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गोल्ड ज्‍यूलरी कहां से खरीदना पसंद कर रहे लोग, लगातार हो रहा ग्रोथ

काउंसिल की 'ज्‍यूलरी मार्केट स्‍ट्रक्‍चर' रिपोर्ट में पिछले कुछ वर्षों में भारत के गोल्ड ज्यूलरी मार्केट में आए उल्लेखनीय बदलाव पर फोकस किया गया है.

बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 1 year ago

नई दिल्ली: आभूषण बाजार में छोटे स्वतंत्र खुदरा विक्रेताओं का अभी भी वर्चस्‍व है, लेकिन पिछले एक दशक में चेन स्टोर (राष्ट्रीय और क्षेत्रीय) की बाजार हिस्सेदारी में लगातार वृद्धि हुई है. खुदरा आभूषण व्यापार के विपरीत, विनिर्माण स्तर पर परिवर्तन अपेक्षाकृत धीमे रहे हैं, लेकिन जैसे-जैसे बाजार का विकास हो रहा है, संगठित रिटेल और विनिर्माण परिचालन अपनी बाजार हिस्सेदारी बढ़ने के लिए अच्छी तरह से तैयार हैं.

World Gold Council की रिपोर्ट
वर्ल्‍ड गोल्‍ड काउंसिल (World Gold Council) की रिसर्च रिपोर्ट में ये बातें सामने आई हैं. काउंसिल की 'ज्‍यूलरी मार्केट स्‍ट्रक्‍चर' रिपोर्ट में पिछले कुछ वर्षों में भारत के गोल्ड ज्यूलरी मार्केट में आए उल्लेखनीय बदलाव पर फोकस किया गया है, जो उपभोक्ता व्यवहार और सरकारी विनियमों में बदलाव से प्रेरित है.

काउंसिल के रीजनल सीईओ ने क्या कहा
वर्ल्‍ड गोल्‍ड काउंसिल के रीजनल सीईओ (इंडिया) सोमसुंदरम पीआर ने बताया, "भारतीय खुदरा आभूषण बाजार में पिछले एक दशक में कई संरचनात्मक बदलाव हुए हैं. कुछ नियमों से प्रेरित हैं और कुछ उपभोक्ता व्यवहार से. हॉलमार्किंग भी अनिवार्य कर दिया गया है, इसका भी प्रभाव पड़ा है. हालांकि राष्ट्रीय और लोकल चेन स्टोर मौजूदा रुझान में बाजार हिस्सेदारी हासिल करने के लिए तैयार हैं, क्योंकि उनकी क्रेडिट तक पहुंच है और उनके पास काफी इन्‍वेंट्री होती है. छोटे भागीदारों को यदि ऋण तक समान पहुंच हासिल करनी है और अपनी बाजार हिस्सेदारी बचानी है, तो उन्‍हें अधिक पारदर्शी बनना और टेक्‍नोलॉजी को तेजी से अपनाना होगा."

रिटेल मार्केट की संरचना
भारत के खुदरा आभूषण बाजार में पिछले एक दशक में काफी परिवर्तन हुए हैं, जो ग्राहकों की वरीयताओं और सरकारी विनियमन को विकसित करने से प्रेरित हैं और इसने उद्योग को और अधिक संगठित होने के लिए प्रोत्साहित किया है. पिछले कुछ सालों में जीएसटी ने उद्योग को अधिक संगठित और ज्‍यादा पारदर्शी बनने में मदद की है. इसके अलावा ग्राहकों की वरीयताओं के बदलने से भी उद्योग संगठन को सहायता मिली है.

