल न्यायाधीश के उस आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है, जिसमें स्पाइसजेट और अजय सिंह को कलानिधि मारन (Kalanithi Maran) को ब्याज सहित 579 करोड़ रुपए लौटाने का निर्देश दिया गया था.
नहीं, तो कुर्क होगी प्रॉपर्टी
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, हाई कोर्ट ने स्पाइसजेट को 10 सितंबर तक मारन परिवार को 100 करोड़ रुपए का भुगतान करने का निर्देश दिया है. साथ ही यह भी कहा है कि भुगतान में विफल रहने पर उसकी संपत्ति की कुर्की शुरू हो जाएगी. स्पाइसजेट और अजय सिंह ने एकल बेंच के फैसले को चुनौती देने के लिए याचिका दायर की थी. उन्हें उम्मीद थी कि कोर्ट से उन्हें राहत मिल सकती है, लेकिन हुआ इसके एकदम उलट. हालांकि, न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा और न्यायमूर्ति धर्मेश शर्मा की खंडपीठ ने एकल न्यायाधीश के 31 जुलाई के आदेश को चुनौती देने वाली अजय सिंह और स्पाइसजेट की अपील पर मारन और उनकी कंपनी काल एयरवेज को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.
आखिर क्या है मामला?
मारन और स्पाइसजेट के बीच विवाद 2015 से शुरू हुआ जब अजय सिंह ने मारन से स्पाइसजेट को वापस खरीद लिया. मारन ने 2015 में एयरलाइन में अपनी 58.46% हिस्सेदारी अजय सिंह को हस्तांतरित कर दी थी. हालांकि, सौदे के अनुसार, मारन को एयरलाइन के प्रमोटर के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान उनके द्वारा निवेश किए गए पैसे के बदले में Redeemable Warrants मिलने थे. मारन 18 करोड़ वारंट प्राप्त करने के लिए उत्तरदायी थे, जिसका मतलब स्पाइसजेट में 26% हिस्सेदारी थी. लेकिन मारन को न अपने हिस्से का पैसा मिला, न Convertible Warrants ना ही Preference Shares.
क्या था ट्रिब्यूनल का फैसला?
इससे नाराज मारन ने दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया, जिसने मामले को मध्यस्थता के लिए भेज दिया. मारन का दावा था कि उन्हें 1300 करोड़ से अधिक का नुकसान हुआ है. 2018 में, मध्यस्थ न्यायाधिकरण (Arbitral Tribunal) ने स्पाइसजेट को मारन को 270 करोड़ वापस करने का आदेश दिया. इसके अलावा, ट्रिब्यूनल ने स्पाइसजेट को वारंट के लिए भुगतान की गई राशि पर 12% प्रति वर्ष और धन हस्तांतरण में देरी होने पर मारन को दी गई राशि पर 18% प्रति वर्ष की दर से ब्याज का भुगतान करने को भी कहा. हालांकि, ट्रिब्यूनल ने मारन और स्पाइसजेट-अजय सिंह के बीच हुए शेयर बिक्री और खरीद समझौते में किसी तरह का उल्लंघन नहीं पाया.
ट्रिब्यूनल ने मारन की शेयरधारिता की वापसी की मांग और हर्जाने के दावे को खारिज कर दिया. इसके बाद मारन, KAL एयरवेज, स्पाइसजेट और अजय सिंह ने ट्रिब्यूनल के फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. ये मामला सुप्रीम कोर्ट फिर हाई कोर्ट यूं ही चलता रहा और हाल ही में दिल्ली हाई कोर्ट की सिंगल बेंच ने स्पाइसजेट को मारन फैमिली को भुगतान का फैसला सुनाया था, जिस पर रोक से डबल बेंच ने इंकार कर दिया है.
टैग्स