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Petrol-Diesel के दामों में आखिर कब होगा बदलाव? मिल गया इस सवाल का जवाब
पिछले काफी समय से देश में पेट्रोल-डीजल के दामों में संशोधन नहीं हुआ है. चुनावी मौसम में भी इसमें कोई कटौती नहीं की गई.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 5 months ago
पेट्रोल-डीजल के दामों (Petrol-Diesel Price) में कमी की आस में एक साल से ज्यादा गुजर चुका है. पांच राज्यों में हुए चुनाव के दौरान भी एक उम्मीद जगी थी कि तेल की कीमतों में नरमी देखने को मिल सकती है. क्योंकि सरकारों को जनता की परेशानी चुनावी मौसम में ही नजर आती है, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. न तेल कंपनियों ने पेट्रोल-डीजल के दाम घटाए और न ही मोदी सरकार (Modi Government) ने जनता को राहत देने के लिए कुछ किया. अब खबर आ रही है कि पेट्रोल-डीजल के दामों में कच्चे तेल के एक निर्धारित स्तर पर पहुंचने के बाद बदलाव होंगे.
निर्धारित की लक्ष्मण रेखा!
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, ऑयल मार्केटिंग कंपनियां पेट्रोल-डीजल की कीमतों में दैनिक आधार पर संशोधन तभी शुरू करेंगी, जब अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल यानी क्रूड ऑयल की कीमतें 80 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल से नीचे स्थिर हो जाएंगी. इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन लिमिटेड (IOC), हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (HPCL) और भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (BPCL) ने लगातार 20वें महीनों से पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कोई बदलाव नहीं किया है. संयुक्त रूप से 90 प्रतिशत बाजार हिस्सेदारी रखने वाली इन कंपनियों ने कच्चे तेल के दामों में लगी आग का हवाला देकर कई बार घरेलू स्तर पर कीमतें बढ़ाई थीं, लेकिन क्रूड ऑयल में नरमी का फायदा जनता को नहीं दिया.
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घाटे से मुनाफे में आईं
कंपनियां कहती रही हैं कि वित्त वर्ष 2022-23 की पहली छमाही में कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी के चलते उन्हें भारी नुकसान हुआ था. हालांकि, दौर करने वाली बात ये भी है कि इससे पहले कच्चे तेल की कीमतों में नरमी के कारण उन्होंने जमकर मुनाफा भी कमाया था. हालिया आईं खबरों के मुताबिक, तेल कंपनियां घाटे से बाहर आ चुकी हैं और मुनाफा कमा रही हैं. यानी उनके पास दाम कम करने की पूरी गुंजाइश है, इसके बावजूद पेट्रोल-डीजल सस्ता नहीं किया जा रहा है और न ही मोदी सरकार इस बारे में कोई कदम उठा रही है.
कच्चे तेल में उतार-चढ़ाव
रिपोर्ट्स में अधिकारियों के हवाले से बताया गया है कि अंतरराष्ट्रीय तेल बाजार में काफी अस्थिरता है और कीमतों में उतार-चढ़ाव चल रहा है. तेल कंपनियां इस समय कीमतों में कुछ कटौती जरूर कर सकती हैं, लेकिन, जब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कीमतें बढ़ेंगी, तो क्या उन्हें घरेलू स्तर पर दाम बढ़ाने की अनुमति मिलेगी, इस पर संदेह है. लिहाजा, तेल विपणन कंपनियां कीमतों में दैनिक आधार पर संशोधन तब शुरू करेंगी, जब अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें 80 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल से नीचे स्थिर हो जाएंगी.
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