चेन स्टोर पिछले 10-15 वर्षों में तेजी से बढ़े हैं
चेन स्टोर पिछले 10-15 वर्षों में तेजी से बढ़े हैं और 2021 तक 35% बाजार हिस्सेदारी हासिल करने में सफल रहे. बेहतर डिजाइन और उपभोक्ता अनुभव की मांग, हॉलमार्किंग के बारे में बढ़ती जागरूकता, बेहतर मूल्य और रिटर्न नीतियों ने चेन स्टोर को तेजी से बढ़ने में मदद की है. देश भर में जितने भी चेन स्टोर हैं, उन्होंने फास्‍ट मूविंग ज्‍यूलरी आइटम्‍स (जैसे चेन और अंगूठियां) पर ध्यान केंद्रित किया है. उनके कुल कारोबार में इन आइटम्‍स की हिस्‍सेदारी करीब 50-60% है. रिपोर्ट का अनुमान है कि अगले पांच सालों में, चेन स्टोर का विस्तार जारी रहेगा और उनकी बाजार हिस्सेदारी 40% से अधिक हो सकती है. इन पांच सालों में टॉप 5 खुदरा विक्रेताओं के 800-1,000 स्टोर खोले जाने की भी संभावना है.

रिटेलर्स ने समय के साथ खुद को बदला
स्टैंड-अलोन खुदरा विक्रेताओं को शुरुआत में चेन स्टोर के साथ कॉम्पिटीशन करने में थोड़ा संघर्ष करना पड़ा, लेकिन बेहतर टेक्निक अपनाने के बाद उनकी डिमांड फिर से मार्केट में आ गई. 2021 तक, खुदरा आभूषण उद्योग में उनकी बाजार हिस्सेदारी 37% थी. आमतौर पर, स्टैंड-अलोन और मध्यम आकार के खुदरा विक्रेता तीन चीजों पर ध्यान केंद्रित करते हैं: ब्राइडल ज्‍यूलरी, कस्‍टमाइजेशन और अपने ग्राहकों के साथ व्यक्तिगत संबंध विकसित करना. इसी के आधार पर इनका व्यापार आगे बढ़ता है.

ऑनलाइन ज्‍यूलरी की बिक्री भी बढ़ी
भारतीय ऑनलाइन ज्‍यूलरी बाजार में भी पिछले कुछ वर्षों में तेजी देखने को मिली है. अधिकांश खरीददार 18 से 45 वर्ष की बीच के उम्र के हैं. ऑनलाइन खरीदार ज्यादातर 18 कैरेट सोने में हल्के डेली यूज वाले फैशन ज्‍यूलरी खरीदते हैं. ऑनलाइन ज्‍यूलरी के भविष्य के बारे में रिपोर्ट में बताया गया है कि आने वाले समय में बाजार की हिस्‍सेदारी बढ़कर 7-10% हो सकती है.

रिटेल गोल्‍ड ज्‍यूलरी मार्केट की चुनौतियां
रिटेल मार्केट के अधिक मजबूत और संगठित ईको-सिस्टम की ओर बढ़ने के कई आशाजनक संकेत हैं, फिर भी कई चुनौतियां हैं जो इसके विकास के लिए जोखिम बने हुए हैं. भारतीय रत्न और आभूषण उद्योग अभी भी बैंक ऋण हासिल करने के लिए संघर्ष कर रहा है. इस क्षेत्र को दिए गए 20% से अधिक ऋण NPA बन गए हैं, जिसके परिणामस्वरूप रत्न एवं आभूषण उद्योग को भारत में कुल आवंटित ऋण का केवल 2.7% प्राप्त हुआ है.

फाइनेंसिंग और भी मुश्किल
छोटे स्वतंत्र ज्वैलर्स के लिए फाइनेंसिंग और भी मुश्किल है, जो फंडिंग के लिए मासिक गोल्ड स्कीम पर भरोसा करते हैं या साहूकार के रूप में काम करते हैं. रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि राष्ट्रीय और क्षेत्रीय चेन स्टोर बाजार में हिस्सेदारी हासिल करना जारी रखेंगे, क्योंकि उनके पास इन्‍वेंट्री भी काफी ज्‍यादा होती है. इसके विपरीत, यदि छोटे रिटेलर्स मानकों को पूरा करने में सक्षम नहीं होते हैं, तो उनकी ऋण तक पहुंच लिमिटेड होगी, क्योंकि बैंक और वित्तीय संस्थान रत्न एवं आभूषण क्षेत्र को उधार देने में सतर्कता बरतते हैं.

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