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क्या Repo Rate में होने वाला है बदलाव? जानें क्या है एक्सपर्ट्स का कहना
महंगाई के मोर्चे पर अभी भी खास राहत नहीं मिली है. ऐसे में यह सवाल लाजमी हो गया है कि क्या RBI रेपो रेट में इजाफा करेगा.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 7 months ago
महंगाई के नाम पर रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने पिछले साल कई बार नीतिगत ब्याज दरों में इजाफा किया था, जिसके चलते कर्ज काफी महंगा हो गया था और महंगाई से परेशान लोगों की मुश्किलें दोगुनी हो गई थीं. हालांकि, इस साल RBI बेहद संतुलित रवैया अपनाए हुए है. पिछले कुछ बार से उसने रेपो रेट में कोई इजाफा नहीं किया है. रिजर्व बैंक दरों को यथावत बनाए रखे हुए है. बता दें कि आरबीआई मौद्रिक समीक्षा बैठक अगले महीने 4-6 अक्टूबर को होने वाली, ऐसे में फिर ये सवाल पूछा जाने लगा है कि क्या नीतिगत ब्याज दरों को लेकर RBI इस बार कुछ नरमी दिखाएगा या मौजूदा रुख को ही बरकरार रखेगा?
बदलाव की उम्मीद नहीं
RBI ने 8 फरवरी, 2023 को रेपो दर को बढ़ाकर 6.5% कर दिया था और तब से उसने दरों को इसी स्तर पर बरकरार रखा है. आरबीआई गवर्नर की अध्यक्षता वाली छह सदस्यीय MPCC की बैठक चार-छह अक्टूबर को प्रस्तावित है. एमपीसी की पिछली बैठक अगस्त में हुई थी और तब भी नीतिगत ब्याज दरों से कोई छेड़छाड़ नहीं की गई थी. मीडिया रिपोर्ट्स में बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस के हवाले से बताया गया है कि आरबीआई इस बार भी ब्याज दर में कोई बदलाव न करने की उम्मीद ज्यादा है, क्योंकि मुद्रास्फीति अब भी ऊंची बनी हुई है और नकदी की स्थिति सख्त है. मुद्रास्फीति पर आरबीआई के अनुमान को सही माना जाए, तो तीसरी तिमाही में भी यह 5% से ज्यादा रहेगी. लिहाजा चालू कैलेंडर साल 2023 और संभवत: चौथी तिमाही में भी रेपो दर में बदलाव नहीं होगा.
ज्यादा है महंगाई
सबनवीस आगे ने कहा कि खरीफ फसलों, खासकर दालों को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है. वैसे, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) आधारित मुद्रास्फीति अगस्त में घटकर 6.83 फीसदी रह गई है, जो जुलाई में 7.44 प्रतिशत थी. फिर भी यह रिजर्व बैंक के छह प्रतिशत के संतोषजनक स्तर से ऊपर है. सरकार ने आरबीआई को मुद्रास्फीति को दो प्रतिशत घट-बढ़ के साथ चार प्रतिशत पर बनाए रखने की जिम्मेदारी दी है. इसी तरह, इक्रा लिमिटेड की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर का कहना है कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति के सितंबर में घटकर 5.3 से 5.5 प्रतिशत पर आने की उम्मीद है. इसके बावजूद एमपीसी अक्टूबर, 2023 नीति में भी कोई बदलाव नहीं करेगी.
क्या है RBI की जिम्मेदारी?
मालूम ही कि RBI के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है कि उसे महंगाई को नियंत्रित करने में अपनी असफलता पर सरकार को स्पष्टीकरण देने पड़ा है. दरअसल, रिजर्व बैंक अधिनियम के तहत अगर महंगाई के लिए तय लक्ष्य को लगातार तीन तिमाहियों तक हासिल नहीं किया जाता, तो RBI को केंद्र सरकार के समक्ष स्पष्टीकरण देना होता है. मौद्रिक नीति रूपरेखा के 2016 में प्रभाव में आने के बाद से यह पहली बार हुआ है जब RBI को इस संबंध में केंद्र को रिपोर्ट भेजनी पड़ी. आरबीआई को केंद्र की तरफ से खुदरा महंगाई दो प्रतिशत घट-बढ़ के साथ चार प्रतिशत पर बनाए रखने की जिम्मेदारी मिली हुई है, लेकिन तमाम प्रयासों के बावजूद आरबीआई मुद्रास्फीति को नियंत्रित रखने में नाकाम रहा था.
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